Sawan 2025: सावन सोमवार के अंतिम दिन शिव मंदिरों में सुबह से आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु जल, बेल पत्र और दूध लेकर शिव जी की पूजा करने पहुंचे। ओंकारेश्वर, वनखंडेश्वर और कुण्डेश्वर में भक्तों का तांता लगा है।
वनखंडेश्वर महादेव के दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालु
रवि रायकवार, दतिया। वैसे तो दतिया में कई प्राचीन शिव मंदिर हैं और सभी शिव मंदिरों में सुबह से श्रद्धालुओं का तांता लगा है। लेकिन पीतांबरा पीठ परिसर में स्थित वनखंडेश्वर महादेव में पूरे दिन में हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। मान्यता है कि यहां स्थापित शिवजी महाभारत कालीन हैं। इनकी स्थापना पांडवों ने की थी l

शिव धाम कुंडेश्वर में महादेव के दर्शन
मुकेश सेन, टीकमगढ़। मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ शहर से महज 6 किलोमीटर दूरी पर स्थित शिव धाम कुण्डेश्वर में धूमधाम से मना आज चोथा आख़री सावन सोमवार का पर्व, आज सुबह से ही शिव भक्तों का हजारों की संख्या में दर्शन करने के लिए उमड़े श्रद्धालु, हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवान शिव जी के दर्शन किए।
कुंडेश्वर भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए समूचे बुन्देलखण्ड भर से श्रद्धालु आते हैं। ऐसी मान्यता है कि यह शिवलिंग प्रतिवर्ष एक चावल के आकार में बढ़ता है। प्रारंभ में शिवलिंग का आकार छोटा था। पर आज यह एक विशाल शिवलिंग है। 1938 में खुदाई के समय 7 जलाधरी टूटी हुई निकली थी। इससे शिवलिंग के मोटे होने की पुष्टि होती है।

इस समय शिवलिंग जिस जलाधरी को धारण किये है। वह जलाधरी शिवलिंग की मोटाई के कारण बाहर नहीं निकाली जा सकती है। ऐसा कहा जाता है कि यहां रात्रि के समय अनेक सिद्ध प्रकट होकर शिवजी की पूजा आराधना करते हें। अनेक बार लोगों को सिद्वों के दर्शन भी हुए हैं। आज भी प्रतिदिन शिवलिंग पर प्रातः पट खोलते ही जल चढ़ा हुआ मिलता है।
ओंकारेश्वर-ममलेश्वर की चांदी की पालकी में निकलेगी भव्य सवारी
हरिश्चंद्र शर्मा, ओंकारेश्वर। सावन माह का अंतिम सोमवार (4 अगस्त) ओंकारेश्वर में शिवभक्तों के लिए आस्था और उल्लास का पर्व बनने जा रहा है। इस अवसर पर भगवान ओंकारेश्वर और ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग की भव्य महा सवारी चांदी की पालकी में नगर भ्रमण पर निकलेगी।
सावन माह के अंतिम सोमवार को दर्शन सुबह 4 बजे से शुरू
मंदिर के प्रभारी डिप्टी कलेक्टर मुकेश काशिव और तहसीलदार उदय मंडलोई ने जानकारी दी कि मंदिर के पट सोमवार प्रातः 4:00 बजे श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु खोल दिए जाएंगे। दोपहर 3:00 बजे मंदिर के पंडितों द्वारा भगवान की पालकी की पूजा-अर्चना व आरती की जाएगी, जिसके बाद ट्रस्ट के प्रबंध ट्रस्टी राव देवेंद्र सिंह भगवान ओंकारेश्वर की सवारी को रवाना करेंगे।

गुलाब वर्षा और महाभिषेक
भगवान ओंकारेश्वर की पालकी जैसे ही मंदिर परिसर से प्रस्थान करेगी, वहां उपस्थित हजारों श्रद्धालु गुलाब की वर्षा कर स्वागत करेंगे। सवारी आदि शंकराचार्य गुफा होते हुए कोटीतीर्थ घाट पहुंचेगी, जहां भगवान के रजत मुखोटे का नर्मदा स्नान और 51 पंडितों द्वारा महाभिषेक किया जाएगा। वैदिक आचार्य पंडित राजराजेश्वर दीक्षित के मार्गदर्शन में सभी धार्मिक अनुष्ठान संपन्न होंगे।
नौका विहार और नगर भ्रमण
संध्या 4:30 बजे भगवान ओंकारेश्वर की सवारी नौकाओं में विराजमान होकर पवित्र नर्मदा में नौका विहार करेगी। इसके बाद पालकी गोमुख घाट, महानिर्वाणी अखाड़ा और जूना अखाड़ा होते हुए नगर भ्रमण के लिए निकलेगी।
इसी प्रकार भगवान ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग की सवारी भी ठीक 3:00 बजे मंदिर से रवाना होकर गोमुख घाट पहुंचेगी, वहाँ स्नान व पूजन के बाद नौका विहार के उपरांत ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की सवारी के साथ नगर भ्रमण में सम्मिलित हो जाएगी।
भक्तों की सेवा भावना
नगर के विभिन्न स्थानों पर भक्तों द्वारा फलाहारी खिचड़ी, मिठाई और जल सेवा के पंडाल लगाए गए हैं। हजारों श्रद्धालु भोलेनाथ की जयघोष के साथ सवारी में शामिल होंगे।
नगर भ्रमण का मार्ग
दोनों सवारियां शाम 5:30 बजे ममलेश्वर मंदिर पहुंचेगी, जहाँ 56 प्रकार के मिष्ठानों से भोग अर्पित किया जाएगा। वहां से यात्रा गजानन भक्त निवास, बालवाड़ी, पुराने बस स्टैंड होते हुए मुख्य बाजार और जेपी चौक पहुंचेगी। रात्रि 9:00 बजे जेपी चौक पर पुष्प वर्षा और स्वागत किया जाएगा।
रात्रि 10:00 बजे भगवान ओंकारेश्वर की सवारी पुराने पुल से होते हुए शिवपुरी रोड पहुंचेगी और रात 11:30 बजे मंदिर में प्रवेश कर आरती के साथ विश्राम (शयन) होगा।
इसी क्रम में भगवान ममलेश्वर की सवारी भी रात्रि 11:00 बजे मंदिर पहुंचकर शयन आरती के साथ विश्राम करेगी।
नवीन बस स्टैंड से आगे किसी भी वाहन को नगर प्रवेश की अनुमति नहीं
भारी भीड़ को देखते हुए नवीन बस स्टैंड से आगे सभी वाहनों के नगर में प्रवेश पर प्रतिबंध रहेगा। पुलिस प्रशासन और स्वयंसेवक व्यवस्था में तैनात रहेंगे।
सावन के इस अंतिम सोमवार को ओंकारेश्वर में भक्ति, सेवा और अनुशासन की त्रिवेणी बहेगी। यह आयोजन केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि श्रद्धा और संस्कृति का उत्सव होगा।
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