Supreme court Hearing On Bihar SIR: सुप्रीम कोर्ट में आज बिहार वोटर लिस्ट रीविजन (SIR) पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने ड्राफ्ट लिस्ट में से 65 लाख लोगों के नाम हटाने वालों के नाम सार्वजनिक करने के निर्देश चुनाव आयोग (election Commission) को दिए। सुप्रीम कोर्ट ने इवेक्शन कमिशन ने पूछा कि 65 लाख हटाए गए लोगों का डेटा क्यों सार्वजनिक नहीं किया? सभी नामों को तुरंत सार्वजनिक कीजिए। इस पर चुनाव आयोग ने कहा-ठीक है, आपका आदेश है तो कर देंगे।

स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR पर तीसरे दिन भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच में ये सुनवाई चली।

जस्टिस जे. कांत ने कहा कि ‘मंगलवार तक चुनाव आयोग यह बताए कि वह पारदर्शिता के लिए क्या कदम उठाने जा रहा है।’अदालत ने स्पष्ट किया कि ‘जिन लोगों ने फॉर्म जमा किए हैं, वे फिलहाल मतदाता सूची में शामिल हैं।’ जस्टिस कांत ने वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी से कहा कि ‘चूंकि यह कार्रवाई नागरिक के मताधिकार से वंचित करने जैसे गंभीर परिणाम ला सकती है, इसलिए निष्पक्ष प्रक्रिया जरूरी है।

जस्टिस कांत ने कहा कि हम नहीं चाहते कि नागरिकों के अधिकार राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं पर निर्भर हों। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि आपने सुना ही होगा कि ड्राफ्ट रोल में मृत या जीवित लोगों को लेकर गंभीर विवाद है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि आपके पास ऐसे लोगों की पहचान करने का क्या तंत्र है? जिससे परिवार को पता चल सके कि हमारे सदस्य को सूची में मृतक के रूप में शामिल कर दिया गया है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप हटाए गए लोगों की सूची भी वेबसाइट डालें, ताकि लोग हकीकत से वाकिफ हो सकें। आधार नंबर या अन्य जो दस्तावेज दर्ज हो, ईपीआईसी और हटाने का कारण स्पष्ट कर दें।

हर एक विधानसभा क्षेत्र के हिसाब से देंगे जानकारीः चुनाव आयोग

इस पर चुनाव आयोग ने कहा कि ठीक है हम हर एक विधानसभा क्षेत्र के हिसाब से वेबसाइट में यह जानकारी मुहैया करा देंगे। चुनाव आयोग ने कहा कि हटाए गए लोगों की हम जिला स्तर पर सूची जारी करेंगे। जस्टिस बागची ने कहा कि हम बस यह जानकारी सार्वजनिक करना चाहते हैं। जस्टिस कांत ने कहा कि पूनम देवी के परिवार को पता होना चाहिए कि उनका नाम इसलिए हटाया गया है, क्योंकि उनकी मृत्यु हो चुकी है।

SC ने क्या-क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपके अनुसार 1 जनवरी 2025 तक 7.89 करोड़ लोग हैं, जिनमें से 7.24 करोड़ फॉर्म पहले ही भरे जा चुके हैं, बाकी 65 लाख हैं। 65 लाख में से 22 लाख लोग मर चुके हैं। आपने सुना होगा कि मृत या जीवित पर गंभीर विवाद है। लोगों को जानने की क्या व्यवस्था है? ताकि परिवार को पता चल सके कि हमारे सदस्य को सूची में मृत के रूप में शामिल किया गया है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नागरिकों के अपने अधिकार हैं। कुछ संविधान से जुड़े हैं, कुछ कानून से. क्या आपके पास कोई ऐसी व्यवस्था नहीं हो सकती, जिससे उन्हें स्थानीय राजनीतिक दल के पीछे न भागना पड़े? चुनाव आयोग ने कहा- बूथों की संख्या बढ़ा दी गई है। वेबसाइट पर हमने बीएलओ की संख्या दी है. मृतकों की पहचान के लिए अधिकारी स्वयंसेवकों के साथ घर-घर जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा-आप इसे इंटरनेट पर भी क्यों नहीं करते? चुनाव आयोग ने कहा-छूटे हुए लोगों की सूची चुनाव आयोग की वेबसाइट पर है> बस नाम और ईपीआईसी नंबर दर्ज करना है, इससे पता चल जाएगा कि व्यक्ति ने गणना फॉर्म भरा है या नहीं।

SC ने कहा हटाए गए लोगों का आंकड़ा बुहत बड़ा

जस्टिस कांत ने कहा लेकिन बिहार और दूसरे राज्यों में गरीब आबादी है। यह एक सच्चाई है, ग्रामीण इलाकों में अभी समय लगेगा। द्विवेदी ने कहा कि शहरी इलाकों में मतदाताओं को पकड़ना ज्यादा मुश्किल है। वो ऐसा करना ही नहीं चाहते. आज के बिहार में पुरुषों की साक्षरता दर 80% है। हिलाओं की साक्षरता दर 65% को छू रही है। आज के युवा पहले जैसे नहीं हैं। आज तक, लगभग 5 करोड़ लोग जो 2003 की सूची में हैं। 7.24 लाख ड्राफ्ट में हैं, 65 लाख हटे हैं। जस्टिस कांत ने कहा कि लेकिन यह बहुत बड़ा आंकड़ा है। द्विवेदी ने कहा कि इसमें 22 लाख लोग मृत हैं।

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