Kerala Two Rupees Doctor AK Rairu Gopal Died: “दो रुपये वाले डॉक्टर” (‘Two Rupees डॉक्टर) के नाम से मशहूर केरल के डॉक्टर एके रायरू गोपाल का निधन हो गया है। डॉक्टर एके रायरू गोपाल 2 जुलाई 2025 (शनिवार ) को 80 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। बुजुर्गावस्था से जुड़ी बीमारियों के कारण उनका निधन हुआ है। डॉक्टर एके रायरू पिछले 50 साल (पांच दशक) से अपने क्लीनिक में मात्र 2 रुपए में गरीब मरीजों का इलाज करते आ रहे थे। उनके परिवार में पत्नी, एक बेटा और एक बेटी हैं।
कन्नूर स्थित अपने आवास से एक छोटा सा क्लिनिक चलाने वाले डॉ. गोपाल पांच दशकों से भी ज्यादा समय तक वंचितों के लिए आशा की किरण बने रहे।
डॉ. गोपाल हर रोज सुबह 4 बजे से शाम 4 बजे तक अपने निवास ‘लक्ष्मी’ में स्थित क्लिनिक में मरीजों का इलाज करते थे। बच्चे, बुजुर्ग, युवा- उनके पास कन्नूर और आसपास के जिलों से सैकड़ों मरीज आते थे। वे परामर्श के लिए मात्र 2 रुपये लेते थे। यह शुल्क इतना मामूली था कि उन्हें “दो रुपये वाले डॉक्टर” का उपनाम मिल गया। सभी के लिए वे ‘जनता के डॉक्टर’ और ‘दो रुपये वाले डॉक्टर’ (Two Rupee Doctor) के नाम से प्रसिद्ध थे।
गरीब मरीजों को देते थे मुफ्त दवाइयां
हाल के वर्षों में उनकी तबीयत को देखते हुए इलाज का समय बदलकर सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक कर दिया गया था। डॉ. गोपाल सिर्फ इलाज ही नहीं करते थे, बल्कि जो मरीज दवाइयां नहीं खरीद सकते थे, उन्हें निःशुल्क दवा भी देते थे। मई 2024 में उन्हें अपनी स्वास्थ्य स्थिति के कारण क्लिनिक बंद करना पड़ा, जिससे क्षेत्र के गरीब मरीजों को गहरा झटका लगा। उनका अंतिम संस्कार कन्नूर के पय्यंबलम में रविवार दोपहर किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने जताया शोक
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने डॉ. रैरु गोपाल के निधन पर शोक जताया और उन्हें श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा, ‘पिछले 50 साल से वे केवल दो रुपये में लोगों का इलाज कर रहे थे।लोगों की सेवा के प्रति उनका समर्पण गरीब मरीजों के लिए एक बहुत बड़ी राहत था।
सर्वश्रेष्ठ फैमिली डॉक्टर से सम्मानित हो चुके थे
डॉ. गोपाल को राज्य के सर्वश्रेष्ठ फैमिली डॉक्टर के लिए आईएमए पुरस्कार से सम्मानित किया था। उन्हें मई 2024 में गिरते स्वास्थ्य के कारण अपना क्लिनिक बंद करना पड़ा था, जिसके कारण उनके मरीज बहुत ही दुखी हुए थे. रविवार को पय्यम्बलम में उनका अंतिम संस्कार किया गया, जहां समुदाय ने एक ऐसे व्यक्ति को विदाई दी। इसने यह साबित कर दिया कि चिकित्सा एक सेवा है, व्यवसाय नहीं।
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