Justice Yashwant Verma Cash Scandal Case: कैश कांड मामले में फंसे इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव मंजूर कर लिया गया है। लोकसभा में स्पीकर ओम बिड़ला ने मंगलवार को महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकृति दी। महाभियोग प्रस्ताव मंजूर होने के साथ ही यशवंत वर्मा को हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। लोकसभा स्पीकर ने 3 सदस्यीय कमेटी बनाई है। इसमें सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट 1-1 जज और 1 कानूनविद शामिल हैं। जांच समिति की रिपोर्ट आने तक यह महाभियोग प्रस्ताव लंबित रहेगा।
लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा, ‘मुझे रविशंकर प्रसाद और विपक्ष के नेता समेत कुल 146 सदस्यों के हस्ताक्षर से प्रस्ताव मिला है। इस प्रस्ताव में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने के लिए मांग है।
जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। इसमें सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट 1-1 जज और 1 कानूनविद शामिल हैं। जांच समिति की रिपोर्ट आने तक यह महाभियोग प्रस्ताव लंबित रहेगा। कमेटी की बात करें तो इसमें सुप्रीम कोर्ट के जज न्यायमूर्ति अरविंद कुमार, कर्नाटक हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट बीबी आचार्य और मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव को शामिल किया गया है।
इससे पहले 21 जुलाई को मानसून सत्र के पहले दिन संसद के दोनों सदनों में उनके खिलाफ महाभियोग के नोटिस पीठासीन अधिकारियों को सौंपे गए थे। इन पर पक्ष-विपक्ष के 215 सांसदों (लोकसभा में 152 और राज्यसभा में 63) के हस्ताक्षर हैं। आजाद भारत में यह पहली बार हो रहा है कि किसी हाईकोर्ट जज के खिलाफ महाभियोग लाया जा रहा है। इसकी जानकारी राज्यसभा के पूर्व सभापति जगदीप धनखड़ ने मानसून सत्र के पहले दिन सांसदों को दी थी।
महाभियोग प्रस्ताव को भाजपा, कांग्रेस, टीडीपी, जेडीयू, सीपीएम और अन्य दलों के सांसदों का समर्थन मिला है। साइन करने वालों में सांसदों में राहुल गांधी, अनुराग ठाकुर, रविशंकर प्रसाद, राहुल गांधी, राजीव प्रताप रूडी, सुप्रिया सुले, केसी वेणुगोपाल और पीपी चौधरी जैसे सांसद भी शामिल हैं।
जस्टिस वर्मा के घर में आग के बाद बेहिसाब कैश मिला था
दरअसल जस्टिस वर्मा के लुटियंस स्थित बंगले पर 14 मार्च की रात आग लगी थी। इसे अग्निशमन विभाग के कर्मियों ने बुझाया था। घटना के वक्त जस्टिस वर्मा शहर से बाहर थे। 21 मार्च को कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि जस्टिस वर्मा के घर से 15 करोड़ कैश मिला था। काफी नोट जल गए थे।घटना के कई वीडियो भी सामने आए। इसमें जस्टिस के घर के स्टोर रूम से 500-500 रुपए के जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे दिखे। जस्टिस वर्मा उस समय दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस थे। बाद में उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था।
CJI की बनाई कमेटी ने जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया था
22 मार्च को तत्कालीन CJI संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की इंटरनल जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई थी। पैनल ने 4 मई को CJI को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसमें जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया गया था। रिपोर्ट के आधार पर ‘इन-हाउस प्रोसीजर’ के तहत पूर्व CJI खन्ना ने 8 मई सरकार से जस्टिस वर्मा को हटाने की सिफारिश की थी। जांच समिति में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन थीं।
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