Bihar News: बिहार के सुपौल जिले के त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल से एक शर्मनाक घटना सामने आई है, जहां बिते शुक्रवार की रात डॉक्टरों की अनुपस्थिति में सर्पदंश पीड़िता का इलाज किसी डॉक्टर ने नहीं, बल्कि एक महिला तांत्रिक ने किया।

पूरा मामला छातापुर थाना क्षेत्र के नरहिया वार्ड-1 का है। स्थानीय निवासी रविंद्र सरदार की 18 वर्षीय बेटी आरती कुमारी को शुक्रवार रात करीब 8:30 बजे घर के बाहर सांप ने बाएं पैर में काट लिया। परिजन तुरंत उसे त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन वहां कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था।

मजबूरी में बुलाना पड़ा तांत्रिक

डॉक्टर नहीं मिलने पर परिजनों ने रिश्तेदारी में रहने वाली महिला तांत्रिक रजनी देवी को बुला लिया। रजनी देवी सीधे अस्पताल के इमरजेंसी ऑपरेशन थिएटर (ओटी) में पहुंचीं और करीब 15–20 मिनट तक झाड़फूंक करती रहीं। सरकारी अस्पताल के ओटी में खुलेआम तंत्र-मंत्र होने से यह साफ हो गया कि यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था कितनी बदहाल है।

पीड़िता की मां ने बताया कि, अस्पताल में कोई डॉक्टर नहीं था, इसलिए मजबूरी में तांत्रिक को बुलाया गया। परिजन धर्मेंद्र सरदार ने भी यही बात दोहराई। तांत्रिक रजनी देवी ने खुद कहा कि उन्हें परिजनों ने बुलाया था क्योंकि अस्पताल में कोई चिकित्सक मौजूद नहीं था।

ड्यूटी से गायब थे डॉक्टर साहब

इमरजेंसी ड्यूटी में मौजूद नर्स नीलम कुमारी ने बताया कि, वे हाल ही में ड्यूटी पर आई हैं और उन्हें यह तक पता नहीं कि किस डॉक्टर की ड्यूटी थी। जबकि अस्पताल के ड्यूटी चार्ट के मुताबिक रात 8 बजे से सुबह 8 बजे तक डॉक्टर संजीव कुमार सुमन की ड्यूटी थी, लेकिन वे मौके पर अनुपस्थित थे और उनकी जगह कोई अन्य डॉक्टर भी नहीं था।

करीब 14 करोड़ 36 लाख की लागत से बने इस अस्पताल का उद्देश्य लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देना था, लेकिन हकीकत बिल्कुल उलट है। डॉक्टरों की गैरमौजूदगी और अस्पताल में झाड़फूंक जैसी घटनाएं सरकार के दावों की पोल खोल रही हैं।

तांत्रिकों से इलाज कराने को विवश

यह पहली बार नहीं है जब त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल लापरवाही के कारण सुर्खियों में आया हो। इससे पहले भी कई बार यहां ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, लेकिन अब तक प्रशासन ने कोई सख्त कार्रवाई नहीं की है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि, जब करोड़ों रुपये खर्च कर अस्पताल और इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है, तो आखिर मरीजों को इसका फायदा क्यों नहीं मिल रहा? और क्यों लोग मजबूरी में तांत्रिकों के भरोसे इलाज करवाने को विवश हैं?

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