पटना। बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आगामी बिहार दौरे से पहले केंद्र से दो अहम मांगें की हैं। इनमें से पहली मांग बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की है, जबकि दूसरी मांग बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए आपदा राहत कोष में तत्काल वृद्धि की है। इन दोनों मांगों को लेकर बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है, और इसे आगामी विधानसभा चुनावों की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। नीतीश कुमार की सरकार ने लंबे समय से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है। सरकार का तर्क है कि राज्य की आर्थिक स्थिति और सामाजिक विकास में अन्य राज्यों की तुलना में पिछड़ापन है, जिससे बिहार को विशेष सहायता की आवश्यकता है। खासकर कृषि और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में बिहार को केंद्र से अतिरिक्त मदद की उम्मीद है। सरकार ने कहा कि विशेष राज्य का दर्जा मिलने से राज्य की विकास दर में तेजी आएगी और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
बाढ़ राहत कोष की वृद्धि
बिहार के कई जिले हर साल बाढ़ से प्रभावित होते हैं, और इस बार भी बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। सरकार का कहना है कि बाढ़ राहत कोष में तत्काल वृद्धि की आवश्यकता है, ताकि प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों को तेजी से चलाया जा सके। नीतीश कुमार ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे केंद्र सरकार को विस्तृत रिपोर्ट भेजें, ताकि राहत पैकेज की मांग को प्रभावी तरीके से उठाया जा सके। बाढ़ में घरों, फसलों और बुनियादी ढांचे की क्षति के चलते राज्य में आपातकालीन स्थिति पैदा हो गई है, जिसके लिए अतिरिक्त वित्तीय सहायता की जरूरत महसूस हो रही है।
बिहार का एक बड़ा मुद्दा रहा विशेष राज्य का मामला
नीतीश कुमार की सरकार द्वारा यह दोनों मांगें अमित शाह के बिहार दौरे से पहले उठाना राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। विशेष राज्य का दर्जा हमेशा से बिहार का एक बड़ा मुद्दा रहा है और नीतीश कुमार के लिए इसे दोबारा उठाना केंद्र पर दबाव बनाने की एक रणनीति हो सकती है। इसे राज्य के हितों को केंद्र के सामने प्राथमिकता देने के रूप में देखा जा रहा है।
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