भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार (25 जुलाई, 2025) को अपने दो दिवसीय दौरे पर मालदीव पहुंचे. मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु के निमंत्रण पर पीएम मोदी मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर भाग लेंगे. राजधानी माले में आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत 21 तोपों की सलामी के साथ किया गया.
यहां पहुंचने पर पीएम मोदी के स्वागत के लिए मालदीव की राजधानी माले को रंग-बिरंगे बैनरों, पीएम मोदी के बड़े-बड़े पोस्टर लगाए गए. वहीं, रिपब्लिक स्क्वायर सहित राजधानी के कई प्रमुख चौराहों और माले अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा जाने वाले मुख्य सड़कों पर भारतीय तिरंगे से सजाकर प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया गया. इतना हीं नहीं, मालदीव के रक्षा मंत्रालय की बिल्डिंग पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत में उनकी एक बहुत बड़ी तस्वीर भी लगाई गई है.
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कई नेताओ से पीएम मोदी ने की मुलाक़ात
अब तक पीएम मोदी की मालदीव के कई नेताओं से मुलाकात हुई है। पीएम मोदी की मालदीव राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू और उनके मंत्रियों से हुई मुलाकात के अलावा विपक्ष के नेता व पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद के साथ भी मुलाकात हुई। मालदीव दौरे पर पीएम मोदी ने आज उपराष्ट्रपति हुसैन मोहम्मद लतीफ और स्पीकर अब्दुल रहीम अब्दुल्ला से मुलाकात की। इस मुलाकात में दोनों देशों के बीच के कई मुद्दों पर विशेष चर्चा हुई।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर साझा पोस्ट में बताया कि उपराष्ट्रपति उज़. हुसैन मोहम्मद लतीफ़ के साथ बहुत अच्छी बैठक हुई। हमारी चर्चा भारत-मालदीव मैत्री के प्रमुख स्तंभों पर केंद्रित रही। हमारे देश बुनियादी ढाँचे, प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा आदि क्षेत्रों में मिलकर काम करना जारी रखे हुए हैं। यह हमारे लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी है। हम आने वाले वर्षों में इस साझेदारी को और गहरा करने की आशा करते हैं।
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मालदीव की तीसरी आधिकारिक यात्रा पर पहुंचे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह यात्रा उनकी मालदीव की तीसरी आधिकारिक यात्रा है. इसके अलावा, राष्ट्रपति के तौर पर मोहम्मद मुइज्जु के सत्ता संभालने के बाद पीएम मोदी मालदीव की आधिकारिक यात्रा पर पहुंचने वाले पहले विदेशी राष्ट्र प्रमुख हैं.
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पीएम मोदी का स्वागत में लगा विशालकाय पोस्टर
पीएम मोदी का मालदीव की राजधानी माले में जिस तरह स्वागत हुआ वह चर्चा का विषय बन चुका है। यहां मौजूद रक्षा मंत्रालय भवन आज सुर्खियों में है. इस भवन की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. मालदीव में रक्षा मंत्रालय भवन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर का होना भारत-मालदीव संबंधों की मजबूती और आपसी सम्मान का प्रतीक है. भारत ने मालदीव के रक्षा मंत्रालय को 72 हैवी व्हीकल भी दिए हैं.
दरअसल, 25 जुलाई 2025 को पीएम मोदी की दो दिवसीय यात्रा के दौरान, जब वे राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के निमंत्रण पर मालदीव पहुंचे, इस भवन पर उनकी तस्वीर लगाई गई, जो भारत की बढ़ती क्षेत्रीय प्रभावशक्ति और मालदीव के साथ रक्षा सहयोग को दर्शाती है.
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क्या है खास?
इस बिल्डिंग में पर्यावरण का खास ख्याल रखा गया है. इसमें सौर पैनल और बादल संग्रहण प्रणाली लगाई गई है, जो इसे पर्यावरण-अनुकूल बनाती है. भवन में कमांड सेंटर, रक्षा संचालन कक्ष और प्रशिक्षण सुविधाएं हैं, जो मालदीव की सेना को आधुनिक तकनीक से लैस करेंगे. इसकी तीन मंजिलें और ग्लास फेसेड डिज़ाइन इसे भव्य बनाता है.
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क्यों बना यह भवन?
मालदीव ने हाल के सालों में अपनी रक्षा को मजबूत करने पर जोर दिया है, भारत-चीन प्रभाव के बीच. 2023 में मोहम्मद मुइज्जू की सरकार ने रक्षा बजट को दोगुना कर $50 मिलियन (लगभग 420 करोड़ रुपये) किया था. यह भवन उसी रणनीति का हिस्सा है, जो देश की समुद्री सीमाओं और पर्यटन को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है.
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भारत के साथ रिश्ता
भारत ने इस प्रोजेक्ट में तकनीकी सहायता दी है. 2024 में भारत-मालदीव रक्षा समझौते के तहत भारतीय विशेषज्ञों ने भवन की सुरक्षा और डिज़ाइन में मदद की. मालदीव के रक्षा मंत्री ने कहा कि यह भवन हमारे देश की संप्रभुता को मजबूत करेगा. हालांकि, कुछ लोग इसे चीन के बढ़ते प्रभाव के जवाब के तौर पर देख रहे हैं.
पीएम मोदी का स्वागत देखकर तिलमिला जाएगा चीन
हालांकि, भारत और मालदीव के संबंधों में पिछले कुछ समय से काफी तनाव रहने के बावजूद पीएम मोदी का मालदीव में ऐसा स्वागत और सत्कार देखकर चीन तिलमिला जाएगा. दरअसल, चीन मालदीव पर से भारत के प्रभाव को कम कर अपना प्रभाव कायम करने की जुगत में लगा हुआ है. दो साल पहले साल 2023 में मोहम्मद मुइज्जु मालदीव के ‘भारत प्रथम की नीति’ का विरोध कर और मालदीव पर से भारत के प्रभाव को खत्म करने के वादे के साथ सत्ता में बहुमत के साथ आए थे.
मालदीव के सत्ता में आने के बाद मोहम्मद मुइज्जु ने अपनी आधिकारिक यात्रा नई दिल्ली के बजाए चीन की राजधानी बीजिंग की यात्रा की थी. मुइज्जु को उस यात्रा के दौरान के चीन ने मालदीव के साथ बिना किसी कीमत के गैर-घातक हथियारों के लिए एक समझौता किया और मालदीव के सैनिकों को प्रशिक्षण देने के लिए भी तैयार हो गया.
लेकिन आज दो साल के बाद भारत और मालदीव के संबंध फिर से पटरी पर लौटती नजर आ रही है. इससे चीन को मालदीव के जरिए हिंद महासागर में अपना प्रभाव जमाने की इच्छा बिखरती हुए दिख रही है.
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