Rajasthan News: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के मुमरेजपुर गांव का राकेश 14 साल की उम्र में घर छोड़कर चला गया था। पढ़ाई में कमजोर होने और माता-पिता के दबाव से डरकर वह जून 1999 में बिना बताए निकल गया। उसी समय उसके दो बड़े भाई मुनेश और रजनीश कारगिल युद्ध में डटे थे। परिवार ने कई महीनों तक तलाश की, लेकिन कोई खबर नहीं मिली। आखिरकार परिजनों ने मान लिया कि राकेश अब इस दुनिया में नहीं है।

भटकते-भटकते फैक्ट्री में काम, फिर हादसा
नाबालिग होने के कारण राकेश को शुरू में कोई काम नहीं मिला। जैसे-तैसे बालिग होने पर एक फैक्ट्री में नौकरी मिली, लेकिन करीब एक साल पहले वह केमिकल में गिरकर बुरी तरह झुलस गया। इलाज के पैसे न होने से हालत बिगड़ती गई और जलन से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह पर वह उत्तराखंड के हरिद्वार चला गया।
गंगा किनारे मिला, ‘अपना घर’ आश्रम ने बचाया
करीब तीन महीने पहले ‘अपना घर’ आश्रम की एंबुलेंस असहाय लोगों को रेस्क्यू कर रही थी, तभी गंगा किनारे गंभीर रूप से घायल राकेश मिला। शरीर का आधा हिस्सा जल चुका था और बड़े-बड़े घाव थे। उसे भरतपुर स्थित आश्रम में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के बाद उसकी हालत सुधरी।
काउंसलिंग में बताया घर का पता
स्वस्थ होने पर काउंसलिंग के दौरान राकेश ने अपना गांव और जिला बताया। आश्रम की पुनर्वास टीम ने तुरंत उसके भाई मुनेश और बबलू से संपर्क किया। खबर मिलते ही दोनों भाई भरतपुर पहुंचे।
भावुक मुलाकात
26 साल बाद भाई को सामने देखकर मुनेश भावुक हो गए और गले लगाकर फूट-फूटकर रो पड़े। सभी जरूरी औपचारिकताओं के बाद ‘अपना घर’ आश्रम ने राकेश को उसके परिवार को सौंप दिया।
पढ़ें ये खबरें
- पुलिस-नक्सली मुठभेड़: घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने जवानों पर किया हमला, जवाबी फायरिंग में हथियार छोड़ भागे, एक ग्रामीण घायल
- CG Accident News : माजदा से टकराई बाइक, महिला और युवक की मौके पर मौत
- कन्नौज में करंट लगने से बिजलीकर्मी की मौत: भड़के अखिलेश यादव, पुलिस के आपत्तिजनक व्यवहार पर उठाए सवाल
- UP विधानसभा में भिड़े BJP के दो विधायक: जमकर हुई चिल्लम चिल्ली, दूसरे विधायकों को करना पड़ा बीच-बचाव, VIDEO वायरल
- ठगी का नया तरीका: ट्रेन गार्ड बनकर तीन मजदूरों से 42 हजार लूटे, पुलिस ने आवेदन लेकर की खानापूर्ति