हरिश्चंद्र शर्मा, ओंकारेश्वर। श्रावण माह के तीसरे सोमवार को तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में आस्था का अनूठा संगम देखने को मिला। सुबह प्रातःकाल मंदिर के पट खुलने के साथ ही हजारों श्रद्धालुओं भगवान ओंकारेश्वर और ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन को उमड़ पड़े। मंदिर परिसर ‘हर हर महादेव’ और ‘जय नर्मदे’ के जयघोष से गूंज उठा। डिप्टी कलेक्टर व मंदिर प्रभारी मुकेश काशिव और तहसीलदार उदय मंडलोई ने जानकारी दी कि इस विशेष अवसर पर भीड़ को ध्यान में रखते हुए मंदिर के पट प्रातःकाल में खोल दिए गए। मंदिर के पुजारी पं. जगदीश परसाई द्वारा मंगल आरती के साथ ही दर्शन शुरू हो गए। श्रद्धालु सुबह से ही सुखदेव मुनि द्वार पर कतारों में लगकर अपने आराध्य के दर्शन के लिए पहुंचे।

महाभिषेक और महाश्रृंगार

शाम 4 बजे ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के पंचमुखी मुखोटे का कोठीतीर्थ घाट पर 251 पवित्र घटों से पंचामृत महाभिषेक किया जाएगा। वहीं ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के गर्भगृह में विशेष महाश्रृंगार संपन्न होगा। दोनों ही ज्योतिर्लिंगों की भव्य सवारियां भी नावों के माध्यम से नर्मदा नदी में नौका विहार करेंगी और नगर में शोभायात्रा के माध्यम से भक्तों को दर्शन देंगे।

चल समारोह में गुलाल पर रोक, फूलों से होगा स्वागत

मंदिर प्रशासन ने सवारी के दौरान गुलाल उड़ाने पर रोक लगाते हुए श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे स्वागत में गुलाब या अन्य फूलों की पंखुड़ियों का उपयोग करें। ओंकारेश्वर मंदिर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं पुनासा एसडीएम शिवम प्रजापति ने बताया कि यह निर्णय महिला, बच्चे और बुजुर्ग श्रद्धालुओं की सुरक्षा और धार्मिक गरिमा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

हवा में उड़ाने पर प्रतिबंध

उन्होंने कहा कि गुलाल उड़ाने की आड़ में कई बार असामाजिक तत्व अनुचित हरकतें कर बैठते हैं, जिससे श्रद्धालुओं को असुविधा होती है। अब गुलाल केवल पूजन सामग्री के रूप में चढ़ाया जा सकेगा, लेकिन हवा में उड़ाने पर प्रतिबंध रहेगा। प्रशासन के इस फैसले पर तीर्थनगरी में मिलीजुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ श्रद्धालुओं ने परंपरा में हस्तक्षेप बताते हुए विरोध दर्ज कराया। वहीं कई भक्तों ने इसे एक सकारात्मक पहल बताते हुए स्वागत किया।

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