Color Blindness: बच्चों में कलर ब्लाइंडनेस एक ऐसी स्थिति है जिसे पहचानना मुश्किल हो सकता है, खासकर तब जब बच्चा खुद यह नहीं बता पाता कि वह रंगों को अलग तरीके से देख रहा है. इस स्थिति को कलर विज़न डेफिशिएंसी भी कहा जाता है. अगर समय रहते लक्षण पहचान लिए जाएं, तो बच्चे को सही मार्गदर्शन और सहायता मिल सकती है.
आज हम आपको बताएंगे बच्चों में कलर ब्लाइंडनेस के लक्षण और उससे बचाव के तरीके.
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Color Blindness
रंगों में भ्रम होना: बच्चा लाल और हरे रंग में अंतर नहीं कर पाता. कभी-कभी नीले और पीले रंगों को भी पहचानने में दिक्कत होती है (कम ही होता है).
रंगों को गलत तरीके से पहचानना: बच्चा पत्तियों को भूरा या ग्रे बता सकता है. आकाश को हरा या बैंगनी कह सकता है.
पढ़ाई में कठिनाई: ड्रॉइंग या रंग भरने में परेशानी. रंगों पर आधारित गतिविधियों (जैसे चार्ट, ग्राफ, मैप्स) में असमंजस.
टीचर या माता-पिता से बार-बार रंग पूछना: बच्चा अक्सर पूछेगा कि यह कौन सा रंग है.
आई-कॉन्टेक्ट से बचना या चिढ़चिढ़ापन: बच्चा खुद को दूसरों से अलग महसूस कर सकता है.
खेल-कूद में गलत रंग की चीज़ें पकड़ना या चुनना: जैसे फुटबॉल में लाल और हरे जर्सी वाले खिलाड़ियों में अंतर न कर पाना.
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बच्चों में कलर ब्लाइंडनेस की पहचान कैसे करें (Color Blindness)
- विशेष आई टेस्ट – जैसे Ishihara Test, जो रंगीन डॉट्स की मदद से किया जाता है.
- स्कूल स्क्रीनिंग प्रोग्राम्स – कई स्कूलों में अब विज़न चेकअप किए जाते हैं.
- नेत्र विशेषज्ञ से परामर्श – खासकर जब बच्चा बार-बार रंगों को लेकर भ्रमित हो.
समाधान और सहयोग (Color Blindness)
- बच्चे को रंगों के बजाय आकृतियों या नामों से चीजें समझाएं.
- स्कूल टीचर्स को इस बारे में बताएं ताकि वे मदद कर सकें.
- कुछ ऐप्स और विशेष चश्मे भी उपलब्ध हैं जो रंगों में अंतर करने में सहायता करते हैं.
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