Kishtwar Cloudburst : जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ के चशोती इलाके में बादल फटने (Kishtwar Cloudburst) से बड़ी तबाही हुई है. इस आपदा में मौत का आंकड़ा बढ़कर अब 60 तक पहुंच गया है। 2 CISF समेत 21 शव पहचाने गए हैं. अब तक 167 लोग घायल बताए जा रहे हैं। जिनमें से कई की हालत गंभीर बताई जा रही है. लोग पहाड़ से आए पानी और मलबे की चपेट में आ गए.CM अब्दुल्ला ने कहा कि 100 से ज्यादा अभी भी लापता बताए जा रहे हैं.

धार्मिक यात्रा के लिए जुटे कई लोग बह गए

बादल फटने की घटना किश्तवाड़ जिले में पड्डर सब-डिवीजन के चशोटी गांव में हुई है. चशोटी मचैल माता मंदिर यात्रा का शुरुआती पॉइंट है. जिस वक्त बादल फटा वहां श्रद्धालुओं की बसें, टेंट, लंगर और कई दुकानें थीं. सभी बाढ़ में बह गए. बादल फटते ही वहां पर पानी तेजी के साथ आया, जिसकी चपेट में वहां मौजूद लोग आ गए. जिसमें कई लोग बह गए.

रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

किश्तवाड़ डिप्टी कमिश्नर पंकज शर्मा ने बताया- NDRF की टीम सर्च-रेस्क्यू में जुटी है। दो और टीमें रास्ते में हैं। RR के जवान भी ऑपरेशन में जुटे हैं। 60-60 जवानों वाली पांच सैन्य दल (कुल 300), व्हाइट नाइट कोर की मेडिकल टीम, जम्मू-कश्मीर पुलिस, SDRF और अन्य एजेंसियां ऑपरेशन में जुटी हैं। चसोटी से रेस्क्यू किए गए राकेश शर्मा ने बताया- मैं अपने बच्चे समेत मलबा में दब गया, लेकिन हमारी ऊपर लकड़ी का बड़ा सा टुकड़ा आ गिरा था। इसलिए हमारी जान बच गई।

चसोटी मचैल माता मंदिर के रास्ते पर पहला गांव

चसोटी किश्तवाड़ शहर से लगभग 90 किलोमीटर और मचैल माता मंदिर के रास्ते पर पहला गांव है। यह जगह पड्डर घाटी में है, जो 14-15 किलोमीटर अंदर की ओर है। इस इलाके के पहाड़ 1,818 मीटर से लेकर 3,888 मीटर तक ऊंचे हैं। इतनी ऊंचाई पर ग्लेशियर (बर्फ की चादर) और ढलानें हैं, जो पानी के बहाव को तेज करती हैं।

मचैल माता तीर्थयात्रा हर साल अगस्त में होती है। इसमें हजारों श्रद्धालु आते हैं। यह 25 जुलाई से 5 सितंबर तक चलेगी। यह रूट जम्मू से किश्तवाड़ तक 210 किमी लंबा है और इसमें पड्डर से चशोटी तक 19.5 किमी की सड़क पर गाड़ियां जा सकती हैं। उसके बाद 8.5 किमी की पैदल यात्रा होती है।

कैसे हुआ हादसा ?

किश्तवाड़ आपदा के पीड़ित राकेश शर्मा ने बताया-हमने लंगर में प्रसाद खाया था। जैसे ही सड़क पार करने वाले थे, अचानक तेज आवाज आई। देखा कि मलबा गिर रहा है। लोग भागो-भागो चिल्लाने लगे तो हम भी भागने लगे। बच्चे को बचाने की कोशिश में मलबा मुझ पर गिरा, जिससे मैं दब गया, हमारी जान इसलिए बची क्योंकि एक बड़ा लकड़ी का टुकड़ा हम पर गिरा और ढाल बन गया। अभी भी कम से कम 60-70 लोग दबे हो सकते हैं। किश्तवाड़ के लोग बहुत अच्छे हैं, उन्होंने मुझे कपड़े और खाना देकर मदद की।

लोगों के फेफड़ों में कीचड़ भरा

न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, इस त्रासदी के मंजर डराने वाले हैं। मलबे में कई शव खून से सने थे। फेफड़ों में कीचड़ भर गया था। टूटी पसलियां और अंग बिखरे पड़े थे। स्थानीय लोगों, सेना के जवानों और पुलिस ने घायलों को घंटों मशक्कत के बाद कीचड़ भरे इलाके से खोदकर अपनी पीठ पर लादकर अस्पताल पहुंचाया गया। बादल फटने की घटना पर एक स्थानीय निवासी ने बताया- 14 अगस्त की दोपहर करीब दोपहर 1 बजे तेज धमाके जैसी आवाज हुई और लोग चीखने लगे। मैंने देखा कि लोग घबराहट में भाग रहे थे।

हर जगह बस डेड बॉडी ही बॉडी

आपदा में एक पीड़िता ने बताया भावुक होकर बताया कि कई लोगों के पास छोटे-छोटे बच्चे थे। आपदा के बाद वो मलबे में फंस गए। कई बच्चों की गर्दन मुड़ गई तो कई बच्चों के पैर कट गए। आगे-पीछे बस हर जगह डेड बॉडी ही डेड बॉडी थी। कहा कि मेरे पापा ने कई बच्चों को बचाने की कोशिश की। कई बच्चे मौके पर ही मर गए। कुछ सेकंड के अंदर ही नीचे मलबा आ गया। जिसमें बड़े-बड़े पेड़ भी थे बड़े-बड़े पत्थर भी थे

PM मोदी ने जम्मू-कश्मीर के CM और उपराज्यपाल से बात की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किश्तवाड़ में बादल फटने से हुई त्रासदी पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से बात की। उन्होंने स्थिति का जायजा लिया और हर संभव मदद का आश्वासन दिया।

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