कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। ग्वालियर के लिए गौरव की बात है कि देश में तीसरी और उत्तर भारत की पहली राष्ट्रीय ध्वज निर्माण कर्मशाला मध्यप्रदेश के ग्वालियर में है। मध्य भारत खादी संघ ग्वालियर में बना तिरंगा अब पूरे उत्तर भारत सहित देश के 17 राज्यो में सप्लाई हो रहा हैं। ग्वालियर के मध्यभारत खादी संघ द्वारा जो तिरंगे तैयार किए जाते हैं उसका धागा भी हाथों से इसी केंद्र में तैयार किया जाता है। केंद्र की स्थापना साल 1930 में चरखा संघ के तौर पर हुई थी। 1956 में मध्य भारत खादी संघ को आयोग का दर्जा मिला। ग्वालियर में बने तिरंगे देश के 17 से ज्यादा राज्यों में सप्लाय होते हैं सालाना हज़ारो तिरंगे बनते है।
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देशभर में आजादी का जश्न मनाया जा रहा है। इसके तहत देश में “हर घर तिरंगा” अभियान जोर शोर से चल रहा है। यही वजह है कि तिरंगे की मांग इस बार पांच गुना ज्यादा बढ़ गई है। लिहाज़ा राष्ट्रीय ध्वज निर्माण एजेंसियो ने भी बड़ी मात्रा में तिरंगा बनाये, ग्वालियर में बने तिरंगे की देशभर में मांग है। यही वजह है कि मध्य भारत खादी संघ ने 26 जनवरी और 15 अगस्त को मिलाकर 01 करोड़ 57 लाख कीमत के राष्ट्रीय ध्वज सप्लाई किये है।
अलग-अलग स्थानों के लिए झंडे का आकार भी अलग-अलग
- सबसे छोटा 6:4 इंच का तिरंगा मीटिंग,कॉन्फ्रेंस आदि में टेबल पर रखा जाता है।
- VVIP कारों के लिए इसका आकार 9:6 इंच होता है।
- राष्ट्रपति ,VVIP ,एयरक्राफ्ट और ट्रेन के लिए इसका आकार 18:12 इंच,
- कमरों में क्रॉस बार पर दिखने वाले झंडे 3:2 फुट,
- बहुत छोटी पब्लिक इमारत पर लगने वाले झंडे 5.5:3 फुट,
- शहीद सैनिकों के पार्थिव शरीर पर लिपटे तिरंगे का आकार 6:4 फुट होता है।
- संसद भवन और मध्यम साइज वाली सरकारी इमारतों के लिए इसका आकार 9:6 फुट,
- गन कैरिएज, लाल किले और राष्ट्रपति भवन के लिए 12:8 फुट रखा गया है।
- बहुत बड़ी सरकारी इमारत के लिए तिरंगे का आकार 21:14 फुट है।
ग्वालियर में जो तिरंगे तैयार होते हैं, वो राष्ट्रीय ध्वज मानकों के आधार पर होता है। तिरंगा झंडा के लिए धागा भी इसी केंद्र पर हाथों से तैयार किया जाता है, जिसमे ताना बाना की मजबूती से लेकर रंग तक राष्ट्रीय मानक के आधार पर रहता है। तिरंगे की सिलाई के दौरान कपड़े का मेजरमेंट, रंगों की मजबूती, सहित अन्य मानकों को जांचने के लिए मशीनों से टेस्टिंग की जाती है। एक दर्जन से ज्यादा टेस्टिंग से गुजरने के बाद तिरंगा तैयार होता है। तिरंगा बनाने वाले भी खुश हैं कि इस साल तिरंगा को लेकर लोगों में भारी क्रेज बढ़ा है। साथ ही इस बात का गर्व महसूस होता है कि वो देश की शान तिरंगा बनाने का काम करते हैं।
कई चरणों के बाद बनकर तैयार होता है तिरंगा
- धागा बनाना,
- कपड़े की बुनाई,
- ब्लीचिंग व डाइंग,
- चक्र की छपाई,
- तीनों पटिृयों की सिलाई, 6-आयरन करना और टॉगलिंग (गुल्ली बांधना) शामिल है।
राष्ट्रीय ध्वज की क्वालिटी को BIS चेक करता है। हर सेक्शन पर कुल 18 बार तिरंगे की क्वालिटी चेक की जाती है। देश की आनबान तिरंगा बनाने का गौरव गवलियर को मिला है, जिससे हर किसी को गर्व महसूस होता है।
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