सोमवार का व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और मानसिक शांति हेतु रखा जाता है. लेकिन क्या यह व्रत सभी लोगों के लिए समान रूप से प्रभावकारी होता है? कई लोग बिना ज्योतिषीय विचार किए इस व्रत को शुरू कर देते हैं, जबकि शास्त्रों के अनुसार, सोमवार का व्रत तभी फलदायी होता है जब किसी की कुंडली में चंद्रमा कमजोर या पीड़ित हो.

ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा मन, भावना और मानसिक स्थिरता का प्रतिनिधि ग्रह माना गया है. यदि चंद्रमा कुंडली में नीच का हो, पाप ग्रहों से दृष्ट हो या छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो, तो जातक को मानसिक तनाव, असमंजस, अस्थिरता या नींद संबंधी समस्याएं हो सकती हैं.

ऐसे में सोमवार का व्रत विशेष रूप से लाभकारी सिद्ध होता है. लेकिन जिनकी कुंडली में चंद्रमा मजबूत, शुभ भावों में स्थित और उच्च का हो, उनके लिए सोमवार का व्रत आवश्यक नहीं माना जाता. बिना आवश्यकता के व्रत करना कई बार शरीर और ऊर्जा के लिए निष्फल या थकाऊ भी हो सकता है.

इसलिए किसी भी व्रत को शुरू करने से पहले अपनी कुंडली का परीक्षण किसी योग्य ज्योतिषाचार्य से अवश्य कराएं. व्रत तभी असरकारी होते हैं जब वे ग्रहों की स्थिति के अनुरूप और उद्देश्यपूर्ण हों. धार्मिक विश्वास जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है सही मार्गदर्शन भी. बिना कुंडली देखे व्रत करना कभी-कभी अध्यात्मिक लाभ की बजाय केवल मानसिक संतोष भर देता है. जबकि उद्देश्य जीवन में बदलाव और सुधार होना चाहिए.