कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर के फूलबाग इलाके में 104 साल पुराना गोपाल मंदिर देशभर में प्रसिद्ध है, सिंधिया राजवंश द्वारा बनवाया गए इस मंदिर में भगवान राधा कृष्ण की अदभुत प्रतिमाएं हैं। वैसे तो इस मंदिर में सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन जन्माष्टमी के पर्व का भक्तों को सालभर इंतेज़ार रहता है, आखिर क्यों भक्त जन्माष्टमी का इंतज़ार करते है?
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दरअसल ग्वालियर के फूलबाग स्थित गोपाल मंदिर को भक्तों की आस्था का बड़ा केंद्र माना जाता है, सिंधिया रिसायत कालीन 104 साल पुराने गोपाल मंदिर में राधा कृष्ण की अदभुत प्रतिमाएं है। जन्माष्टमी के मौके पर तो गोपाल मंदिर पर 24 घंटे का उत्सव मनाया जाता है।जन्माष्टमी के दिन भगवान राधा-कृष्ण को 100 करोड़ रुपए से ज्यादा कीमत के गहनों से सजाया जाता है। भगवान का श्रंगार जिन जेवरातों से किया जाता है, वह रियासत कालीन जेवरात है जो हीरे-रत्न जड़ित है, बेहद एंटिक होने के चलते इनकी कीमत लगभग 100 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है। हीरे मोती पन्ने जैसे बेश कीमती रत्नों से सुसज्जित भगवान के मुकुट और अन्य आभूषण है। बेशकीमती गहने सालभर बैंक के लॉकर में रहते हैं, जन्माष्टमी के दिन 24 घंटे के लिए इन गहनों को सुरक्षा व्यवस्था के बीच मंदिर लाया जाता है। जन्माष्टमी पर इन जेवरातों को पहनाकर राधा-कृष्ण का श्रंगार किया जाता है और 24 घंटे तक ये जेवर पहनकर भक्तों को दर्शन देते हैं। नगर निगम के महापौर द्वारा दिन के ठीक 12 बजे गहनों से श्रृंगार कर भगवान राधा कृष्ण की महाआरती की जाती है।
गोपाल मंदिर की स्थापना 1921 में ग्वालियर रियासत के तत्कालीन शासक माधवराव प्रथम ने करवाई थी। सिंधिया राजाओं ने भगवान राधा-कृष्ण् की पूजा के लिए चांदी के बर्तन बनवाए थे साथ ही भगवान के श्रंगार के लिए रत्तन जडित सोने के आभूषण बनवाये थे। इनमें राधा कृष्ण के लिए 55 पन्नो और सात लड़ी का हार, सोने की बांसुरी, सोने की नथ, जंजीर और चांदी के पूजा के बर्तन है।
यह जेवरात पहनते है राधाकृष्ण
- हीरे-जवाहरात से जड़ा स्वर्ण मुकुट
- पन्ना और सोने का सात लड़ी का हार
- 249 शुद्ध मोती की माला
- हीरे जडे कंगन
- हीरे जड़ित सोने की बांसुरी
- प्रतिमा का विशालकाय चांदी का छत्र
- 50 किलो चांदी के बर्तन
- भगवान श्रीकृष्ण राधा के झुमके
- सोने की नथ, कंठी, चूडियां, कड़े
रियासतकालीन दौर में भगवान राधाकृष्ण हमेशा ही इन गहनों से सजे रहते थे। आज़ादी के बाद जब 1956 में MP का गठन हुआ तो भगवान के एंटीक गहनों को बैंक के लॉकर में रख दिया गया। पचास साल तक बैंक के लॉकर में गहने सुरक्षित रहे, साल 2007 में तत्कालीन महापौर ने सरकार से बात कर साल में एक दिन जन्माष्टमी पर इन गहनों से भगवान का श्रृंगार करने की मांग की, सरकार की रजामंदी के बाद हर साल जन्माष्टमी के दिन इन गहनों को सुरक्षा व्यवस्था के बीच बैंक से निकाला जाता है और गहनों को पहनकर भगवान राधा कृष्ण 24 घंटे सजीले स्वरूप में दर्शन देते हैं। 24 घंटे तक राधा-कृष्ण इन जेवरातों से श्रंगारित रहते हैं, इस स्वरुप को देखने के लिए भक्तों को सालभर इंतजार रहता है। यही वजह है कि भक्तों का दर्शन के लिए तांता लगता है। भक्त मानते है कि 100 करोड़ के गहनों से सजे राधा-कृष्ण के दर्शऩ का सालभर इंतजार रहता है और यहा मांगी गई मन्नत पूरी होती है। श्रद्धालु कहते हैं कि जन्माष्टमी के दिन गोपाल मंदिर में मथुरा जैसा अहसास होता है।
गोपाल जी और राधा जी करोड़ों के जेवरातों से सजते है, भक्तों की भारी तादाद रहती है, यही वजह है कि मंदिर और भक्तों की सुरक्षा के लिए खास इंतजाम रहते है। करीब डेढ़ सौ से ज्यादा सुरक्षाकर्मा मंदिर के गहनों और भक्तों की सुरक्षा के लिए तैनात रहता है। साथ ही सीसीटीवी कैमरों की मदद से मंदिर और आसापास के परिसर में पुलिस की निगरानी रहती है। इस तामझाम के बीच लोग आस्था के साथ राधाकृष्ण के सजीले रूप के दर्शन कर मन्नत मांगने आते हैं।
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