रायपुर। छत्तीसगढ़ की एक बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर है, किसानों की इस बड़ी तादाद ने ही राज्य को “धान का कटोरा”बनाया है। मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सँभालने के बाद विष्णुदेव साय ने स्पष्ट कर दिया था कि उनकी सरकार का पहला लक्ष्य किसानों को सशक्त बनाना है। इसी दिशा में खाद-बीज की समय पर, गुणवत्तापूर्ण और पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देशों के अनुरूप राज्य में किसानों के हित में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। शासन की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ किसानों को समय पर और पारदर्शी तरीके से उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन और सहकारिता विभाग मिलकर निरंतर कार्य कर रहे हैं।मुख्यमंत्री ने कहा है कि “किसानों को खाद-बीज के लिए किसी भी तरह की दिक्कत का सामना न करना पड़े, इस संबंध में पहले से ही पर्याप्त व्यवस्था की जानी चाहिए।” उन्होंने सोसायटियों में खाद-बीज के भंडारण और वितरण में लापरवाही बरतने वालों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही के भी निर्देश दिये है।

खाद-बीज संकट की पुरानी समस्या और विष्णुदेव साय सरकार की प्राथमिकताएँ
आरम्भ से ही छत्तीसगढ़ के किसानों को अक्सर समय पर खाद और बीज की अनुपलब्धता से जूझना पड़ता था। खरीफ और रबी की शुरुआत में लंबी कतारें, कालाबाज़ारी, नकली खाद और खराब गुणवत्ता वाले बीजों की बिक्री जैसी समस्याएँ छत्तीसगढ़ में आम थीं। इससे न केवल उत्पादन प्रभावित होता था, बल्कि किसान कर्ज़ में भी डूब जाते थे।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अपने खेती-किसानी के दीर्घ अनुभव के आधार पर कहा है कि “खरीफ सीजन में किसान भाईयों द्वारा डी.ए.पी. खाद की मांग ज्यादा की जाती है। इसको ध्यान में रखते हुए डी.ए.पी. खाद की मांग और सप्लाई पर विशेष निगरानी रखी जानी चाहिए। उन्होंने खाद-बीज की गुणवत्ता को लेकर भी सेंम्पलिंग एवं प्रयोगशाला के माध्यम से जांच का विशेष अभियान संचालित किया जाए। उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों को अपने-अपने इलाके में खाद-बीज की मांग, भंडारण, उठाव एवं गुणवत्ता की मांनिटरिंग के निर्देश दिये है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कृषि को “राज्य की रीढ़” बताते हुए यह स्पष्ट किया कि “कृषि आदानों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। नकली या मिलावटी बीज और खाद की बिक्री पर कठोर कार्रवाई होगी। सहकारी समितियों को मज़बूत किया जाएगा ताकि वितरण प्रणाली पारदर्शी हो। किसानों की शिकायतों के निवारण के लिए हेल्पलाइन और निगरानी व्यवस्था बनाई जाएगी।”
सहकारी समितियों को दी गई मज़बूती
राज्य की 2,000 से अधिक प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों (PACS) को तकनीकी रूप से उन्नत किया गया है। इन समितियों को अब खाद की डिजिटल इन्वेंट्री और डिमांड-मैचिंग प्रणाली से जोड़ा गया है, जिससे स्टॉक की जानकारी रियल टाइम में मिलती है।अग्रिम आपूर्ति और स्टॉक प्रबंधन के लिए छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने खरीफ और रबी सीजन से पहले ही राज्य सरकार ने खाद की खरीद और भंडारण की योजना बनाई। राज्य के 530 से अधिक भंडारण गोदामों में यह खाद सुरक्षित रखी गई।

साय सरकार ने बना दिया ठोस DAP उर्वरक का स्मार्ट विकल्प, नैनो DAP
छत्तीसगढ़ सरकार किसानों को रासायनिक उर्वरकों की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए लगातार प्रयासरत है। खरीफ 2025 के दौरान डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) की कमी को ध्यान में रखते हुए राज्य शासन ने इसके व्यवहारिक विकल्प के रूप में नैनो डीएपी के भंडारण एवं वितरण की विशेष व्यवस्था की है। इसके साथ ही एनपीके और एसएसपी जैसे वैकल्पिक उर्वरकों का भी लक्ष्य से अधिक मात्रा में भंडारण कराया गया है। खेती में ठोस डीएपी उर्वरक की कमी को पूरा करने के लिए किसानों को उसके विकल्प के अनुरूप कृषि वैज्ञानिकों के सुझाव के अनुरूप नैनो डीएपी अथवा एनपीके और सिंगल सुपर फास्फेट खाद की मात्रा का उपयोग करने की सलाह दी जा रही है। नैनो डीएपी एक आधुनिक, किफायती और प्रभावशाली तरल उर्वरक है, जो पारंपरिक डीएपी की तुलना में कहीं अधिक उपयोगी और पोषक तत्वों से भरपूर है।

बीज की गुणवत्ता और वितरण प्रणाली
प्रदेश के किसानों को प्रमाणित बीजों की आपूर्ति के लिए राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि किसानों को केवल “सर्टिफाइड सीड” ही मिले। इसके लिए छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम (CSCDC) को केंद्र सरकार और ICAR से तकनीकी सहयोग मिला है।
बीज उत्पादन की स्थानीय नीति
छत्तीसगढ़ में बीज उत्पादन को स्थानीय स्तर पर बढ़ावा देने के लिए बीज ग्राम योजना का विस्तार किया गया।स्थानीय किसानों को बीज उत्पादन में प्रशिक्षित कर बीज विक्रेताओं के रूप में जोड़ा गया। लगभग 1,200 बीज उत्पादन केंद्रों की स्थापना की गई।
डिजिटल तकनीक का उपयोग
ई-खाद वितरण प्रणाली तैयार करने के तहत छत्तीसगढ़ की राज्य सरकार ने एक नया पोर्टल विकसित किया है जिसमें किसानों का आधार और मोबाइल नंबर पंजीकृत है। खाद-बीज की खरीद रसीद डिजिटल रूप में मिलती है।किसान अपनी जरूरत के अनुसार ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं। हेल्पलाइन और शिकायत समाधान के लिए ‘कृषि समाधान कॉल सेंटर’ की स्थापना की गई है, जो किसानों की शिकायतें जैसे खाद न मिलना, नकली बीज मिलना, इत्यादि का त्वरित समाधान करता है।
वितरण प्रक्रिया में पारदर्शिता और निगरानी
वॉचडॉग यूनिट की स्थापना के अंतर्गत जिला स्तर पर “खाद बीज निगरानी समिति” गठित की गई है, जिसमें प्रशासन, कृषि विभाग और किसान प्रतिनिधि शामिल हैं। ये समितियाँ खाद वितरण पर निगरानी रखती हैं। स्टॉक रजिस्टर का भौतिक सत्यापन करती हैं।कालाबाज़ारी की सूचना पर कार्रवाई करती हैं। ड्रोन और जीआईएस तकनीक से खाद और बीज के वितरण की निगरानी के लिए सरकार ड्रोन और जीआईएस मैपिंग तकनीक का भी सहारा ले रही है, खासकर दूरदराज के इलाकों में।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आगामी खरीफ सीजन के मद्देनजर सोसायटियो में पर्याप्त मात्रा में खाद बीज की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिये है। मुख्यमंत्री ने कृषि एवं सहकारिता विभाग के अधिकारियों को मानक स्तर के खाद-बीज का भंडारण एवं उठाव की स्थिति पर निरंतर निगरानी रखने को कहा है। उन्होंने आगामी 15 जून तक किसानों को उनकी डिमांड के आधार पर गुणवत्तापूर्ण खाद-बीज प्रदाय किये जाने की व्यवस्था सोसायटियों के माध्यम से करने को कहा है।
विभागीय जानकारी के अनुसार खरीफ सीजन 2024-25 के लिए राज्य में 13.68 लाख मैट्रिक टन उर्वरकों की मांग के विरूद्ध तक 9.13 लाख मैट्रिक टन उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित कर ली गयी है, जो मांग का 67 प्रतिशत है। सोसायटियों से किसानों को खाद-बीज का लगातार वितरण जारी है। राज्य में खाद-बीज की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए जांच-पड़ताल एवं नमूने लिये जाने की कार्यवाही जारी है। रासायनिक उर्वरकों एवं जैव उर्वरकें के गुण नियंत्रण के लिए 1067 नमूने लिये गए है, जिनकी जांच गुण नियंत्रक प्रयोगशाला में करायी जा रही है। सोसायटियों में विभिन्न खरीफ फसलों के बीज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।
खरीफ सीजन 2024-25 में 5 लाख 59 हजार 203 क्विंटल बीज की मांग के विरूद्ध 6 लाख 39 हजार 4 क्विंटल बीज की उपलब्ध है, जो कि मांग का 114 प्रतिशत है। सोसायटियों से किसान लगातार बीज का उठाव कर रहे है। अब तक 03 लाख 75 हजार क्विंटल बीज का उठाव किसानों ने किया है, जो कि बीज की डिमांड का 67 प्रतिशत है।
किसानों के लिए लाभकारी योजनाएं
मुख्यमंत्री खाद सहायता योजना के तहत लघु और सीमांत किसानों को 25% तक खाद की सब्सिडी दी जा रही है। एक किसान को अधिकतम 50 किलो यूरिया और 20 किलो डीएपी पर सब्सिडी दी जा रही है। मुख्यमंत्री बीज प्रोत्साहन योजना में उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की कीमत का 50% हिस्सा राज्य सरकार उठा रही है। HYV बीजों (High Yielding Varieties) को प्राथमिकता दी जा रही है। राज्य के मुख्यमंत्री के नेतृत्व में खरीफ सत्र 2025-26 में भी अधिक से अधिक कृषकों को योजना का लाभ पहुँचाने का प्रयास किया जा रहा है। कृषि विभाग द्वारा कृषकों की आवश्यकताओं के अनुसार बीज का भण्डारण किया गया है। सभी ज़िले के जिला विपणन अधिकारी द्वारा खाद की आपूर्ति की जा रही है। जिसका वितरण समितियों (लेम्पस) के द्वारा किया जा रहा है। सुनिश्चित किया जा रहा है कि जिले में पर्याप्त मात्र में खाद बीज उपलब्ध हैं, यदि नही तो किसानों की माँग के अनुसार किसानों को खाद, बीज उपलब्ध कराई जा रही है। राज्य शासन के निर्देशानुसार खाद वितरण प्रक्रिया को पारदर्शी, सरल और सुविधाजनक बनाया गया है, जिससे कोई भी किसान वंचित न हो।
राज्य सरकार के द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड योजना अंतर्गत कृषकों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है, जिसके अंतर्गत कृषकों का उनकी कृषि भूमि के आधार पर एवं खाद बीज हेतु भी साख सीमा उपलब्ध कराई जा रही है। योजनान्तर्गत अबतक 6588 कृषकों द्वारा केसीसी का लाभ लिया गया है, जिसके अंतर्गत 34 करोड़ 13 लाख रूपये कृषकों को कृषि ऋण के रूप में उनके खातों में अंतरण किया गया एवं 3 करोड़ 16 लाख रूपए का खाद बीज प्रदाय किया गया है।
आदिवासी और वनांचल क्षेत्रों के लिए व्यवस्था
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आदिवासी बहुल और नक्सल प्रभावित जिलों जैसे बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा, नारायणपुर आदि में विशेष खाद वितरण शिविर आयोजित करवाए हैं । इन क्षेत्रों में खाद-बीज ट्रकों के माध्यम से गाँव-गाँव जाकर वितरित किए गए।
भविष्य की योजनाएं
- मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ‘एक जिला, एक बीज बैंक’ की अवधारणा लागू करना।
- बीज परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना प्रत्येक संभाग में करना।
- फर्टिलाइज़र ट्रैकिंग ऐप सभी किसानों को प्रदान करना।
- खाद सब्सिडी के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) लागू करना।
आत्मनिर्भर किसान, समृद्ध छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ सरकार की खाद-बीज वितरण नीति अब केवल आपूर्ति नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की ओर एक निर्णायक कदम है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का स्पष्ट दृष्टिकोण, तकनीकी नवाचार, पारदर्शी वितरण प्रणाली और किसानों से सीधे संवाद ने इस प्रणाली को मॉडल बना दिया है। खाद-बीज की पर्याप्त उपलब्धता से कृषि उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है, किसान आत्मविश्वास से भर रहे हैं और छत्तीसगढ़ का भविष्य समृद्धि की ओर बढ़ रहा है। राज्य में खाद की गुणवत्ता और मूल्य नियंत्रण को लेकर लगातार निरीक्षण किया जा रहा है। निजी दुकानों और व्यापारियों के खाद स्टॉक की नियमित जांच की जा रही है। किसानों को शासन द्वारा निर्धारित दर पर खाद उपलब्ध हो, यह सुनिश्चित किया जा रहा है।
निरीक्षण के दौरान खाद के नमूने लिए जा रहे हैं, और अगर कोई उर्वरक अमानक पाया जाता है तो सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार की यह पहल किसानों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आई है। समय पर खाद-बीज की उपलब्धता से न केवल खेती का कार्य सुचारु रूप से चल रहा है, बल्कि किसानों में आत्मविश्वास और संतुष्टि भी बढ़ी है।
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