Janmashtami 2025: जन्माष्टमी का त्योहार भगवान कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन मंदिरों और घरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भगवान को भोग लगाना होता है, जिसमें पंजीरी और पंचामृत का विशेष स्थान है. इस तरह, पंजीरी और पंचामृत सिर्फ प्रसाद नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़े गहरे अर्थों वाले भोग हैं, जो जन्माष्टमी की पूजा को और भी खास बनाते हैं.

पंजीरी का भोग भगवान कृष्ण को क्यों लगाया जाता है (Janmashtami 2025)?

पंजीरी का भोग भगवान को चढ़ाने के पीछे मुख्य कारण यह है कि यह एक शुद्ध और सात्विक प्रसाद है. ऐसा माना जाता है कि भगवान को केवल वही चीज़ें अर्पित करनी चाहिए जो सबसे पवित्र और सादा हों.

पंजीरी का भोग, भक्तों का अपने आराध्य के प्रति प्रेम और समर्पण दर्शाता है. यह एक ऐसा प्रसाद है जिसे भक्त अपने हाथों से बड़े प्रेम से तैयार करते हैं और अपने इष्टदेव को अर्पित करते हैं. धनिया, जो पंजीरी का मुख्य हिस्सा है, उसे धार्मिक रूप से बहुत पवित्र माना जाता है. इसे भगवान को अर्पित करने से मन और आत्मा की शुद्धता का भाव प्रकट होता है.

पंचामृत का महत्व

पंचामृत का शाब्दिक अर्थ है पाँच अमृत. यह पाँच पवित्र चीजों—दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल—को मिलाकर बनाया जाता है. जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण के विग्रह (मूर्ति) को स्नान कराने के लिए इसका उपयोग किया जाता है. इसके बाद, इसे प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटा जाता है.