विक्रम मिश्र, लखनऊ. यूपी पुलिस नामचीन अपराधियों को पकड़ने में भले कामयाब हो रही है, लेकिन साइबर अपराधी उसे लगातार चुनौती दे रहे हैं. इंटरनेट और मोबाइल के जरिए छेड़छाड़ से लेकर एटीएम की हेराफेरी, ऑनलाइन गेमिंग या फिर किसी के मोबाइल फोन पर खुद को अफसर बताकर आर्थिक अपराध धड़ल्ले से हो रहे हैं. हाईप्रोफाइल मामलों में तो पुलिस की रुचि भी है, लेकिन आम लोगों की शिकायतों पर सामान्य जांच-पड़ताल न होने से भी इन साइबर अपराधियों का मनोबल बढ़ रहा है.
साइबर अपराधियों की कारगुजारियां तो आए दिन सामने आ रही है. बीते दिनों 23 जुलाई 2025 को वोट्स गेमिंग वेबसाइट पर सट्टा लगाने के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश कर पुलिस ने 16 साइबर जालसाजों को गिरफ्तार किया था. ये लोग सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म पर अपनी गेमिंग साइट और ऐप के जरिए लोगों की गाढ़ी कमाई बटोर रहे थे.
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यह मामला शांत भी नहीं पड़ा था कि 25 जुलाई 2025 को डिजिटल अरेस्ट करने वाले गिरोह का खुलासा कर पुलिस ने सरगना सहित तीन जालसाजों को गिरफ्तार किया. यह गिरोह बीती 18 जुलाई 2025 को ऐशबाग क्षेत्र की रहने वाली रीता भसीन के मोबाइल फोन पर खुद को सीबीआई अफसर बताया और डरा-धमकाकर उनसे 56 लाख रुपए ट्रांसफर करा लिया था.
इन मामलों की चर्चा खत्म भी नहीं हुई कि साइबर अपराधियों ने एक रिटायर्ड डीआईजी को निशाना बना डाला. इसके अलावा साइबर जालसाजों ने एक रिटायर्ड बैंक कैशियर को डिजिटल अरेस्ट कर दस लाख रुपए ट्रांसफर करा लिया.
राजधानीवासियों की लालच को सीढ़ी बनाकर कोई न कोई गिरोह आए दिन उनकी गाढ़ी कमाई ठग ले रहा है. ठगी भी ऐसी जिसमें खुद अपनी रकम लुटाने वाला कम जिम्मेदार नहीं. गौर करें तो हर रोज हर समय मोबाइल फोन से लेकर समाचार पत्रों में सूचनाएं प्रसारित होती है कि कोई भी व्यक्ति खुद को सीबीआई या पुलिस अफसर बनकर उनके मोबाइल फोन काल करे तो सावधान रहें वह साइबर अपराधी हो सकता है.
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