Bihar News: बिहार सरकार ने राज्य की लगभग एक लाख आंगनबाड़ी सेविकाओं को बड़ी राहत दी है। अब हर सेविका को स्मार्टफोन खरीदने के लिए सीधे उनके बैंक खाते में 11,000 रुपये की राशि दी जाएगी। यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि सेविकाएं अपनी जरूरत के अनुसार मोबाइल फोन खरीद सकें। पहले योजना थी कि सरकार उन्हें मोबाइल फोन उपलब्ध कराएगी, लेकिन अब इसकी जगह उन्हें नकद राशि दी जाएगी। यह फंड समाज कल्याण विभाग को वित्त विभाग द्वारा आवंटित किया गया है।
पोर्टल पर अपलोड करनी होती है लाभार्थियों की तस्वीरें
आज के डिजिटल युग में सेविकाओं के कार्य भी तकनीकी रूप से अपडेट हो गए हैं। अब बच्चों की उपस्थिति से लेकर पोषण संबंधी जानकारी तक सभी विवरण ऑनलाइन पोषण ट्रैकर पोर्टल पर दर्ज किए जाते हैं। हाल में शुरू की गई फेस कैप्चरिंग प्रक्रिया के तहत सेविकाओं को लाभार्थियों की तस्वीरें लेकर पोर्टल पर अपलोड करनी होती हैं, जिससे सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।
90 प्रतिशत सेविकाओं के पास स्मार्टफोन नहीं
फिलहाल करीब 80 से 90 प्रतिशत सेविकाओं के पास स्मार्टफोन नहीं हैं, जिससे काम में देरी हो रही थी। लेकिन अब मोबाइल मिलने से न केवल डेटा समय पर अपलोड किया जा सकेगा, बल्कि फेस कैप्चरिंग प्रक्रिया भी तेज होगी। इससे सेविकाओं के काम की निगरानी और मूल्यांकन बेहतर ढंग से किया जा सकेगा। साथ ही “मोबाइल न होने” के बहाने भी खत्म होंगे।
नई योजना में आएगी सुधार
बिहार में कुल 1,15,000 आंगनबाड़ी केंद्र हैं और इस योजना से वहां कार्यरत सेविकाओं को सीधे लाभ मिलेगा। आईसीडीएस के आंकड़ों के मुताबिक कई जिलों में अब तक आधे से भी कम लाभार्थियों की तस्वीरें ही अपलोड की जा सकी हैं। जैसे, पटना जिले में केवल 60% लाभार्थियों की फेस कैप्चरिंग हो पाई है। उम्मीद है कि यह नई योजना इस स्थिति में सुधार लाएगी।
सरकार ने यह भी स्पष्ट निर्देश दिया है कि राशि मिलने के एक सप्ताह के भीतर सेविकाएं मोबाइल खरीदकर उसकी जानकारी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को देंगी। इसके बाद जिला स्तर पर रिपोर्ट आईसीडीएस निदेशालय को भेजी जाएगी, ताकि योजना का सख्ती से पालन हो सके। यह कदम राज्य में पोषण और बाल विकास कार्यक्रमों के डिजिटलीकरण को गति देगा और महिलाओं व बच्चों की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने में मदद करेगा।
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