मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी रविवार को देहरादून में आयोजित अखिल भारतीय स्वर्णकार संघ की गोल्ड एपरेसल की कार्यशाला एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए. इस दौरान मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी स्वर्णकारों से आग्रह किया है कि वे उत्तराखण्ड के पारंपरिक आभूषणों को वैश्विक मंचों पर भी प्रस्तुत करने का प्रयास करें.

मुख्यमंत्री ने कहा है कि आज संपूर्ण विश्व भारतीय कला, संस्कृति और डिज़ाइन की ओर आकर्षित हो रहा है इसलिए हमें चाहिए कि हम अपने पारंपरिक डिज़ाइन को वैश्विक बाजार की मांग के अनुरूप ढालें, जिससे भविष्य में ‘लोकल टू ग्लोबल’ का सपना साकार हो सके. उन्होंने कहा कि स्वर्णकारों का यह प्रयास हमारी युवा पीढ़ी को भी अपनी संस्कृति और विरासत से जोड़ने का माध्यम बनेगा, जो आज आधुनिकता की दौड़ में अपने पारंपरिक आभूषणों और लोकशिल्प से विमुख होती जा रही है.

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मुख्यमंत्री ने स्वर्णकारों को आश्वस्त किया है कि यदि वह संगठन के माध्यम से कोई ठोस प्रस्ताव लेकर आते हैं, जो हमारे राज्य में स्वर्णकार समाज के कौशल विकास, पारंपरिक आभूषणों के संरक्षण और उनके वैश्वीकरण को बढ़ावा देने में सहायक हो तो राज्य सरकार उसे पूरा सहयोग प्रदान करेगी. सरकार राज्य में स्वर्णकार बोर्ड बनाने के विषय पर विचार करेगी.

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वर्णकार केवल आभूषणों का निर्माण नहीं करते, बल्कि भारत की गौरवशाली परंपरा और सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और उसे अगली पीढ़ियों तक पहुंचाने का कार्य भी करते हैं. हमारे इतिहास में स्वर्णकारों ने न केवल आभूषणों के माध्यम से भारतीय नारी की सुंदरता को सजाया है, बल्कि राजाओं-महाराजाओं के समय में मुद्रा निर्माण से लेकर मंदिरों की शिल्पकला तक में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में ‘वोकल फॉर लोकल’, ‘मेक इन इंडिया’, ‘मेड इन इंडिया’ और ‘स्टार्टअप इंडिया’ जैसी पहलों के माध्यम से ‘आत्मनिर्भर भारत’ के स्वप्न को साकार करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं. प्रधानमंत्री के अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप आज देश के कारीगरों, शिल्पकारों और स्वदेशी उत्पादों को न केवल नई पहचान मिल रही है, बल्कि वैश्विक मंच पर भी उनका गौरव बढ़ रहा है.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री “विकसित भारत 2047” के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में भारत को वैश्विक ज्वैलरी मैन्युफैक्चरिंग और डिजाइनिंग का हब बनाने के लिए प्रयासरत हैं. इस दिशा में केंद्र सरकार द्वारा आधारभूत संरचना के विकास, कौशल प्रशिक्षण, निर्यात संवर्धन और गुणवत्ता मानकों को सुनिश्चित करने के लिए बहुआयामी योजनाएं संचालित की जा रही हैं.