रायपुर। राज्यसभा सांसद और बीजेपी अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविचार नेताम ने पार्टी के उस निर्णय के खिलाफ अपनी आवाज मुखर की है, जिसमें मंतूराम पवार को पार्टी में लिए जाने का फैसला किया गया था. मंतूराम ने हाल ही में अंतागढ़ टेपकांड मामले में धारा 164 के तहत दिए अपने बयान में पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह, अजीत जोगी, राजेश मूणत की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कई गंभीर आरोप लगाए थे.
रामविचार नेताम ने कहा कि मंतूराम पवार का जिस ढोल धमाके और गाजे-बाजे के साथ रैली निकालकर पार्टी प्रवेश कराया गया था, यह समझ के परे हैं, जबकि अंतागढ़ के स्थानीय संगठन में इस प्रवेश को लेकर विरोध था. लोग नहीं चाहते थे कि मंतूराम को पार्टी में लिया जाए. पता नहीं क्या समझकर इतना बड़ा जुलूस निकाला गया था और उसे पार्टी प्रवेश दिलाया गया. मंतूराम को लेकर संगठन के लोगों के विरोध को नजरअंदाज किया गया.
नेताम ने कहा कि मंतूराम पवार को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में सम्मानित किया गया. उसे यह बड़ा मंच दिया गया. हमारे वरिष्ठ नेता उसके जुलूस के साक्षी बने, सहयोगी बने, लेकिन सवाल यह है कि पार्टी के दूसरे बड़े नेताओं को जब जिम्मेदारी दी जाती है, कोई मंत्री बनकर आता है, या प्रदेश अध्यक्ष बनकर आता है, तब ऐसा सम्मान क्यों नहीं दिया जाता? लेकिन एक ऐसा व्यक्ति जिस पर बिकने का आरोप है. कई तरह के दूसरे गंभीर आरोप लगते रहे हैं, ऐसे लोगों पर इतना प्रेम दिखाना तकलीफदेह स्थिति है. मंतूराम पवार के पार्टी प्रवेश को लेकर प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी की असहमति की चर्चाओं के संदर्भ में रामविचार नेताम ने कहा कि यदि ऐसा है, तो यह और भी ज्यादा गंभीर है. उसेंडी उस वक्त सांसद थे. सरकार में मंत्री रहे हैं. यह देखने और समझने के बावजूद ऐसा निर्णय लिया जाना, यह सोचने वाली बात है.