सुप्रीम कोर्ट ने पानीपत जिले के बुआना लाखू गांव में 2022 के सरपंच चुनाव के नतीजों को पलट दिया। ऐसा पहली बार हुआ जब सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम के वोटों की दोबारा गिनती करवाई। इस गिनती में मोहित कुमार को गुरुवार को विजेता घोषित किया गया। मोहित को कुलदीप सिंह से 51 वोट ज्यादा मिले। कुमार ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “मैंने जिला अदालतों से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी। गांव वालों और दूसरे लोगों ने मुझे हार मान लेने की सलाह दी और कहा कि कुछ नहीं होने वाला।”

मोहित कुमार ने कहा कि मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था और आखिरी फैसले के बाद भी यह बरकरार है। हरियाणा में 2 नवंबर 2022 को पंचायत चुनाव हुए। बुआना लाखू के सरपंच पद के लिए सात कैंडिडेट मैदान में थे। छह बूथ पर वोटिंग हुई थी। कुलदीप सिंह को 313 व वोटों के अंतर से विजयी घोषित किया गया था। अधिकारियों ने बताया कि कुल 3767 वोटों में से कुलदीप सिंह को 1117 वोट मिले और मोहित कुमार को 804 वोट मिले।

कुमार ने इन नतीजों को चुनौती देते हुए आरोप लगाया कि बूथ नंबर 69 के पीठासीन अधिकारी ने गलती से उनके वोट सिंह के नाम पर दर्ज कर दिए थे। इसके बाद उसी दिन रिकाउंटिंग के लिए ईवीएम और चुनाव रिकॉर्ड पानीपत ले जाए गए और कुछ ही घंटों में, कुमार को 51 वोटों के अंतर से विनर घोषित कर दिया गया। हालांकि, सिंह इसके खिलाफ पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट गए और मार्च 2024 में कोर्ट ने कुमार के चुनाव को रद्द कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला

कुमार ने पानीपत के एडिशनल सिविल जज कम इलेक्शन ट्रिब्यूनल में अपील दायर की। अप्रैल 2025 में न्यायाधिकरण ने बूथ नंबर 69 पर ईवीएम की रिकाउंटिंग का आदेश दिया। सिंह ने इस आदेश को चुनौती दी और हाईकोर्ट से इसे रद्द करवाने का आग्रह किया। आखिरकार यह मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा। इस साल 31 जुलाई को कोर्ट ने सभी पोलिंग बूथ पर रिकाउंटिंग का आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट में हुई रिकाउंटिंग

सुप्रीम कोर्ट परिसर में हुई रिकाउंटिंग के बाद कुमार को 1,051 वोट मिले, जबकि सिंह को 1,000 वोट मिले। 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कुमार को विजयी घोषित किया। दो दिन बाद कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए, दहिया ने एक अधिसूचना जारी कर कुमार को बुआना लाखू का निर्वाचित सरपंच घोषित कर दिया।

दहिया ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि अब संबंधित पीठासीन अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। इसमें इस गलती के लिए स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। हालांकि, एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह मामले एक ह्यूमन एरर का नतीजा था। इसे रिकाउंटिंग के बाद ठीक कर दिया गया है। नवंबर 2022 में उसी शाम कुमार को विजेता घोषित किया गया था। सिंह के अदालत में चले जाने के कारण मामला अटक गया।

2022 के पंचायत चुनावों के समय स्टेट इलेक्शन कमिश्नर रहे और अब रिटायर हो चुके धनपत सिंह ने कहा, “गलती की वजह से कुलदीप सिंह को जीत का प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया। जब मामला मेरी जानकारी में आया, तो मैंने अधिकारियों से इसे सुलझाने को कहा। उन्होंने कहा कि वे कुलदीप सिंह से जीत का प्रमाण पत्र वापस ले लेंगे।”

उन्होंने कहा, “हमें पता चला कि कुलदीप सिंह ने गांव में अपनी जीत की घोषणा की, लड्डू बांटे और प्रमाण पत्र वापस करने से इनकार कर दिया। हमने अपनी ओर से उनके चुनाव की अधिसूचना जारी नहीं की और कमिश्नर को निर्देश दिया कि वे उन्हें सरपंच का कार्यभार न सौंपें। उनके चुनाव की आधिकारिक अधिसूचना 2024 में हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही जारी की गई।”

सुप्रीम कोर्ट का आदेश उत्साहजनक- वेद वशिष्ठ

बुआना लाखू के एक पूर्व स्कूल टीचर वेद वशिष्ठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश उत्साहजनक है। उन्होंने कहा, “यह मामला दिखाता है कि निरंतर प्रयास और जागरूकता देश में चुनाव परिणाम भी बदल सकती है।” हालांकि, गांव के एक बीजेपी कार्यकर्ता आनंद मलिक कहते हैं कि इस मामले को ज्यादा तूल नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा, “इस मामले में ईवीएम की कोई गलती नहीं थी, क्योंकि उम्मीदवारों को उतने ही वोट मिले जितने उसी दिन रिकाउंटिंग के बाद घोषित किए गए थे।” सरपंच पद से हटाए गए सिंह अभी तक इस्तीफा नहीं दे रहे हैं। वे कहते हैं, “हमने अभी अपना अगला कदम तय नहीं किया है।”

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