पटना। नेपाल में हो रही भारी बारिश का असर बिहार में साफ दिखाई दे रहा है। गंगा, गंडक, कोसी और नारायणी सहित कई प्रमुख नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। इससे पटना, भागलपुर, कटिहार समेत कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। लाखों लोग प्रभावित हैं और कई परिवारों को अपना घर छोड़कर ऊंची जगहों पर शरण लेनी पड़ रही है। बाढ़ के बीच लोगों के सामने सबसे बड़ी चुनौती खाने की हो गई है।
बाढ़ पीड़ितों तक भोजन नहीं पहुंच पा रहा
प्रदेश सरकार ने सामुदायिक रसोई केंद्र तो शुरू किए हैं, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के कारण बड़ी संख्या में बाढ़ पीड़ितों तक भोजन नहीं पहुंच पा रहा। इसी बीच, विधानसभा चुनावी साल होने के चलते राजनीतिक दल भी राहत कार्यों में सक्रिय हो गए हैं। बीजेपी ने ‘मोदी किचन’ की शुरुआत की है, वहीं राजद ने ‘लालू रसोई’ खोलकर मदद का हाथ बढ़ाया है।
मुकाबला देखने को मिल रहा
राहत शिविरों और अस्थायी ठिकानों पर इन दोनों रसोइयों में अच्छा खासा मुकाबला देखने को मिल रहा है। कहीं बाढ़ पीड़ितों के लिए हलवा-पूड़ी बन रही है, तो कहीं बासमती चावल और तड़का दाल परोसी जा रही है। नेताओं के प्रयासों से फिलहाल बड़ी संख्या में लोगों को दिन में दो बार भरपेट भोजन मिल रहा है, जिससे उन्हें थोड़ी राहत मिली है।
लालू रसोई चलाने की घोषणा की
दो दिन पहले बख्तियारपुर के विधायक अनिरुद्ध कुमार ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया और ‘लालू रसोई’ चलाने की घोषणा की थी। लेकिन रसोई शुरू होने से पहले ही पूर्व विधायक लल्लू मुखिया ने ‘मोदी किचन’ का उद्घाटन कर दिया। इसके बाद बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र में दोनों रसोइयों ने एक साथ काम शुरू कर दिया।
अस्थायी राहत शिविर बनाए गए हैं
हालांकि सरकारी स्तर पर केवल कुछ सरकारी स्कूलों में अस्थायी राहत शिविर बनाए गए हैं, लेकिन सामूहिक भोजन की व्यवस्था अब तक नहीं हो पाई है। ऐसे में नेताओं द्वारा शुरू की गई रसोइयां बाढ़ पीड़ितों के लिए जीवनरेखा साबित हो रही हैं।
जनता के बीच प्रचार का जरिया
विशेषज्ञों का मानना है कि आपदा के समय राजनीति और राहत साथ-साथ चलती हैं, लेकिन इस बार यह और भी स्पष्ट है। ‘मोदी किचन’ और ‘लालू रसोई’ जहां भूखे लोगों को भोजन दे रही हैं, वहीं चुनावी साल में इन प्रयासों को जनता के बीच प्रचार का जरिया भी माना जा रहा है। फिलहाल, बाढ़ पीड़ित जनता के लिए यह मायने नहीं रखता कि भोजन किसने दिया—बस पेट भरने की चिंता है।
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