Rajasthan News: जन्माष्टमी का पर्व रविवार रात भक्तिभाव और उल्लास के बीच मनाया गया। खाटूश्यामजी दरबार में सुबह से ही भक्तों का आना-जाना शुरू हो गया था और रात होते-होते मंदिर परिसर खचाखच भर गया। ठीक 12 बजे महाआरती के साथ कान्हा के जन्मोत्सव का आगाज हुआ। जैसे ही मंदिर के पट खोले गए, श्रद्धालुओं ने कृष्णमयी श्याम स्वरूप के दर्शन किए। पूरा वातावरण श्याम के जयकारों से गूंज उठा। इससे पहले देर रात बाबा श्याम को पंचामृत स्नान करवाया गया।

श्रीसांवलिया सेठ मंदिर में विशेष आयोजन

उधर, चित्तौड़गढ़ के मंडफिया स्थित श्रीसांवलियाजी मंदिर में भी जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई गई। सजावट में फूलों और रंग-बिरंगी लाइटों का खास ध्यान रखा गया था। 12 बजे विशेष आरती हुई और बाल गोपाल को झूला झुलाया गया। मंदिर में तैयारियों का सिलसिला कई दिनों से चल रहा था, जिसका असर उत्सव की भव्यता में साफ नजर आया।

अखाड़ा प्रदर्शन और मटकी फोड़

दोपहर से ही कस्बे में अखाड़ा प्रदर्शन और मटकी फोड़ प्रतियोगिता शुरू हो गई थी। युवा टोली ने पूरे जोश से भाग लिया। देर रात तक चले इन आयोजनों ने जन्मोत्सव की रौनक और बढ़ा दी। जैसे ही कान्हा का जन्म हुआ, मंदिर परिसर में आतिशबाजी की गई। शंखनाद और ढोल-नगाड़ों की गूंज से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया।

विशेष भोग और झांकियां

भगवान श्रीसांवलिया सेठ को साढ़े तीन क्विंटल पंजीरी का भोग लगाया गया। इसके साथ ही माखन-मिश्री और सूखे मेवों से बने कई प्रकार के व्यंजन भी अर्पित किए गए। मंदिर में जीवंत झांकियां सजाई गईं, जिनमें भगवान कृष्ण के बाल्यकाल और जीवन प्रसंगों को दर्शाया गया। इन्हें देखने के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी रहीं।

शहरभर में उत्साह

शहर के अन्य मंदिरों में भी इसी प्रकार जन्माष्टमी का पर्व मनाया गया। रात 12 बजे सभी जगह विशेष आरतियां हुईं और बाल गोपाल को झूला झुलाया गया। लोगों ने परिवार सहित मंदिर पहुंचकर पूजा-अर्चना की और उत्सव में भाग लिया। चारों ओर भक्तिमय भजन गूंजते रहे और श्रद्धा व उल्लास का अनूठा संगम देखने को मिला।

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