Congress Attack On Election Commission: वोटर वेरिफिकेशन (SIR) और वोट चोरी (Vote Chori) को लेकर चुनाव आयोग और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के बीच लड़ाई और तेज हो गई है। विपक्ष मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव ला सकता है। सूत्रों के मुताबिक, कई विपक्षी दल इस बात पर मंथन कर रहे हैं। इसके साथ ही INDIA गठबंधन के नेता सोमवार (18 अगस्त) शाम को उपराष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर भी चर्चा कर सकते हैं।
कांग्रेस सांसद सैयद नासिर हुसैन ने मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की संभावना पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर पार्टी के भीतर अभी तक कोई विचार-विमर्श नहीं हुआ है, लेकिन यदि जरूरत पड़ी तो नियमों के अनुसार कांग्रेस महाभियोग प्रस्ताव ला सकती है।
बता दें कि कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष ने बिहार में SIR का विरोध कर रही है। वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी और चुनाव आयोग पर मिलीभगत के गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा था कि बीजेपी वोट चोर कर रही है और इसमें चुनाव आयोग उसका साथ दे रहा है। यह मामला और ज्यादा बढ़ने वाला है। विपक्ष मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है। इसे लेकर मीटिंग जरूरी हुई है, लेकिन अंतिम फैसला बाकी है।
चुनाव आयोग ने की थी प्रेस कॉन्फ्रेंस
राहुल गांधी और विपक्ष के आरोपों पर भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर साफ कहा कि उस पर लगाए जा रहे ‘वोट चोरी’ जैसे झूठे आरोपों से न तो आयोग डरता है और न ही मतदाता। आयोग ने लोगों से अपील की कि वे संविधान में मिले अधिकार का इस्तेमाल करते हुए हर हाल में मतदान करें। साथ ही कहा कि राजनीतिक दलों का पंजीकरण चुनाव आयोग ही करता है और उसकी नजर में न कोई पक्ष है, न विपक्ष है, सभी समकक्ष हैं।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने दिए आरोपों के जवाब
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि ऐसे झूठे आरोपों का असर न आयोग पर होगा, न ही मतदाताओं पर। चुनाव आयोग निडर होकर और निष्पक्षता से काम करता रहेगा। उन्होंने दोहराया कि आयोग का काम राजनीति करने वालों से प्रभावित हुए बिना सभी मतदाताओं के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना है। वोटर लिस्ट में गड़बड़ी को लेकर विपक्ष के आरोपों पर सख्त रुख अपनाते हुए आयोग ने जानकारी दी कि अब तक 28,370 मतदाता अपने दावे और आपत्तियां दर्ज करा चुके हैं। इसके लिए समयसीमा 1 अगस्त से 1 सितंबर तक तय की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने SIR के मामले में दिया दखल
बिहार में SIR के दौरान वोटर लिस्ट से करीब 65 लाख लोगों के नाम काट दिए गए थे। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग को आदेश दिया था कि सभी नामों को सार्वजनिक किया जाए। चुनाव आयोग ने आदेश के मुताबिक सभी नामों को वेबसाइट पर अपलोड कर दिए थे।
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