इटावा. धार्मिक कथा कार्यक्रम में कथावाचकों पर लगे आरोपों में नया मोड़ आया है. कथावाचकों को इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहत मिल गई है. अदालत ने दोनों कथावाचकों को अग्रिम जमानत दे दी है. निचली अदालत ने जमानत याचिका खारिज की थी जिसके बाद दोनों ने हाईकोर्ट की शरण ली थी. हाईकोर्ट ने माना कि प्राथमिकी में विरोधाभास हैं. गिरफ्तारी से न्याय प्रभावित हो सकता है. इस मामले ने जातीय ध्रुवीकरण और सियासी बयानबाजी को भी जन्म दिया था.

बता दें कि बीते 18 जुलाई को बहुचर्चित प्रकरण में आरोपी कथावाचक मुकुट मणि यादव और संत सिंह की अग्रिम जमानत याचिका जिला न्यायालय ने खारिज कर दी थी. एडीजे-7 न्यायालय की न्यायाधीश राखी चौहान ने इस मामले में दोनों कथावाचकों की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि आरोपीगण ने आर्थिक लाभ के उद्देश्य से फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किए और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है. कोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए पुलिस को शीघ्र गिरफ्तारी के निर्देश भी दिए थे.

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गौरतलब है कि बीते 21 जून को दांदरपुर गांव में कथावाचन के दौरान मुख्य यजमान की शिकायत पर कथावाचकों पर फर्जी आधार कार्ड दिखाकर आयोजन कराने और जाति छुपाने का आरोप लगाया गया था. इसके बाद ग्रामीणों द्वारा कथित रूप से कथावाचक के साथ मारपीट कर बाल भी काटे गए थे.

इस प्रकरण में धार्मिक भावनाओं को आहत करने, फर्जी दस्तावेजों के प्रयोग और झूठी पहचान प्रस्तुत करने का मुकदमा दर्ज हुआ. जिसकी जांच वर्तमान में झांसी पुलिस द्वारा की जा रही है. कथावाचक पक्ष के अधिवक्ता मनोज शाक्य ने कहा कि “पुलिस और जिला प्रशासन सत्ता के दबाव में कार्य कर रहे हैं. हम जिला न्यायालय के आदेश के विरुद्ध अब इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए अपील करेंगे.”