आकाश श्रीवास्तव, नीमच। एक ऐसी खास मिठाई है जो सिर्फ बारिश के मौसम में ही मिलती है, नाम है ‘इंद्रसे’। मान्यता है कि इसे भगवान इंद्र को भोग लगाकर अच्छी बारिश की कामना की जाती है। इस परंपरा की शुरुआत नीमच में लगभग 80 साल पहले हुई थी और आज यह मिठाई नीमच की पहचान बन चुकी है। चावल, शक्कर, देसी घी और मैदा से बनी यह कुरकुरी मिठाई स्वाद में भी लाजवाब है। खास बात यह है कि यह मिठाई बारिश के मौसम में ही बनती है, तभी तो इसका इंतजार हर साल बड़ी बेसब्री से किया जाता है। वही यह मिठाई सिर्फ नीमच में ही कुछ चुनिंदा दुकानदार ही इसे बनाते है।
बरसात के मौसम में बनती यह अनोखी मिठाई
नीमच में बरसात के मौसम में ‘इंद्रसे’ मिठाई बनाई जाती है । ऐसी मान्यता हैं कि इसे भगवान इंद्र को खुश करने के लिए इस मिठाई को बनाया जाता है ताकि बारिश सही वक्त पर हो और क्षेत्र में फैसले अच्छी हो सके। बरसात की शुरुआत होते ही इसे बनाना शुरू किया जाता है और बरसात का मौसम खत्म होने के बाद इस मिठाई बनाना बंद कर दिया जाता है।
इंद्रसे मिठाई बनी अब नीमच की पहचान
नीमच, जो राजस्थान से सटा मध्यप्रदेश का छोटा-सा शहर है, वो सिर्फ CRPF की जन्मस्थली से ही नहीं, अब अपनी इस बरसाती मिठाई ‘इंद्रसे’ के लिए भी जाना जाता है। ऐसा दावा हे कि पूरे देश में ये मिठाई सिर्फ यहीं बनती है। और वो भी सिर्फ बारिश के मौसम में। जैसे आम के मौसम में आम और गन्ने के मौसम में रस मिलता है, वैसे ही इंद्रसे की मिठाई सिर्फ बारिश के वक्त ही मिलती है। यही वजह है कि बाहर से भी लोग यहां इसे खरीदने आते हैं ।
80 साल पहले हुई थी मिठाई की बनने की शुरुआत
मिठाई दुकान संचालक श्याम मित्तल ने बताया कि 80 साल पहले नीमच के तिलक मार्ग स्थित मित्तल की दुकान पर इस मिठाई की बनने की शुरुआत हुई थी। इसी दुकान पर पहली बार इंद्रसे बनाए गए थे। तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि ये मिठाई एक दिन नीमच की पहचान बन जाएगी। आज मित्तल परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी उसी स्वाद को बनाए रखे हुए है। हालांकि अब शहर में कुछ और दुकानों पर इंद्रसे मिलने लगे हैं, लेकिन असली स्वाद आज भी तिलक मार्ग की उसी पारंपरिक दुकान से ही जुड़ा हुआ है।
इंद्रसे मिठाई बनाने का तरीका
इंद्रसे मिठाई दिखने में भले ही साधारण लगती हों, लेकिन इन्हें बनाना आसान नहीं। सबसे पहले अच्छी क्वालिटी का चावल लिया जाता है, उसे भिगोकर सुखाया जाता है, फिर हल्की नमी के साथ पीसा जाता है। इस चावल के आटे को मीठी चाशनी में मिलाकर आटा तैयार होता है, और फिर उसे एक रात रखा जाता है। अगले दिन उससे छोटी-छोटी गोल लोइयां बनती हैं, जो उंगलियों की मदद से गोल चपटी बनाकर देसी घी में तली जाती हैं। जब ये कुरकुरी मिठाई तैयार होती है, जिसका स्वाद ऐसा कि एक खाओ तो दूसरी खुद-ब-खुद उठ जाती है।
अन्य मौसम में नहीं बन सकती ये मिठाई
इन्द्रसे मिठाई सिर्फ बारिश में ही बनती हैं बाकी मौसम का असर इनके स्वाद और बनावट पर पड़ता है। दुकानदार बताते हैं कि एक बार ऑफ सीजन में जब ऑर्डर पर इन्हें बनाने की कोशिश की गई, तो वो मिठास और कुरकुरापन नहीं आ पाया जो बारिश में आता है। क्योंकि बारिश की नमी और ठंडक से ही इसका आटा ‘फूलता’ है, घी में तली जाने पर सही टेक्सचर आता है। तभी ये मिठाई सिर्फ बारिश में ही बनेगी।
भाई बहन के प्रेम की मिठास इंद्रसे मिठाई
इंद्रसे अब सिर्फ नीमच तक सीमित नहीं हैं। रक्षाबंधन के समय बहनें इन्हें ससुराल ले जाती हैं, लोग गिफ्ट में देते हैं। जिससे देश के कोने कोने तक ये मिठाई जाती है। नीमच में सीजन के दौरान हर दिन एक दुकान पर कई किलो इंद्रसे मिठाई बिकती हैं। पुराने ग्राहक तो बारिश शुरू होते ही अपनी बुकिंग करवा लेते है।
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