आशुतोष तिवारी, जगदलपुर। मुख्यमंत्री के ट्विटर हैंडल पर अनूठी पहल के रूप में सुर्खियां बटोर चुकी बस्तर जिले के कालागुड़ा-क़ावापाल मार्ग पर प्लास्टिक वेस्ट मटेरियल से तैयार सड़क अब सवालों के घेरे में है. दरअसल, जिस तकनीक को टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल बताया गया था, वह पहली ही बारिश में बुरी तरह से फेल हो गई.
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प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत बनी यह 5.5 किलोमीटर लंबी सड़क जून 2025 में पूरी तरह से तैयार हुई थी. इस पर करीब 96.49 लाख रुपये खर्च किए गए थे. सड़क निर्माण में करीब 500 किलो प्लास्टिक वेस्ट का उपयोग किया गया था, जिससे इसे एक मॉडल प्रोजेक्ट के रूप में प्रचारित किया गया. लेकिन मात्र एक महीने के भीतर ही सड़क की परतें उखड़ने लगीं और जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे दिखाई देने लगे.

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि निर्माण के दौरान ही उन्होंने घटिया सामग्री और लापरवाही की शिकायतें की थीं, लेकिन उनकी बातों को नजरअंदाज कर दिया गया. अब जब पहली ही बारिश में सड़क पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है, तो उनका गुस्सा फूट पड़ा है. ग्रामीणों ने साफ तौर पर आरोप लगाया कि सड़क निर्माण में गुणवत्ता से समझौता किया गया, और सिर्फ दिखावे के लिए इसे प्लास्टिक से बनाकर प्रचारित किया गया.

इस पूरे मामले को लेकर PMGSY के SDO अनिल सहारे ने भी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने बताया कि सड़क की स्थिति की जानकारी उन्हें भी मिली है. जांच कराकर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि निर्माण एजेंसी से जवाब तलब किया जा रहा है और दोषियों पर कार्रवाई होगी.
बड़ी बात यह है कि जिस सड़क को प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया गया था, वही सड़क अब सरकार की किरकिरी करा रही है. यह मामला न केवल इंजीनियरिंग और निगरानी की विफलता को उजागर करता है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा करता है कि क्या सिर्फ सुर्खियां बटोरने के लिए इस तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं?
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