Lalluram Desk. राष्ट्रवादी नेता विनायक सावरकर पर की गई टिप्पणियों को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ चल रहे आपराधिक मानहानि मामले में एक घटनाक्रम में पुणे की एक विशेष सांसद/विधायक अदालत ने बुधवार को उनके वकील द्वारा दायर एक याचिका को रिकॉर्ड में ले लिया, जिसमें गांधी की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की गई है, खासकर कथित “वोट चोरी” का “पर्दाफाश” करने के बाद.

वकील मिलिंद पवार ने याचिका में बताया है कि कैसे भाजपा नेता आरएन बिट्टू ने गांधी को “आतंकवादी” कहा है और साथ ही एक अन्य भाजपा नेता तरविंदर मारवाह ने भी खुली धमकी दी है, जिन्होंने कहा था कि गांधी को “अच्छा व्यवहार करना चाहिए, अन्यथा उनका भी अपनी दादी जैसा हश्र हो सकता है.”

इसके अलावा, पवार ने इस मामले में शिकायतकर्ता सत्यकी के सावरकर और गोडसे परिवारों से संबंध और उनके प्रभाव का दुरुपयोग करने के तरीके पर प्रकाश डाला है.

याचिका में कहा गया है, “शिकायतकर्ता के वंश से जुड़ी हिंसक और संविधान-विरोधी प्रवृत्तियों के प्रलेखित इतिहास और मौजूदा राजनीतिक माहौल को देखते हुए, यह स्पष्ट, उचित और ठोस आशंका है कि गांधी को विनायक सावरकर की विचारधारा को मानने वाले लोगों द्वारा नुकसान पहुँचाया जा सकता है, गलत तरीके से फंसाया जा सकता है या अन्य प्रकार से निशाना बनाया जा सकता है.”

याचिका में कहा गया है कि गांधी को न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर पूरा भरोसा है, लेकिन यह ज़रूरी है कि अदालत मामले के आगे बढ़ने के साथ-साथ उनके आसपास की ताकतों, प्रभावों और असाधारण परिस्थितियों के प्रति पूरी तरह सचेत रहे.

“शिकायतकर्ता ने स्वयं महात्मा गांधी के हत्यारों के सहयोगियों से अपने वंश का दावा किया है. इस वंश से जुड़े गंभीर इतिहास को देखते हुए, बचाव पक्ष को यह वास्तविक और उचित आशंका है कि इतिहास को खुद को दोहराने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. यह भी ध्यान रखना ज़रूरी है कि शिकायतकर्ता के वैचारिक पूर्वजों द्वारा अपनाई गई हिंदुत्व की विचारधारा ने कई मामलों में असंवैधानिक तरीकों से राजनीतिक सत्ता हासिल की है.”

याचिका में आगे आरोप लगाया गया है कि इस विचारधारा के अनुयायी जाति और धर्म के आधार पर द्वेष फैलाने, चुनावी प्रक्रियाओं में हेराफेरी करने और गरीबों की कीमत पर कुछ उद्योगपतियों को लाभ पहुँचाने के लिए जाने जाते हैं.

याचिका में आगे लिखा है, “गांधी, विपक्ष के नेता के रूप में अपनी संवैधानिक क्षमता में, ऐसी नीतियों के खिलाफ खड़े हैं और गरीबों व हाशिए पर पड़े लोगों के लिए आवाज उठा रहे हैं. तदनुसार, इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि जाति-आधारित अतिवादी, राजनीति से प्रेरित उद्योगपति, हिंदुत्व समर्थक और संवैधानिक शासन को तहस-नहस करने के इच्छुक लोग अभियुक्तों के प्रति द्वेष रखते हों.”

इसलिए, यह दावा किया जाता है कि इस बात की वास्तविक आशंका है कि शिकायतकर्ता न्यायालय पर प्रभाव डालने के इरादे से मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों का अनुचित लाभ उठाने की कोशिश कर सकता है.