यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की मौत की सजा के मामले में नया मोड़ आ गया है। यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी के परिवार ने निमिषा प्रिया की मौत की सजा को रद्द करने के हालिया दावों पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे खारिज कर दिया। इसके पहले केरल के प्रमुख सुन्नी धर्मगुरु कंथापुरम ए पी अबूबकर मुसलियार के कार्यालय ने दावा किया था कि यमन के हूती प्रशासन ने निमिषा की फांसी की सजा को पलट दिया है। लेकिन तलाल के भाई अब्दुल फतेह महदी ने किसी भी तरह की माफी दिए जाने की बात को खारिज कर दिया। उसने एक पत्र लिखकर मांग की है कि उन्हें जल्द से जल्द सजा दी जाए. मृतक के भाई ने पत्र में साफ लिखा है कि परिवार सुलह या मध्यस्थता के लिए बिल्कुल तैयार नहीं है.
क्या है मामला ?
केरल की रहने वाली नर्स निमिषा प्रिया इस समय यमन की राजधानी सना की जेल में बंद है। प्रिया 2017 के एक मामले में फांसी की सजा का सामना कर रही हैं जिसमें उन्होंने गलती से एक यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या कर दी थी. प्रिया को अपने इस पूर्व बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी की हत्या का दोषी ठहराया गया है और फांसी की सजा सुनाई गई है। निमिषा प्रिया को इसी 16 जुलाई को फांसी दी जानी तय हुई थी, लेकिन एक दिन पहले जानकारी आई कि फांसी की सजा को अनिश्चित काल के लिए टाल दिया गया है।
परिवार ने माफी के दावे को किया खारिज
इस बीच सोमवार 28 जुलाई को ग्रैंड मुफ्ती मुसलियार के कार्यालय ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि निमिषा प्रिया की फांसी की सजा को पलट दिया गया है। लेकिन अब तलाल के परिवार ने इन खबरों को गलत बताया है। तलाल के भाई अब्दुल फतेह ने कहा, ‘कुछ प्रचारक जो धर्म के नाम पर बोलने का दावा करते हैं, वे हमारी कीमत पर अपने लिए बहादुरी का झूठा बोध पैदा करने के लिए आगे आते हैं।’ उन्होंने कहा कि ‘तलाल का खून बातचीत के बाजार में माल नहीं बनेगा।’
परिवार ने ब्लड मनी पर नहीं लिया फैसला
अब्दल फतह ने ग्रैंड मुफ्ती के दावों की वैधता पर सवाल उठाया और पूछा कि उन्हें ‘किसने, कब और किस आधार पर अधिकृत किया?’ उन्होंने यमनी कानून का हवाला दिया और कहा कि ‘मौत की सजा को तभी पलटा जा सकता है, जब पीड़ित का परिवार ब्लड मनी को स्वीकार करे। अभी तक यह उनके परिवार ने फैसला नहीं लिया है।’ उन्होंने कहा कि ‘अगर कोई फैसला लेना है, तो हम ही लेंगे।’
पत्र में क्या लिखा ?
मूल रूप से अरबी में लिखे इस पत्र में महदी के भाई ने लिखा है, ’16 जुलाई को फांसी की सजा स्थगित करने के बाद आधे महीने से ज्यादा समय बीत चुका है और फांसी की सजा की नई तारीख तय नहीं हुई है. हम पीड़िता के वारिस, बदले की सजा को लागू करने के अपने वैध अधिकार का पूरी तरह से पालन करते हैं और सुलह या मध्यस्थता के सभी कोशिशों से इनकार करते हैं.’
पत्र में महदी के भाई ने मांग की कि फांसी की सजा को लागू किया जाए और फांसी की नई तारीफ तय की जाए. इसमें आगे कहा गया है कि मौत की सजी से (पीड़ित परिवार) के अधिकारों की रक्षा होगी और न्याय मिलेगा.
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