अजयारविंद नामदेव, शहड़ोल। एक ओर जहां सड़क से संपर्क, विकास  जैसे बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर शहडोल के ब्यौहारी विधानसभा अंतर्गत आने वाले बुड़वा ग्राम की तस्वीरें उन सभी वादों और घोषणाओं को आइना दिखा रही हैं। आलम ये है गांव में सड़क नहीं होने से प्रसव पीड़िता को अस्पताल पहुंचाने के लिए परिजन चारपाई का सहारा लेने को मजबूर हैं।

ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां एक गर्भवती महिला को खटिया पर बैठाकर अस्पताल पहुंचाया गया। कंधों पर लेटी उम्मीदें और पगडंडी से भरे कीचड़नुमा रास्ते से संघर्ष के बाद गांव के लोगों के लिए सड़क आज भी सपना बन चुका है।

आदिवासी बाहुल्य शहडोल जिले के अंतिम छोर जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम बुड़वा के आदिवासी ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। गांव में सड़क तो दूर, प्रसव पीड़िता को अस्पताल पहुंचाने के लिए परिजन चारपाई का सहारा लेने को मजबूर हैं।  

ग्रामीणों ने बताया कि सालों से सड़क निर्माण की मांग की जा रही है। पर हर बार आश्वासन देकर मामले को टाल दिया जाता है। बारिश के दिनों में हालात और भी बदतर हो जाते हैं। तेज बारिश के बाद हालात इतने खराब हो जाते हैं कि बाइक, ऑटो, चारपहिया वाहन सब बंद हो जाते हैं। रास्ते इतने दलदली हो जाते हैं कि पैदल चलना भी जोखिम से भरा होता है। खेतों की पगडंडियों और कीचड़ भरे रास्तों में चलना किसी चुनौती से कम नहीं है। अब देखना होगा कि ‘खाट पर सिस्टम’ की शर्मनाक तस्वीर कब दिखना बंद होगा?

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