कुमार इंदर, जबलपुर। सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर ओबीसी आरक्षण मामले की सुनवाई टल गई। मध्य प्रदेश सरकार ने सुनवाई के लिए कोर्ट से समय मांगा है। आज की सुनवाई में एमपी सरकार की अहम भूमिका थी। लेकिन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के न होने का हवाला देकर सुनवाई आगे बढ़वाई गई। अब इस मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी।

पिछली सुनवाई में छत्तीसगढ़ का दिया था हवाला

दरअसल, मध्य प्रदेश में साल 2019 में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए एक्ट पास हुआ था, लेकिन अभी तक भर्तियां नहीं हो रही हैं। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। 22 जुलाई को हुई सुनवाई में एमपी सरकार ने राहत की मांग की। उन्होंने कहा कि जैसे छत्तीसगढ़ में 58 फीसद आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट ने मान्यता दी है, वैसे ही मध्य प्रदेश को भी राहत दी जाए ताकि भर्ती प्रक्रिया पूरी हो सके।

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ओबीसी पक्षकार ने भी एक्ट को लागू करने की मांग की, जबकि अनारक्षित पक्ष ने आपत्ति जताते हुए कहा कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मामलों में अंतर है, क्योंकि एमपी में ओबीसी आरक्षण 14% से बढ़ाकर 27% किया गया, जबकि छत्तीसगढ़ में एसटी आबादी अधिक होने के कारण वहां का आरक्षण पहले जैसा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई को बिना आदेश के आगे बढ़ा दिया।

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विधानसभा में सीएम कर चुके हैं ये घोषणा

आपको बता दें कि सीएम डॉ मोहन यादव ने 29 जुलाई को विधानसभा में घोषणा की है कि ओबीसी को 27 फीसद आरक्षण डंके की चोट पर दिया जाएगा। उन्होंने कहा था कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि 13 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को उनका हक मिले और उनकी नौकरी योग्यता के आधार पर तय हो। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार कोर्ट में अपने पक्ष को मजबूती से रखेगी।

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