रायपुर। बोरियाखुर्द में 25 एकड़ में अवैध प्लाटिंग और निर्माण के मामले में नगर निगम के अधिकारियों ने बड़े कॉलोनाइजर-बिल्डर के खिलाफ प्रकरण पुलिस को सौंपा है. यह पहला मौका है जब निगम ने रायपुर के बड़े बिल्डर और कॉलोनाइजर के खिलाफ पुलिस को कोई प्रकरण सौंपा है.
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आमतौर पर अब तक यह कहा जाता रहा है कि छोटे भूमाफिया किसानों से जमीन का सौदा करके प्लाट काटकर बेचते हैं. स्थानीय ग्रामीणों की भी संलिप्तता रहती है. पहली बार किसी बिल्डर का नाम सामने आने के बाद यह कहा जा रहा है कि इस संगठित अपराध में बड़े लोग भी सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं. हालांकि, इस मामले में पुलिस ने अब तक एफआईआर दर्ज नहीं की है.

369 प्रकरण में 20 पर ही केस
राजधानी में अवैध प्लाटिंग करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं होने के कारण उनके हौसले बुलंद है. एक तरफ नगर निगम प्लाटिंग एरिया में पहुंचकर वहां बनाई गई मुरुम और आरसीसी सड़कों को काटने की कार्रवाई करता है. दूसरी तरफ, भूमाफिया प्लाट बेचने में व्यस्त रहते हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि प्रशासन ऐसे भूमाफियाओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई में पीछे है.
आंकड़ों पर नजर डालें तो रायपुर में अब तक नगर निगम ने 369 प्रकरण बनाकर उन्हें स्थानीय पुलिस को भेजा है, लेकिन पिछले पांच साल में पुलिस ने 20 मामलों में ही एफआईआर दर्ज की है. अभी कोई प्रकरण कोर्ट तक नहीं पहुंचा है. इस वजह से भूमाफियाओं के हौसले बुलंद हैं. आउटर में बोरियाखुर्द, डुंडा, भाठागांव, कचना, सड्दू, दलदल सिवनी, हीरापुर – जरवाय, सोनडोंगरी, जोरा, सरोना, राजेंद्र नगर, अमलीडीह, देवपुरी, लालपुर, मठपुरैना आदि इलाके अवैध प्लाटिंग के लिए कुख्यात हैं.
इसीलिए फल-फूल रहा कारोबार
शहर की अवैध प्लाटिंग के फलने-फूलने की मुख्य वजह दूसरे प्रदेश से आने वाले लोग हैं. राजधानी बनने के बाद यूपी, बिहार, झारखंड और आसपास के पड़ोसी राज्यों से बड़ी संख्या में लोग छत्तीसगढ़ और रायपुर शिफ्ट होने लगे हैं. जीरो पावर कट राज्य और राजधानी होने के साथ-साथ यहां पर तीनों ही मौसम सामान्य जीवन के लिए अनुकूल है. ना बहुत अधिक ठंड पड़ती है, ना ज्यादा गर्मी और ना ही बहुत भारी वर्षा होती है.
अपराध का ग्राफ भी अन्य राज्यों के मुकाबले कम है. इसलिए दूसरे प्रदेश के लोगों के लिए छत्तीसगढ़ और खासकर राजधानी काफी सुविधाजनक है. इसलिए आउटर की अवैध कालोनियों और प्लाटिंग में जमीन खरीदने वाले 80 से 85% दूसरे राज्यों से आने वाले लोग हैं. पिछले 50-100 साल से रायपुर में रहने वाले लोग आउटर में जाकर मकान खरीदना या बनाना ही नहीं चाहते.
एक भी भूमाफिया पर नहीं कसा शिकंजा
अवैध प्लाटिंग छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम और नगर पालिका अधिनियम के तहत अपराध है. मुख्य रूप से नगर निगम, नगर पालिका अधिनियम 1956 की धारा 292 के तहत अवैध प्लाटिंग पर कार्रवाई कर रहा है. नगर निगम को कार्रवाई के तहत अवैध प्लाटिंग को ध्वस्त करने, अधिग्रहण का अधिकार है. कानूनी अधिकार पुलिस को है. इसलिए निगम ने अब तक हुई कार्रवाई का प्रकरण बनाकर पुलिस को सौंप दिया है.
इस मामले में अब तक न तो किसी की गिरफ्तार हुई है और न ही एक भी प्रकरण कोर्ट में प्रस्तुत किया जा सका है. निगम के अफसरों के अनुसार अवैध प्लाटिंग के मामले में एक लाख रुपए तक का अर्थदंड और कारावास का भी प्रावधान है. एक भी भूमाफिया अब तक पुलिस के शिकंजे में नहीं आया है. इस वजह से भूमाफिया बेखौफ अवैध प्लाटिंग कर रहे हैं.
दावा – लगातार पुलिस में भेजे जा रहे प्रकरण
रायपुर नगर निगम के नगर निवेशक आभाष मिश्रा बताते हैं कि हम नगर पालिका निगम अधिनियम 1956 की धारा 292 के तहत कार्रवाई करते हैं. अवैध प्लाटिंग को रोकने के लिए हमें प्लाटिंग एरिया को तहस-नहस करने, रोड-रास्ते काटने का अधिकार है. कानूनी कार्रवाई के लिए हम प्रकरण बनाकर पुलिस को भेज देते हैं.
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