दिल्ली मेट्रो(Delhi Metro) की मैजेंटा लाइन (Magenta Line) जो जनकपुरी पश्चिम से बॉटनिकल गार्डन तक फैली हुई है, ने बिना ड्राइवर के ट्रेन संचालन (UTO) के लक्ष्य को सफलतापूर्वक प्राप्त कर लिया है. इसका अर्थ है कि अब इस लाइन पर मेट्रो ट्रेनें बिना किसी चालक के चल रही हैं. यह दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) के लिए ऑटोमेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, क्योंकि इस लाइन पर सभी ट्रेनों का बेड़ा अब ड्राइवरलेस हो गया है और ट्रेन ऑपरेटरों को पूरी तरह से हटा दिया गया है.
दिल्ली मेट्रो ने पिंक लाइन पर मजलिस पार्क से शिव विहार तक यूटीओ लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के एक अधिकारी के अनुसार, 2020 में अनअटेंडेड ट्रेन संचालन की शुरुआत की गई थी. यूटीओ में बदलाव को चरणबद्ध तरीके से लागू किया गया है, जिसे मेट्रो रेल सेफ्टी कमिश्नर द्वारा अनुमोदित किया गया है.
मेजेंटा लाइन पर ड्राइवरलेस ट्रेनों का सफर
टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, मई 2024 में शुरू होने वाले पहले चरण में केबिन के विभाजन वाले गेट को हटाने और ड्राइविंग कंसोल को धीरे-धीरे हटाने की प्रक्रिया शामिल थी, जबकि ट्रेन ऑपरेटर कैब में ही उपस्थित रहता था. अगस्त 2024 तक, दूसरे चरण के तहत ट्रेन ऑपरेटर को ट्रेन के अंदर कहीं भी रहने की अनुमति दे दी गई थी.
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तीसरे फेज (ए) के लागू होने के बाद, ट्रेन ऑपरेटरों की उपस्थिति को हर दूसरी ट्रेन तक सीमित कर दिया गया. अधिकारियों के अनुसार, मई 2025 में अंतिम फेज IIIB पूरा हुआ, जिसके परिणामस्वरूप ट्रेन ऑपरेटरों को पूरी तरह से हटा दिया गया और इस लाइन पर ड्राइवरलेस परिचालन की शुरुआत हुई.
पिंक लाइन पर भी ड्राइवरलेस होंगी मेट्रो ट्रेनें
पिंक लाइन के लिए ऑटोमेशन प्रक्रिया मार्च 2025 में शुरू हुई. एक अधिकारी के अनुसार, पिंक लाइन जून 2025 तक दूसरे चरण में पहुंच जाएगी और इसके अगले तीन से चार महीनों में पूरी तरह से ड्राइवरलेस होने की संभावना है. दोनों लाइनों पर यूटीओ के लागू होने से, दिल्ली मेट्रो दुनिया के सबसे बड़े ड्राइवरलेस मेट्रो नेटवर्क में से एक बन जाएगी, जिसमें दिल्ली-एनसीआर के 395 किलोमीटर नेटवर्क में से 97 किलोमीटर पूरी तरह से स्वचालित गलियारे होंगे.
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सहज और विश्वसनीय यात्रा अनुभव का वादा
एक अधिकारी ने बताया कि यह परिवर्तन शहरी परिवहन में एक महत्वपूर्ण प्रगति का संकेत है, क्योंकि यह उन्नत और सुरक्षित सेवाओं को सुनिश्चित करता है और मैन्युअल हस्तक्षेप को कम करता है. ड्राइवरलेस ट्रेन न केवल परिचालन क्षमता में सुधार लाती है, बल्कि यात्रियों के लिए एक सहज और विश्वसनीय यात्रा अनुभव भी प्रदान करती है.
डीएमआरसी के चौथे चरण के विस्तार में तीन प्राथमिकता वाले गलियारों में ट्रेन संचालन पूरी तरह से ड्राइवरलेस होगा. इन तीनों कॉरिडोर में आरके आश्रम मार्ग से जनकपुरी पश्चिम (मैजेंटा लाइन का विस्तार), एरोसिटी से तुगलकाबाद (नई गोल्डन लाइन) और मजलिस पार्क से मौजपुर (पिंक लाइन का विस्तार) शामिल हैं, जिन पर कार्य प्रगति पर है.
बिना ड्राइवर के कैसे चलती है मेट्रो?
चालक रहित ट्रेन ऑपरेशन (DTO) मोड के तहत मेट्रो ट्रेनें बिना किसी ड्राइवर के संचालित होती हैं. इस प्रक्रिया में मेट्रो को दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) के कमांड सेंटर से नियंत्रित किया जाता है, जिसमें मानव हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती. ट्रेनें संचार आधारित ट्रेन नियंत्रण (CBTC) सिग्नलिंग तकनीक का उपयोग करके चलती हैं, जिससे उनके उपकरणों की निगरानी वास्तविक समय में की जाती है. ड्राइवरलेस ट्रेन तकनीक का एक महत्वपूर्ण पहलू ग्रेड्स ऑफ़ ऑटोमेशन (GOA) है, जो इसकी स्वचालन स्तर को दर्शाता है.
बिना ड्राइवर के ट्रेनों से क्या फायदे?
दिल्ली मेट्रो के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि ड्राइवरलेस ट्रेनें चलाने से कई लाभ होते हैं. यह परिचालन को अधिक सुगम बनाती हैं और मानवीय हस्तक्षेप तथा गलतियों की संभावना को कम करती हैं. इसके परिणामस्वरूप मेट्रो के डिब्बों की उपलब्धता में भी वृद्धि होती है. ड्राइवरलेस ट्रेनों के संचालन से पहले मैन्युअल जांच की प्रक्रिया समाप्त हो जाती है, जिससे ट्रेन ऑपरेटरों पर बोझ कम होता है. इसके अलावा, डिपो में स्टेब्लिंग लाइन पर पार्किंग भी स्वचालित रूप से होती है.
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