चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने 2027 के पंजाब विधानसभा चुनावों की तैयारियों को गति देते हुए संगठन को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने तीन नेताओं को शहरी अध्यक्ष और 55 नेताओं को उपाध्यक्ष नियुक्त किया है। इस कदम का मकसद पार्टी के कोर वोटरों को जोड़ना और संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूती प्रदान करना है। सुखबीर बादल ने नवनिर्वाचित नेताओं पर भरोसा जताते हुए कहा कि ये नियुक्तियां पार्टी को नई ऊर्जा देंगी।

सुखबीर बादल ने गुरबचन सिंह बब्बेहाली को गुरदासपुर शहर का अध्यक्ष, खानमुख भारती को मोगा शहर का अध्यक्ष और जरनैल सिंह वाहिद को कपूरथला शहर का अध्यक्ष नियुक्त किया है। इसके अलावा, 55 नेताओं को उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिनमें जगदेव सिंह बोपाराए, संजीव तलवाड़, संजीव कुमार शोरी, जोध सिंह समरा, बलजीत सिंह जलाल उस्मा, गुरिंदरपाल सिंह लाली रानीके, हरिंदर सिंह मेहराज, इकबाल सिंह बबली ढिल्लों, मोहन सिंह बंगी, कुलवंत सिंह कीटू, रोहित कुमार मॉन्टू वोहरा, गुरतेज सिंह घुड़ियाना, सतिंदरजीत सिंह मांटा, जगसीर सिंह बब्बू जैमलवाला, अशोक अनेजा, प्रेम वलेचा, नरेश महाजन, परमजीत सिंह पम्मा, निशान सिंह, सुरजीत सिंह रायपुर, प्रीतिंदर सिंह समेवाली, मनजिंदर सिंह बिट्टू, नवतेज सिंह कौनी, राजविंदर सिंह धरमकोट, चरनजीत सिंह कलेवाल, अमरिंदर सिंह बाजाज, जसपाल सिंह बिट्टू छट्टा, मखन सिंह लालका, अजमेर सिंह खेड़ा, जरनैल सिंह औलख, रविंदर सिंह ब्रह्मपुरा, डॉ. राज सिंह दिबीपुरा, ओम प्रकाश कांबोज जंडवाला भीमेशाह, बलकार सिंह बराड़, लखविंदर सिंह रोहीवाला, बलजीत सिंह भूटा, कमलजीत चावला, जरनैल सिंह डोगरांवाला, प्रेम कुमार अरोड़ा, संजीत सिंह सन्नी गिल, गुलजार सिंह मूनक, गुरिकबाल सिंह महल, एच.एस. वालिया, परूपकार सिंह घुमान, रमनदीप सिंह संधू, महिंदर सिंह लालवा, लखवीर सिंह लाठ, रविंदर सिंह चीमा, राजविंदर सिंह सिद्धू एडवोकेट, बिक्रमजीत खालसा, इकबाल सिंह पूनिया, गुरदेव सिंह आलमके, सुरिंदर शिंदी और गुरप्रीत सिंह लापरां शामिल हैं।

शिरोमणि अकाली दल की नजर अब 2027 के विधानसभा चुनावों पर है। पार्टी के सामने अपने कोर वोटरों को फिर से जोड़ने की बड़ी चुनौती है। किसान आंदोलन के बाद भाजपा से गठबंधन टूटने के कारण अकाली दल को पिछले कुछ वर्षों में काफी नुकसान झेलना पड़ा। 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी केवल तीन सीटें जीत सकी, जबकि 2024 के लोकसभा चुनाव में उसे एकमात्र सीट पर जीत मिली। इन नाकामियों के बाद पार्टी संगठन को मजबूत करने और पुराने गौरव को वापस लाने के लिए सक्रिय हो गई है।