Durg-Bhilai News Update: भिलाई. सोमवार की दोपहर में हल्की बौछारे पड़ने लगी. इससे उमीद जागी कि अब शायद मौसम एक बार फिर करवट लेगा और बारिश होगी. लेकिन पलभर में ही दोबारा तेज धूप निकल आई. सोमवार को दुर्ग जिले का अधिकतम तापमान औसत से 3.3 डिग्री की बढ़ोतरी के बाद 33.6 डिग्री रिकॉर्ड किया गया. इस तरह दुर्ग रायपुर के बाद दूसरा प्रदेश का सबसे गर्म जिला रहा. रायपुर में दिन का पारा 34.25 डिग्री दर्ज किया गया. इसके अलावा रात का न्यूनतम तापमान 22.6 डिग्री मापा गया.

सावन का महीना 9 अगस्त को समाप्त हो जाएगा. इस साल सावन के महीने में मानूसन रूठा रहा है. दुर्ग जिले में सावन के महीने में उमीद से कमतर बारिश हुई है. मौसम विभाग का कहना है कि, दुर्ग जिले में ६ अगस्त के बाद से मौसम बदलेगा. प्रदेशभर में बारिश की गतिविधियां रतार पकड़ेगी. इससे पहले प्रदेश के एक-दो स्थानों पर तेज अंधड़ जैसी स्थिति भी बन सकती है. मौसम तंत्र में बदलाव के पहले दुर्ग जिला तेज उमस से बेहाल हो गया है. घरों के भीतर कूलर और एसी दोबारा से चलाए जाने लगे हैं. उमस इतनी अधिक है कि, बेचैनी बढ़ने लगी है. इस समय तेज उमस, हल्की बूंदाबांदी और धूप की वजह से बच्चे, बड़े और बुजुर्ग सभी का हाल बेहाल है. मौसम की मार लोगों को अस्पतालों के चक्कर कटवा रही है. अस्पतालों की ओपीडी वायरल के मरीजों से भरी हुई है.

एमबीए, एमसीए और एमटेक में प्रवेश के लिए पंजीयन 8 से

भिलाई. बीटेक लेटरल एंट्री, एमटेक, एमबीए और एमसीए पाठ्यक्रम के लिए चल रही काउंसलिंग का दूसरा चरण ६ अगस्त को समाप्त हो जाएगा. इसके बाद इन पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए संस्थावार स्तर की काउंसलिंग में हिस्सा लेना होगा. इसके पंजीयन 8 से 10 अगस्त तक होंगे. इसके बाद 11 अगस्त को तकनीकी शिक्षा संचालनालय से मेरिट सूची का प्रकाशन किया जाएगा. इसमें जिन विद्यार्थियों का नाम आएगा, उनको संबंधित कॉलेज में 12 से 14 अगस्त तक उपस्थित होकर एडमिशन लेना होगा. इसके बाद प्रदेश में एमबीए, एमसीए सहित तमाम कोर्स की काउंसलिंग पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी. फिर इस साल एडमिशन नहीं मिलेगा.

रविवार और अवकाश को भी प्रवेश

तकनीकी शिक्षा संचालनालय ने बताया कि काउंसलिंग में एक पाठ्यक्रम के लिए एक अभ्यर्थी से संबंधित मात्र एक ही आवेदन स्वीकार किया जा सकेगा. यदि कोई अभ्यर्थी अपना आवेदन नहीं भर पाता है तो वह अभ्यर्थी सुविधा केंद्रों में जाकर अपने मूल दस्तावेज और फोटोयुक्त पहचान पत्र के साथ पहुंचकर अपना आवेदन जमा कर सकता है. काउंसलिंग के हर चरण में अभ्यर्थी को अलग से आवेदन करना होगा. खास बात यह होगी कि रविवार और शासकीय अवकाश रक्षा बंधन के दिन भी सुविधा केंद्र और कॉलेज खुले रहेंगे.

दुर्ग जनपद में फंड बंटवारे पर घमासान, कलेक्टर से शिकायत

दुर्ग . जनपद पंचायत में 15वें वित्त आयोग की राशि के बंटवारे को लेकर महीनेभर से चल रहा विवाद अब कलेक्टर तक पहुंच गया. कांग्रेस समर्थित जनपद सदस्यों न सोमवार को मामले को लेकर जनपद पंचायत परिसर में धरना दिया. इस दौरान कथित तौर पर सीईओ रूपेश पांडेय ने धरने को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी. इससे नाराज सदस्य कलेक्टोरेट पहुंच गए और मामले की शिकायत की. इस दौरान सदस्यों ने सीईओ पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की.

जनपद पंचायत में 24 सदस्य है. कांग्रेस समर्थित सदस्यों का आरोप है कि 15वें वित्त आयोग की उनके 11 सदस्यों को छोड़कर केवल भाजपा समर्थित 13 सदस्यों के बीच बहुमत के आधार पर बांट दिया गया. सीईओ द्वारा यह राशि कांग्रेस समर्थित सदस्यों ने विरोध के बाद भी जारी भी कर दी गई है. जनपद उपाध्यक्ष राकेश हिरवानी ने बताया कि 15 वें वित्त वर्ष 2024-25 की राशि 72 लाख और वर्ष 2025-26 की राशि कि 1 करोड़ 55 लाख रुपए शामिल है. उन्होंने बताया कि सामान्य सभा प्रत्येक बैठक में उपस्थित दुर्ग ग्रामीण विधायक ललित चन्द्राकर व अहिवारा विधायक डोमन लाल कोर्सेवाड़ा के समक्ष भी इसे लेकर आपत्ति की गई थी. जिला पंचायत के सीईओ, कलेक्टर, संभाग आयुक्त से भी शिकायत की जा चुकी है. लेकिन कार्रवाई नहीं हुई.

जनपद सदस्यों ने सभी सदस्यों के बीच राशि की समान आवंटन नही किए जाने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी. इस दौरान जनपद सदस्य राजेन्द्र ठाकुर, किशोरी लाल देशमुख, संतोषी कृष्णा देशमुख, दामिनी मुकेश साहू, प्यारी बाई निषाद, मिलंतीन ठाकुर, लीलावती रूपेश देशमुख, ढालेश साहू, नन्दू साहू, झमित गायकवाड़ मौजूद थे.

सीईओ की टिप्पणी पर फूटी नाराजगी

सदस्यों का आरोप है कि धरना प्रदर्शन के दौरान सीईओ जनपद पंचायत रूपेश पांडेय उनके बीच आए और टिप्पणी करते हुए 5 वर्ष इसी तरह भुगतना पड़ेगा कह दिया. बताया जा रहा है कि इस पर सदस्यों की नाराजगी सीईओ पर फूटी पड़ी. नाराज सदस्य कलेक्टोरेट पहुंचे और कलेक्टर अभिजीत सिंह को ज्ञापन सौंपकर सीईओ के इस कथन के आधार पर जांच करवाकर अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग रखी. सदस्यों ने आरोप लगाया कि जनपद पंयायत दुर्ग में ऐसा पहली बार हो रहा है. यह लोकतंत्र के विपरीत और गलत परंपरा है. इस संबंध में जनपद पंचायत के सीईओ पांडेय से संपर्क नहीं होने से उनका पक्ष सामने नहीं आया.

राजस्व वसूली में लापरवाही, रोका 16 कर्मियों का वेतन

दुर्गराजस्व वसूली को लेकर लापरवाही नगर निगम के 16 कर्मचारियों को भारी पड़ गया. निगम कमिश्नर सुमित अग्रवाल ने इन कर्मियों के वेतन रोकने का आदेश जारी किया है. आदेश में कहा गया है कि समीक्षा में निर्देश के बाद भी कर्मचारियों ने ध्यान नहीं दिया. इससे शत-प्रतिशत वसूली का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया. कमिश्नर ने राजस्व वसूली में सुधार तक वेतन रोकने कहा है. निगम प्रशासन ने मिली जानकारी के मुताबिक कमिश्नर ने जुलाई के अंत में राजस्व विभाग की समीक्षा बैठक ली थी. इसमें इन कर्मचारियों द्वारा राजस्व वसूली संतोषजनक नहीं पाया गया. बैठक में कमिश्नर ने सभी कर्मचारियों को राजस्व वसूली बढ़ाने और शत-प्रतिशत वसूली के निर्देश दिए थे. इसके बाद भी कर्मियों द्वारा गंभीरता नहीं दिखाई गई. इसे कमिश्नर ने कार्य के प्रति लापरवाही माना है. उन्होंने राजस्व विभाग के कर्मी लवकुश शर्मा, निर्मल चंद्राकर, संकेत धर्मकार, नरेंद्र मनहरे, विनीत वर्मा, बलदाऊ पटेल, सुनील कुमार यादव, विवेक सालवनकर, सिद्धांत शर्मा, विजेंद्र पटेल, दीपक साहू, विनोद उपाध्याय, रतनदीप कसार, अनुपम ताम्रकार, लक्ष्य गोईर और पवन नायक के वेतन रोकने के आदेश दिए हैं.

खदान संचालक ने बंद की जलनिकासी,फसल खराब होने का डर

सेलूद. पाटन क्षेत्र के ग्राम गोंडपेंड्री, सेलूद, पतोरा, चुनकट्टा, मुड़पार, धौराभाटा, अचानकपुर, गुड़ियारी, परसाही व ढौर में कई दर्जन चूना पत्थर खदान संचालित हैं, जहां पर संचालकों द्वारा शासन के नियमों को ताक में रखकर खदान का संचालन किया जाता है. ग्राम गोंडपेंड्री के किसानों व ग्रामीणों ने तहसीलदार पाटन को 18 जुलाई व एसडीएम पाटन और कलेक्टर को 23 जुलाई को शिकायत की थी कि खदान संचालक धनेश कुमार दम्मानी द्वारा पानी निकासी बंद कर दी गई है, जिसके कारण बस्ती में बारिश का पानी भरने की स्थिति है. इससे मौसमी बीमारी फैल सकती है. साथ ही किसानों की फसल भी खराब हो सकती है.

ग्रामीणों की शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने पर सोमवार को कलेक्टर जनदर्शन में पहुंचकर समस्या से निजात दिलाने की मांग की गई. किसानों व ग्रामवासियों ने जल निकासी रास्ता बंद किए जाने की शिकायत की. किसानों ने बताया कि खदान मालिक द्वारा जल निकासी का रास्ता बंद कर दिए जाने के कारण लगभग 70 एकड़ में लगी फसलें बर्बाद होने की स्थिति में हैं. वहीं बस्ती में पानी भरने से मौसमी बीमारियों का खतरा बना हुआ है.