भारत में कई चमत्कारी और रहस्यमयी मंदिर मौजूद है, जो देश-दुनिया में काफी प्रसिद्ध है. देशभर में भगवान कृष्ण के अनेकों मंदिर का अलग-अलग महत्व है. लेकिन दक्षिण भारत के केरल राज्य के थिरुवरप्पि में भगवान कृष्ण का एक खास मंदिर मौजूद है. इसे तिरुवरप्पु श्री कृष्ण स्वामी मंदिर (Thiruvarppu Krishna Temple) के नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर की मूर्ति को लेकर मान्यता है कि यह कंस को मारने के बाद बहुत थके हुए और भूखे कृष्ण से संबंधित है.

महाभारत काल से है श्री कृष्ण की मूर्ति का संबंध
मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि जब पांडवों को 14 साल तक जंगल में रहना पड़ा, तो भगवान कृष्ण ने उन्हें पूजा के लिए अपनी मूर्ति दी थी. वनवास पूरा होने के बाद वहां रहने वाले निवासियों ने पांडवों से उस मूर्ति को वहीं छोड़कर जाने को कहा, जिसके बाद लोगों ने ग्राम देवता के तौर पर इस मूर्ति की पूजा शुरू कर दें. एक बार वहां के निवासी काफी संकटों से घिर गए थे, ऐसे में एक पंडित ने कहा कि भगवान की पूजा ठीक ढंग से नहीं हो पा रही है. इसके बाद उन्होंने श्री कृष्ण की मूर्ति को नदी में विसर्जित कर दिया गया.
वहीं, काफी समय के बाद केरल के एक ऋषि बिल्वमंगल स्वामीयार नाव से यात्रा कर रहे थे, तभी उनकी नाव एक स्थान पर अटक गई. काफी प्रयास करने के बाद भी वो वहां से नहीं हिल पाए, जिसके बाद समस्या देखने के लिए वह पानी में उतर गए. तब उन्होंने भगवान कृष्ण की मूर्ति मिली. उन्होंने मूर्ति को नाव में रखकर किनारे में पहुंच गए और एक पेड़ के नीचे उस मूर्ति को पास में रखकर विश्राम करने लगे. जब वह फिर से जाने के लिए उठे, तो उन्होंने मूर्ति उठाई. लेकिन वह नहीं उठी. इसके बाद मूर्ति को उसी स्थान में स्थापित कर दिया. तभी से उस स्थान को तिरुवरप्पु कृष्ण मंदिर (Thiruvarppu Krishna Temple) के नाम से जाना जाता है.
दिन में कई बार लगा है श्री कृष्ण को भोग
बता दें कि तिरुवरप्पु श्री कृष्ण स्वामी मंदिर (Thiruvarppu Krishna Temple) करीब 1500 साल पुराना है. इस मंदिर में स्थापित भगवान कृष्ण की मूर्ति के चार हाथ हैं और मूर्ति का मुख पश्चिम की ओर है. माना जाता है कि यहां भगवान को थोड़ी सी भूख भी बर्दाश्त नहीं है. अगर उन्हें भोग नहीं मिलता है, तो वह दुबले होने लगते हैं. यही कारण है कि उन्हें दिन में कम से कम 10 बार भोग लगाया जाता है.

24 घंटे में सिर्फ 2 मिनट के लिए बंद होता है कपाट
तिरुवरप्पु श्री कृष्ण स्वामी मंदिर (Thiruvarppu Krishna Temple) के पुजारी के पास चाबियों के साथ एक कुल्हाड़ी भी होती है. मंदिर के कपाट 24 घंटे में सिर्फ 2 मिनट यानी 11.58 मिनट से 12 बजे तक ही बंद किए जाते हैं. स्थानीय लोगों का मानना है कि भगवान भूख बर्दाश्त नहीं कर सकते, इसलिए अगर मंदिर का ताला खोलने में कोई देरी होती है, तो पुजारी को कुल्हाड़ी से ताला तोड़ने का अधिकार है.
ग्रहण के समय भी खुला रहता है ये मंदिर
बता दें कि सूर्य या फिर चंद्र ग्रहण लगने पर सभी मंदिर के कपाट बंद कर दिया जाता है. लेकिन केरल के तिरुवरप्पु श्री कृष्ण स्वामी मंदिर (Thiruvarppu Krishna Temple) में ग्रहण के समय भी कपाट नहीं बंद किए जाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि एक बार ग्रहण के समय मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए थे. ऐसे में जब ग्रहण खत्म होने के बाद कपाट खोले गए, तो मूर्ति सूख गई थी और उनकी कमर की पट्टी खिसकर नीचे आ गई थी. इसके बाद से कभी भी मंदिर के कपाट ग्रहण के समय बंद नहीं किए जाते हैं.
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