नई दिल्ली. आज 26 जुलाई को भारत कारगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ मना रहा है। यह दिन 1999 में भारतीय सेना द्वारा ऑपरेशन विजय की सफलता को चिह्नित करता है, जब भारतीय सैनिकों ने कारगिल में पाकिस्तानी घुसपैठियों के खिलाफ तीन महीने के लंबे संघर्ष के बाद जीत हासिल की थी।

इस युद्ध में टोलोलिंग और टाइगर हिल जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों को वापस लेने में भारतीय सेना ने अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया। इस अवसर पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कारगिल युद्ध के शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी और उनके जज्बे को सलाम किया।


उन्होंने शहीद सैनिकों के परिवारों और बहादुर जवानों को सम्मानित करते हुए एक ट्वीट में लिखा, “1999 के कारगिल युद्ध में बहादुरी का बेमिसाल इतिहास लिखने वाले सभी वीर जवानों की सूरवीरता और कुर्बानी को कारगिल विजय दिवस पर दिल से सलाम करते हैं। उनके जज्बे और बहादुरी को हमेशा याद रखा जाएगा।”

कठिन परिस्थितियों में दुश्मनों का मुकाबला
कारगिल युद्ध, जो मई से जुलाई 1999 तक लड़ा गया, भारतीय सेना के लिए एक असाधारण चुनौती था। बर्फीले मौसम, ऊंचे पहाड़ी इलाकों और कठिन परिस्थितियों में सैनिकों ने दुश्मनों का डटकर मुकाबला किया।

दुश्मन ऊंची चोटियों पर बैठे थे, जबकि भारतीय सैनिकों को नीचे से ऊपर चढ़ते हुए गोलियों और तोप के गोलों का सामना करना पड़ा। फिर भी, भारतीय सैनिकों ने हार नहीं मानी और अपनी जान की परवाह किए बिना दुश्मनों को खदेड़ दिया।

इस युद्ध में भारत ने अपने कई वीर सपूतों को खो दिया, जिन्होंने देश के सम्मान और गौरव के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। कैप्टन विक्रम बत्रा, लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे, राइफलमैन संजय कुमार और ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव जैसे अनगिनत नायकों ने अपनी वीरता से इतिहास रचा। इन शहीदों की कुर्बानी हमें हमारी आजादी और सुरक्षा की कीमत याद दिलाती है।