दुर्ग के सहेली ज्वेलर्स और एक आईपीएस के ठिकानों में आज सुबह ईडी और सीबीआई के संयुक्त छापे की खबर अफवाह साबित हुई. दरअसल यह खबर सुबह से तैरने लगी थी कि शराब घोटाला मामले में ईडी और सीबीआई की कोई बड़ी कार्रवाई हो सकती है. पुलिस महकमे में भी अंदरखाने छापे को लेकर चर्चा तेज थी. इसलिए ही अफवाह को बल मिला, लेकिन छापे की सूचना ग़लत निकली. हालाकिं यह कहा जा रहा है कि सेंट्रल एजेंसी ने कुछ लोगों को नोटिस देकर पूछताछ के लिए तलब किया है. आज सुबह से छापे को लेकर उठे शोर को इससे ही जोड़कर देखा जा रहा है.
लल्लूराम के पड़ताल में छापे की खबर निकली अफवाह
छापे की खबर सुबह से तैरने लगी थी कि शराब घोटाला मामले में ईडी और सीबीआई की कोई बड़ी कार्रवाई हो सकती है. लल्लूराम डॉट कॉम ने इस छापे को लेकर उच्च पदस्थ अधिकारियों से बातचीत की, जिसमे उन्होंने इस छापे को अफवाह बताया है.

शराब घोटाला मामले में ईडी का खुलासा
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) रायपुर जोनल कार्यालय की ओर से प्रेस नोट में दी गई जानकारी के अनुसार, ईडी ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल को 18 जुलाई को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत गिरफ्तार किया है। शराब घोटाले की जांच ईडी ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत एसीबी/ईओडब्ल्यू रायपुर द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की थी। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि इस घोटाले के कारण प्रदेश के खजाने को भारी नुकसान हुआ और करीब 2,500 करोड़ रुपये की अवैध कमाई (पीओसी) घोटाले से जुड़े लाभार्थियों की जेब में पहुंचाई गई।
चैतन्य को शराब घोटाले से 16.70 करोड़ रुपये नगद मिले
ईडी की जांच से पता चला है कि चैतन्य बघेल को 16.70 करोड़ रुपये की पीओसी प्राप्त हुई थी। उन्होंने उक्त पीओसी को मिलाने के लिए अपनी रियल एस्टेट फर्मों का इस्तेमाल किया था। यह पता चला है कि उन्होंने पीओसी की उक्त नकद राशि का उपयोग अपने रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के विकास में किया था। पीओसी का उपयोग उनके प्रोजेक्ट के ठेकेदार को नकद भुगतान, नकदी के खिलाफ बैंक प्रविष्टियों आदि के माध्यम से किया गया था। उन्होंने त्रिलोक सिंह ढिल्लों के साथ भी मिलीभगत की और अपनी कंपनियों का उपयोग एक योजना तैयार करने के लिए किया जिसके अनुसार उन्होंने त्रिलोक सिंह ढिल्लों के कर्मचारियों के नाम पर अपने “विठ्ठलपुरम प्रोजेक्ट” में फ्लैटों की खरीद की आड़ में अप्रत्यक्ष रूप से 5 करोड़ रुपये प्राप्त किए। बैंकिंग ट्रेल है जो इंगित करता है कि लेन-देन की प्रासंगिक अवधि के दौरान, त्रिलोक सिंह ढिल्लों ने अपने बैंक खातों में शराब सिंडिकेट से भुगतान प्राप्त किया।
1000 करोड़ से अधिक की अवैध संपत्ति का संचालन
इसके अलावा, उन पर शराब घोटाले से उत्पन्न 1000 करोड़ रुपये से अधिक के पीओसी (POC) को संभालने का भी आरोप है। वह छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के तत्कालीन कोषाध्यक्ष को पीओसी हस्तांतरित करने के लिए अनवर ढेबर और अन्य के साथ समन्वय करते थे। ईडी द्वारा की गई जांच से पता चला है कि इस शराब घोटाले से प्राप्त धनराशि को आगे निवेश के लिए बघेल परिवार के प्रमुख सहयोगियों को भी सौंप दिया गया था। इस धनराशि के अंतिम उपयोग की आगे जांच की जा रही है।

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