राजकुमार पाण्डेय की कलम से

पीएस से अधिक बेटी की चिंता…

घटना भोपाल में हुए जन्माष्टमी के कार्यक्रम की है. जहां कार्यक्रम में शामिल होने के लिए एक विभाग के प्रमुख सचिव पहुंचे तो मुख्य द्वार पर ही जिले के अधिकारियों ने उनकी आवभगत की. बड़े साहब ने कहा कि पीछे की गाड़ी में उनका बेटा है, फिर क्या… मातहत बड़े साहब को छोड़कर बेटे की चिंता में जुट गए. मेन गेट से साहब एंटर हुए और मातहत बेटे को उपयुक्त स्थान तक पहुंचाने में जुटे रहे.

पद नहीं सम्मान चाहिए…

बीजेपी में बदलाव होने के बाद भूतपूर्व नेता फिर मुख्यधारा में आने की जुगत में जुट गए हैं. इसी आस में एक वरिष्ठ नेताजी पार्टी से अधिक संघ और संगठन के नेताओं पर भरोसा जता रहे हैं. नेताजी का पूरा जोर मेल-मुलाकातों पर लगा हुआ है. इन मुलाकातों में नेताजी का सबसे अधिक जोर यह बात कहने पर रहता है कि किसी तरह के पद या अन्य किसी तरह की चाह नहीं है. बस पार्टी में सम्मान रहना चाहिए.

‘वोट चोरी’ प्रेस कॉन्फ्रेंस में आखिरी समय पर बिगड़ गया मामला… 

राहुल गांधी की तर्ज पर मध्य प्रदेश कांग्रेस ने भी ऐलान किया था कि वो वोट चोरी का खुलासा करेंगे. प्रेस कॉन्फ्रेंस की तारीख तय हुई. सरकार से लेकर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की निगाहें प्रेस कॉन्फ्रेंस पर थी. सबको लग रहा था कि राहुल गांधी की तरह कोई आंकड़े जारी किए जाएंगे. लेकिन सिर्फ बयानबाजी तक प्रेस कॉन्फ्रेंस सीमित रह गई. प्रेस कॉन्फ्रेंस में बड़ी एलईडी भी लगाई गई थी, जिसमें कहा जा रहा था कि फर्जी वोटर के बारे में बताया जाएगा. लेकिन बताया जाता है कि आखिरी समय पर जो सबूत कांग्रेस के नेताओं ने वोट चोरी के लिए इकट्ठा किये थे, उसे देख पटवारी नाराज हो गए. उन्हें आंकड़ों में दम नजर नहीं आया. जिनको उन्होंने वोट चोरी के आंकड़े जुटाने की जिम्मेदारी दी थी, उनको फटकार लगाई और आखिरी समय पर प्रेजेंटेशन रोक दिया गया.

महिला मंत्री का पीए, पीएस पर भारी

आदिवासी अंचल से आने वाली महिला मंत्री के पीए के हौसले इन दोनों इतने बुलंद है कि प्रमुख सचिव की भी सुनवाई नहीं हो रही है. पिछले दिनों खरीदी मामले में टेंडर की फाइल को बदलने की सिफारिश तक मंत्री के पीए ने कर दी. वैसे तो महिला मंत्री किसी विवाद में नहीं रहती है, लेकिन विवाद की वजह अब उनके खुद के पीए बन गए हैं. हालांकि प्रमुख सचिव ने मुख्य सचिव को पीए की करतूत की जानकारी तत्काल दे दी. क्योंकि मंत्री की जगह पीए ने ही साइन कर दिया. पुरानी कई नोट शीट की हस्ताक्षर को देखकर प्रमुख सचिव ने फर्जी साइन पकड़ लिया. इससे पहले ट्रांसफर के दौरान भी इसी तरीके की करतूत पीए की थी. लेकिन मंत्री ने पक्ष ले लिया था. हालांकि मंत्री ने अपराधबोध करते हुए पीए को बंगले से बाहर नहीं किया है. क्योंकि लंबे अरसे तक पीए ने उनके परिवार का नमक खाया था.

नेताजी के चक्कर में तहसीलदार उलझे

नेताजी के दबाव और प्रभाव में आकर तहसीलदार ने वह फैसला कर डाला था, जिसमें सरकारी जमीन को निजी होने को सरकारी बता दिया गया था. और इस फैसले आधार दफ्तर से पुराने कागजात हटाकर कुछ नए कागजात रख कर तैयार किया गया था. 2022 में यह फैसला किसी खास को सरकारी जमीन पर कब्जा दिलाने के लिए हुआ था. फरियादी के दादाजी कभी पटवारी हुआ करते थे, इस कारण जमीन के कागजात तो पुख्ता थे, लेकिन तहसीलदार के साथ अपील के दौरान एसडीएम कार्यालय में भी सुनवाई नहीं हुई थी. मामला सिविल कोर्ट पहुंचा और फरियादी ने अदालत के सामने पुराने कागजात रख दिए हैं. सुनने में आ रहा है अब नेताजी ने भी हाथ पीछे कर लिए हैं और तहसीलदार खुद को फंदे में फंसना मान बैठे हैं.

कांग्रेस में चालबाजी या चालाकी

मध्यप्रदेश कांग्रेस में पहले तो कुछ ठीक नहीं था लेकिन अब कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. मामला कांग्रेस के नए जिलाध्यक्षों का है. कल सूची आने के बाद से ही सियासी गलियारों में ऐसी चर्चाएं हैं जो माहौल को गर्म नहीं बल्कि खौला रही हैं. चर्चा में वरिष्ठ से लेकर निचले स्तर के कार्यकर्ताओं में एक ही बात है. भाई जीतू पटवारी ने तो सबको निपटा ही दिया. उन्हें जिलों तक सीमित कर दिया जो कभी प्रदेश और देश में कांग्रेस के बड़े बड़े पदों पर आसीन थे. जयवर्धन, ओंकार सिंह मरकाम, यादव जी समेत कई नाम हैं जिन्हें जिलाध्यक्ष बनाया गया. चर्चा इस बात की भी है कि ऐसा करके पटवारी ने अपने समकक्षों को संगठन की बड़ी कुर्सी से दूर कर दिया है. हालांकि इसके दुष्परिणाम सोशल मीडिया पर सामने आने लगे हैं. हो सकता है यह दांव भी उल्टा पड़ जाए.

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