Famous Shiva Temples in Chhattisgarh: भिलाई वैसे तो जिले के हर गांव और शहर के कोने-कोने में हजारों शिव मंदिर हैं, लेकिन भौगोलिक दृष्टि से देखें तो जिले की चारों दिशाओं में देवाधिदेव महादेव मिराजे हैं. कहीं साक्षात महादेव स्वयंभू शिवलिंग के रूप में हैं, तो कहीं साकार मूर्ति के रूप में प्रतिष्ठापित किए गए हैं. पूर्व में देवबलौदा, पश्चिम में ग्राम नगपुरा, उत्तर में शिवकोकड़ी और सहसपुर, तो दक्षिण में रानीतरई से लगे कोही में स्वयंभू शिवलिंग. इनके अलावा धमधा में बूढ़ेश्वर शिव मंदिर और चतुर्भुजी मंदिर है. कोड़िया में स्वयंभू शिवलिंग है.
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Ancient Shiva Temples In Bhilai
शिव मंदिर नगपुराः 12वीं सदी में बनवाया था (Ancient Shiva Temples In Bhilai)
ग्राम नगपुरा में पूर्वाभिमुख प्राचीन शिव मंदिर के गर्भ गृह में शिवलिंग विराजमान हैं. यह मंदिर योजना में पंचरथ है. 12वीं सदी में कलचुरी वंश के शासनकाल में बनवाया गया था. यह शिव मंदिर वास्तुकला का श्रेष्ठ नमूना है. मान्यताः महाशिवरात्रि और सावन में हर सोमवार को जलाभिषेक करने लोगों का तांता लगा रहता है. लोग यहां हर तरह के इच्छित फल की पूर्ति के लिए वहां पूजन करने आते हैं.
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शिव मंदिर सहसपुरः 13वीं-14वीं शताब्दी में फणी नागवंशी राजाओं ने बनवाया (Ancient Shiva Temples In Bhilai)
सहसपुर गांव में यह प्राचीन शिव मंदिर 13वीं-14वीं शताब्दी में फणी नागवंशी राजाओं ने बनवाया था. आमालक एवं बलश पुक्त शिखर भाग नागर शैली में है. मंडप षोडशखंभी (सोलह स्तंभों पर आधारित) है. गर्भगृह में जलधारी (योनिपीठ) पर शिवलिंग प्रतिष्ठापित हैं. मान्यतयाः विवाह, संतान, आरोग्य, कारोबार में सफलता जैसे हर अभिष्ट को पूर्ति यूद्देश्वर महादेव करते हैं.
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स्वयंभू शिवलिंग कौहीः शिवलिंग का छोर नहीं (Ancient Shiva Temples In Bhilai)
पाटन ब्लॉक के ग्राम कौही में खारून नदी के तट पर प्राचीन शिव मंदिर अपने स्वयंभू शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है. स्थानीय लोगों का मानना है कि शिवलिंग का आकार लगातार बढ़ रहा है. 25 फीट तक खुदाई करने के बाद भी अंतिम छोर नहीं मिल पाया. मान्यताः शिवलिंग के दर्शन मात्र से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है. कन्या शीघ्र विवाह व योग्य वर की आकांक्षा और कि संतान दंपती संतान की कामना लेकर आते हैं.
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भुईफोड़ महादेव शिवकोकड़ी (Famous Shiva Temples in Chhattisgarh)
आमनेर नदी के तट पर शिवकोकड़ी का यह प्राचीन शिव मंदिर है. किवदंती के अनुसार मंदिर का इतिहास करीव पांच सौ स्वल पुराना है. पुजारी बहादुर पुरी गोस्वामी ने बताया कि जमीन से शिवलिंग की ऊंचाई 10 फीट व मंदिर गर्भगृह में 4 फीट है. मानाताः मात पूरी करने वाले शिवलिंग को लोग मात माले बाबा के नाम से भी पुकारते हैं. आस-पास के लोग शादी का पहला न्यौता यहां भगवान शिव को देते हैं.
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देवबलौदा मंदिर का शिखर ही नहीं है (Famous Shiva Temples in Chhattisgarh)
यह प्राचीन मंदिर 12वीं-13वीं शताब्दी में कलचुरी राजवंश के दौरान बनाया गया था. शिवलिंग भूगर्भ से ही निकला हुआ माना जाता है. बलुआ प्रस्तर से बने मंदिर का शिखर नहीं है. खजुराहो की तर्ज पर शिव व कई देवी-देवताओं को नक्काशीदार प्रतिमाएं हैं. मान्यता. यहां भोलेनाथ साक्षात विराजते हैं और हर भक्त की मुराद पूरी करते हैं. महिलाएं संतान और कन्याएं योग्य यर की कामना के साथ ही पूरा करती हैं.
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