Benefits of Russian Oil in India: भारत को बीते तीन साल से रूस से 5 से 30 डॉलर प्रति बैरल सस्ता क्रूड ऑयल मिल रहा है. सुनने में यह सौदा आम जनता के लिए फायदे का लगता है, लेकिन असली तस्वीर अलग है. इस डिस्काउंट का 65% फायदा निजी दिग्गजों (रिलायंस, नायरा) और सरकारी ऑयल कंपनियों (IOC, BPCL) को मिला, जबकि 35% हिस्सा सरकार के खाते में गया. आम आदमी के हिस्से में सीधे तौर पर कुछ नहीं आया.

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Benefits of Russian Oil in India:

Benefits of Russian Oil in India

अमेरिका का नाराजगी भरा वार (Benefits of Russian Oil in India)

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया. वजह, रूस से सस्ता तेल खरीदकर उसे प्रोसेस करना और यूरोप सहित अन्य देशों में ऊंची कीमत पर बेचना. ट्रम्प ने सवाल उठाया कि भारत को रूस-यूक्रेन युद्ध में हो रही तबाही की परवाह नहीं.

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सवाल 1: जनता को सस्ते तेल का फायदा क्यों नहीं? (Benefits of Russian Oil in India)

तेल की कीमतें कागज़ पर भले ही डी-रेगुलेटेड हों, लेकिन हकीकत में पेट्रोल-डीजल की रिटेल दरें तेल कंपनियों और सरकार के कंट्रोल में हैं. सरकार को इस सेक्टर से हर साल 4.7 लाख करोड़ रुपये टैक्स के रूप में मिलते हैं. तेल कंपनियां पुराने LPG सब्सिडी घाटे का हवाला देकर मार्जिन ऊंचा रखती हैं.

पेट्रोल की कीमत का 46% और डीजल का 42% सिर्फ टैक्स होता है. अप्रैल 2025 में एक्साइज ड्यूटी ₹2/लीटर बढ़ाकर केंद्र ने 32,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त वसूले.

नतीजा- सस्ता क्रूड कंपनियों और सरकार की तिजोरी भरता है, आम उपभोक्ता को राहत नहीं मिलती.

सवाल 2: कंपनियों ने कितना कमाया? (Benefits of Russian Oil in India)

2020 में रूस से तेल आयात का हिस्सा 1.7% था, जो 2025 में बढ़कर 35.1% हो गया. 2022-23 में IOC, BPCL और HPCL का कुल मुनाफा ₹3,400 करोड़ था, जो 2023-24 में 25 गुना बढ़कर ₹86,000 करोड़ हो गया. 2024-25 में यह घटकर ₹33,602 करोड़ रहा, लेकिन 2022-23 की तुलना में अब भी कहीं अधिक है.

रिलायंस ने प्रति बैरल $12.5 और नायरा ने $15.2 रिफाइनिंग मार्जिन हासिल किया. 2025 की पहली छमाही में रूस से आए 23.1 करोड़ बैरल क्रूड में 45% हिस्सेदारी सिर्फ रिलायंस-नायरा की रही, जबकि 2022 में ये हिस्सेदारी क्रमशः 8% और 7% थी.

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