मुंबई में कबूतरों को दाना खिलाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के बाद सार्वजनिक जगहों पर कबूतरों को दाना खिलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, जिसकी वजह से मुंबई में कई जगहों पर कबूतरखानों को बंद कर दिया गया है। इसी सिलसिले में मुंबई के माहिम पुलिस स्टेशन में अज्ञात के खिलाफ पहली FIR दर्ज की गई है।

माहिम में पहली FIR दर्ज

माहिम पुलिस स्टेशन के अधिकारियों के मुताबिक, एलजी रोड पर एक व्यक्ति को कार के अंदर से कबूतरों को दाना खिलाते हुए देखा गया। पुलिस ने हस्तक्षेप किया, लेकिन कार की नंबर प्लेट स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं दे रही थी, जिससे आरोपी की पहचान करना संभव नहीं हो सका। पुलिस ने इस मामले में अज्ञात शख्स के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 270 और 223 के तहत FIR दर्ज की है। पुलिस फिलहाल कार और आरोपी की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही है।

क्या है पूरा मामला?

पूरा विवाद तब शुरू हुआ, जब बॉम्बे हाई कोर्ट ने 31 जुलाई 2025 को एक आदेश पारित किया, जिसमें कहा गया कि मुंबई के सभी 51 कबूतरखानों को बंद किया जाए, क्योंकि वे सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। जस्टिस जी.एस. कुलकर्णी और जस्टिस आरिफ डॉक्टर की पीठ ने पशु प्रेमियों के एक समूह की तरफ से दायर की गई याचिका पर फैसला सुनाया है. कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि यह मुद्दा जनस्वास्थ्य से जुड़ा है और सभी उम्र के लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर व संभावित खतरा है.

कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को महानगर में किसी भी पुराने कबूतरखाने (कबूतरों को दाना डालने के स्थान) को गिराने से रोक दिया था, लेकिन कहा था कि वह इन पक्षियों के लिए दाना डालने की अनुमति नहीं दे सकती है.

इसके बाद बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने दादर के मशहूर कबूतरखाना को बंद कर दिया और उसे प्लास्टिक शीट से ढक दिया, जिससे यहां रोजाना हजारों कबूतरों को दाना खिलाने की परंपरा रुक गई। कोर्ट के आदेश के बाद बीएमसी ने कबूतरों को दाना खिलाने वाले 50 से ज्यादा लोगों पर 500 का जुर्माना भी लगाया।

जैन समुदाय की चेतावनी

इस फैसले पर जैन समुदाय और अन्य पक्षी प्रेमियों ने कड़ा विरोध जताया है। उनका कहना है कि कबूतरों को दाना खिलाना उनकी धार्मिक परंपरा का हिस्सा है और यह अहिंसा के सिद्धांत के अनुकूल है। विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि कबूतरखाना बंद होने के बाद से हजारों कबूतर भूख से मर रहे हैं। जैन समुदाय ने यह चेतावनी भी दी है कि अगर 10 अगस्त तक कबूतरों को दाना खिलाने की अनुमति नहीं दी गई, तो साधु-संत आमरण अनशन पर बैठेंगे।

दादर में कबूतरखाने बंद

मुंबई के दादर इलाके में स्थित कबूतरखाना को बीएमसी ने बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के बाद अस्थायी रूप से बंद कर दिया है और वहां पर ताड़पत्री लगाकर इस जगह को सील कर दिया गया है, जहां जैन समाज और अन्य पक्षीप्रेमी दशकों से कबूतरों को रोजाना दाना डालते आए हैं। हर रोज यहां हजारों कबूतरों को भोजन कराया जाता था, लेकिन अब यह सिलसिला रुक गया है।

कबूतरों से कैसे फैलती हैं बीमारियां?

कबूतरों की सूखी बीट जब हवा में उड़ती है, तो उसमें मौजूद बैक्टीरिया और फफूंद (फंगस) सांस के जरिए शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इससे कई बीमारियां जैसे हाइपर सेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस (फेफड़ों में सूजन), क्रिप्टो कॉक्सिस (फंगल इंफेक्शन), फूड प्वाइजनिंग, बच्चों और बुजुर्गों में सांस लेने में तकलीफ, एलर्जी, अस्थमा हो सकती हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि यह सिर्फ गंदगी का मामला नहीं, Public Health Emergency बन चुका है। महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी इस विषय पर संज्ञान लेते हुए BMC और स्वास्थ्य विभाग को आठ सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है।

पूरे मामले पर महाराष्ट्र सरकार की प्रतिक्रिया

इस मामले पर बढ़ते विवाद को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने एक बैठक बुलाई है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि यह फैसला कोर्ट के आदेश पर लिया गया है, लेकिन जनभावनाओं का सम्मान करते हुए इस पर दोबारा विचार किया जाएगा।

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