Tata Power Q1 Results: सोमवार सुबह शेयर बाजार खुलते ही एक हैरान कर देने वाला ट्रेंड नजर आया. Tata Group की ऊर्जा क्षेत्र की बड़ी कंपनी Tata Power ने शानदार तिमाही नतीजे पेश किए, लेकिन इसके बावजूद, कंपनी के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई.

कंपनी ने Q1 (अप्रैल-जून 2025) में 1,060 करोड़ रुपए का कंसोलिडेटेड नेट प्रॉफिट कमाया, जो कि पिछले साल की इसी तिमाही के मुकाबले 9% अधिक है. साथ ही रेवेन्यू भी 4% बढ़कर 18,035 करोड़ रुपए पहुंच गया.

Tata Power Q1 Results

Tata Power Q1 Results

लेकिन बाजार की प्रतिक्रिया इसके उलट रही. खबर लिखे जाने तक Tata Power का स्टॉक 1.27% गिरकर 384 रुपए पर ट्रेड कर रहा था. यानी, मुनाफा और रेवेन्यू बढ़ने के बावजूद, निवेशकों ने इसे हाथोंहाथ नहीं लिया.

अब अगर पिछली तिमाही से तुलना करें, तो कंपनी का प्रॉफिट 1.6% बढ़ा है, और रेवेन्यू में 5% से ज्यादा की बढ़त देखी गई है.
EBITDA की बात करें तो, यह पहली तिमाही में 3,930 करोड़ रुपए रहा, जो कि 17% की सालाना बढ़ोतरी दर्शाता है.

मोतीलाल ओसवाल का नजरिया (Tata Power Q1 Results)

ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल Tata Power को लेकर बेहद पॉजिटिव है. उन्होंने कंपनी के शेयर का टारगेट प्राइस 476 रुपए से बढ़ाकर 487 रुपए कर दिया है और इसे ‘बाय’, यानी खरीदने की सलाह दी है.

ब्रोकरेज का मानना है कि कंपनी को वर्तमान में अपने रिन्यूएबल एनर्जी और पावर डिस्ट्रीब्यूशन सेगमेंट से मजबूत मुनाफा हो रहा है.

कंपनी ने FY26 तक कुल ₹25,000 करोड़ निवेश की योजना बनाई है और Q1 में ही ₹3,700 करोड़ खर्च कर चुकी है.

टाटा पावर ने पंप्ड हाइड्रो स्टोरेज प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है, जो कि 2029 तक पूरा होने की उम्मीद है.

FY26 के अंत तक कंपनी अपनी रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता में 2.5 से 2.7 गीगावाट की वृद्धि करना चाहती है.

टाटा पावर की टीपी सोलर फैक्ट्री अब पूरी तरह से चालू है और यहां से हर साल 3,700 MW सोलर पैनल बनने की उम्मीद है.

भूटान के दगाछू में 600 मेगावाट की हाइड्रो प्रोजेक्ट भी निर्माणाधीन है, जो नवंबर 2029 तक पूरी होगी.

टाटा पावर का Q1 प्रदर्शन आंकड़ों के लिहाज से तो मजबूत है, लेकिन शेयर बाजार की चाल कुछ और कहानी कह रही है. ऐसे में सवाल यह है कि—क्या निवेशकों को लॉन्ग टर्म में इसका फायदा मिलेगा?

ब्रोकरेज फर्म की सलाह को देखते हुए जवाब शायद “हां” हो सकता है, लेकिन बाजार की चाल हमें याद दिलाती है कि हर नतीजे का असर तुरंत नहीं दिखता—कभी-कभी सही वक्त का इंतजार करना पड़ता है.

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