पटना. बिहार में मतदाता सूची और SIR (स्पेशल इलेक्टर्स रिवीजन) को लेकर जारी सियासी जंग अब और तेज होती जा रही है। राजद नेता और सांसद सुधाकर सिंह ने मंगलवार को एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि तेजस्वी यादव के दो EPIC नंबर होने का जो मुद्दा उठाया जा रहा है, वह राजनीतिक साजिश है, और इसके पीछे चुनाव आयोग की भूमिका संदिग्ध है।
“कहां है वह फार्म?” – सुधाकर सिंह
सुधाकर सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पहले भी हमने चुनाव आयोग से स्पष्ट रूप से पूछा था कि वह वह फॉर्म दिखाए, जिसमें तेजस्वी जी ने दो बार वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए आवेदन किया हो। हमें खुद जानकारी नहीं थी कि उनका नाम दो जगह दर्ज है। यह जानकारी भी खुद चुनाव आयोग ने ही दी। ऐसे में हम बार-बार आयोग से पूछ रहे हैं कि वह फार्म दिखा दे, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला है। उन्होंने यह भी कहा कि यह सब एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा है, जिसका मकसद विपक्षी नेताओं की छवि धूमिल करना है।
चुनाव आयोग लोकतंत्र की बुनियाद को कमजोर कर रहा है
राजद सांसद ने चुनाव आयोग की कार्यशैली पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि चुनाव आयोग को उन सभी चीज़ों से आपत्ति है जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की गारंटी देती हैं। मतदाता का अधिकार सुरक्षित करना आयोग की संवैधानिक जिम्मेदारी है, लेकिन आयोग खुद ही कानूनों की अनदेखी कर रहा है।
राहुल गांधी को मिलने से रोका जाना गंभीर मुद्दा
सुधाकर सिंह ने आगे कहा कि कल जब कांग्रेस सांसद राहुल गांधी चुनाव आयोग के पास शिकायत दर्ज करवाने जाना चाहते थे, तो उन्हें दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में ले लिया गया और चुनाव आयोग से मिलने की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने कहा- एक सांसद जो लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखना चाहता है, उसे गिरफ्तार कर थाने में बैठा दिया गया। यह लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है।
“सुप्रीम कोर्ट की सिफारिशें भी दरकिनार”
सबसे गंभीर आरोप में सुधाकर सिंह ने कहा कि यह चौंकाने वाली बात है कि चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट की सिफारिशों को भी नजरअंदाज कर रहा है। यहां तक कि आयोग ने कोर्ट से कह दिया है कि वह यह बताने के लिए बाध्य नहीं है कि किस आधार पर मतदाता सूची से नाम हटाए गए। यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता के विरुद्ध है और संविधान की मूल भावना पर चोट है।