रायपुर। मेडिकल कॉलेज मान्यता घोटाले के बाद अब रावतपुरा सरकार एजुकेशनल इंस्टीट्यूट से जुड़ी एक और बड़ी गड़बड़ी सामने आई है, जिसमें छत्तीसगढ़ के सरकारी इंजीनियरों को बिना उचित अध्ययन के एमटेक उपाधि दिए जाने का मामला शामिल है।

दरअसल, छत्तीसगढ़ में कई निजी विश्वविद्यालय ऐसे हैं जो कुछ महीनों की क्लास अटेंडेंस या कुछ वीआईपी छात्रों के मामलों में बिना नियमित अध्ययन के ही डिग्रियां प्रदान कर देते हैं। इन विश्वविद्यालयों का मुख्य उद्देश्य केवल मोटी फीस कमाना होता है। इसका फायदा अब राज्य के सरकारी अधिकारी और कर्मचारी भी उठा रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, प्रदेश के जल संसाधन, पीएचई, लोनिवि और नगरीय प्रशासन विभाग में कार्यरत कुछ अधिकारियों ने अपने प्रमोशन और वेतन वृद्धि के लिए एक युक्ति अपनाई। वर्षों पहले इन विभागों में नियुक्ति के समय सभी अधिकारी केवल बीटेक या पालिटेक्निक डिप्लोमा पास थे। लेकिन अचानक लगभग 60 इंजीनियरों ने बिना क्लास अटेंड किए एमटेक की स्नातकोत्तर उपाधि हासिल कर ली। 4 सेमेस्टर वाले इस एमटेक कोर्स के लिए अधिकांश इंजीनियरों ने विभाग से अध्ययन अवकाश भी नहीं लिया। मोटी फीस मिलने के बाद रावतपुरा प्रबंधन ने अटेंडेंस को लेकर कोई आपत्ति नहीं की और हरी झंडी दे दी। इस तरह ये इंजीनियर फील्ड और दफ्तर में काम भी करते रहे और कोर्स भी पूरा कर लिया। इस दौरान उन्हें पूरी तनख्वाह भी मिलती रही।
यह मामला हाल ही में तब उजागर हुआ, जब इनमें से कुछ इंजीनियरों ने स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के बाद वेतन वृद्धि के लिए विभाग में आवेदन किया। हालांकि, इनमें से अधिकांश को पहले ही दो-दो वेतन वृद्धि मिल चुकी थी। बाकी के इंजीनियरों के जरिए हुए खुलासे के बाद अब मामले की जांच की मांग उठ रही है।
इस मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय सिंह ठाकुर ने कुलाधिपति को विभागवार एक-एक इंजीनियर की सूची देते हुए उनकी उपाधियों की वैधता जांचने और दी गई वेतन वृद्धि पर रोक लगाने तथा पुनर्वसूली की मांग की है।
संजय सिंह ठाकुर का कहना है कि सामान्य तौर पर स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में 75 प्रतिशत अनिवार्य उपस्थिति न होने पर नियमित विद्यार्थियों को सजा भुगतनी पड़ती है, जबकि इस मामले में नियमों की अनदेखी कर डिग्रियां बेची गई है। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज मान्यता घोटाले की जांच कर रही देश की शीर्ष जांच एजेंसी सीबीआई से रावतपुरा सरकार एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के अन्य सभी कोर्सों की वैधता और उनमें हो रही अनियमितताओं की भी जांच करने का अनुरोध डायरेक्टर सीबीआई को ईमेल के माध्यम से किया है।
मंत्रालय के कर्मचारियों की डिग्री की चर्चा
इसके अलावा, राज्य मंत्रालय के कुछ कर्मचारियों ने भी पदोन्नति के लिए एक अन्य निजी विश्वविद्यालय से स्नातक डिग्री हासिल की थी। राज्य गठन के समय अधिकांश अनुभाग अधिकारी और अवर सचिव केवल मेट्रिक पास थे, लेकिन पिछली कांग्रेस सरकार ने न्यूनतम योग्यता स्नातक कर दी। इस वजह से कई कर्मचारियों ने निजी विश्वविद्यालयों से तेजी से डिग्रियां प्राप्त की।
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