जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में 14 अगस्त को अचानक बादल के फटने से धार्मिक कार्यक्रम में शामिल 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है जबकि `100 से अधिक लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. जिले के ‘गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज’ (GMC) अस्पताल में कुल 75 मरीजों को भर्ती कराया गया और उनमें से एक की इलाज के दौरान मौत हो गई, जबकि चार अन्य की हालत ‘गंभीर’ बनी हुई है.
अस्पताल से रविवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इसके अलावा, बादल फटने से प्रभावित चिसोटी गांव से 11 शव और शरीर का एक अंग भी अस्पताल के मुर्दाघर में लाया गया जिन्हें चिकित्सिय औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उनके परिजनों को सौंप दिया गया.
बादल फटने से 61 लोगों की मौत
सरकारी आंकड़ों के अनुसार मचैल माता मंदिर के रास्ते में पड़ने वाले गांव चिसोटी में बादल फटने के कारण अबतक 61 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें से अधिकतर श्रद्धालु थे. इस घटना में 100 से अधिक लोग घायल हो गए और 50 अन्य लापता हो गए. आंकड़ों के अनुसार, जीएमसी ने 75 में से 24 मरीजों का ऑपरेशन किया और उनमें से एक (सांबा जिले के विजयपुर क्षेत्र के 35 साल के अशोक कुमार) की 16 अगस्त को मृत्यु हो गई.
4 की हालत गंभीर
अस्पताल ने बताया कि यहां अब भी भर्ती 47 मरीजों में से चार की हालत गंभीर है. 20 मरीजों को छुट्टी दे दी गई, तीन फरार हो गए और चार अन्य चिकित्सकीय सलाह के विरुद्ध अस्पताल छोड़कर चले गए.
बता दें, जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चशोती गांव में गुरुवार (14 अगस्त) की दोपहर बादल फटने से विनाशकारी तबाही आई. बाढ़ के बाद माहौल शोक से भरा हुआ है और लापता लोगों के परिजन बेसब्री से अपने प्रियजनों के मिलने की आस लगा रहे हैं.
धार्मिक यात्रा के लिए जुटे कई लोग बह गए
बादल फटने की घटना किश्तवाड़ जिले में पड्डर सब-डिवीजन के चशोटी गांव में हुई है. चशोटी मचैल माता मंदिर यात्रा का शुरुआती पॉइंट है. जिस वक्त बादल फटा वहां श्रद्धालुओं की बसें, टेंट, लंगर और कई दुकानें थीं. सभी बाढ़ में बह गए. बादल फटते ही वहां पर पानी तेजी के साथ आया, जिसकी चपेट में वहां मौजूद लोग आ गए. जिसमें कई लोग बह गए.
एक दर्जन से अधिक वाहन क्षतिग्रस्त हो गए
गौरतलब है क, किश्तवाड़ जिले के एक सुदूर पहाड़ी गांव चशोती में बादल फटने से यह हादसा हुआ था. जिस समय हादसा हुआ, उस समय मचैल माता मंदिर यात्रा के लिए वहां बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए थे. यह यात्रा 25 जुलाई को आरंभ हुई थी और 5 सितंबर को समाप्त होनी थी.

गांव और निचले इलाकों में अचानक आई बाढ़ में इस मंदिर के अलावा 10 से अधिक आवासीय मकान, छह सरकारी भवन, दो अन्य मंदिर, चार पवन चक्की, एक पुल और एक दर्जन से अधिक वाहन क्षतिग्रस्त हो गए.
चसोटी मचैल माता मंदिर के रास्ते पर पहला गांव
चसोटी किश्तवाड़ शहर से लगभग 90 किलोमीटर और मचैल माता मंदिर के रास्ते पर पहला गांव है। यह जगह पड्डर घाटी में है, जो 14-15 किलोमीटर अंदर की ओर है। इस इलाके के पहाड़ 1,818 मीटर से लेकर 3,888 मीटर तक ऊंचे हैं। इतनी ऊंचाई पर ग्लेशियर (बर्फ की चादर) और ढलानें हैं, जो पानी के बहाव को तेज करती हैं।

मचैल माता तीर्थयात्रा हर साल अगस्त में होती है। इसमें हजारों श्रद्धालु आते हैं। यह 25 जुलाई से 5 सितंबर तक चलेगी। यह रूट जम्मू से किश्तवाड़ तक 210 किमी लंबा है और इसमें पड्डर से चशोटी तक 19.5 किमी की सड़क पर गाड़ियां जा सकती हैं। उसके बाद 8.5 किमी की पैदल यात्रा होती है।
लोगों के फेफड़ों में कीचड़ भरा
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, इस त्रासदी के मंजर डराने वाले थे। मलबे में कई शव खून से सने थे। फेफड़ों में कीचड़ भर गया था। टूटी पसलियां और अंग बिखरे पड़े थे। स्थानीय लोगों, सेना के जवानों और पुलिस ने घायलों को घंटों मशक्कत के बाद कीचड़ भरे इलाके से खोदकर अपनी पीठ पर लादकर अस्पताल पहुंचाया गया। बादल फटने की घटना पर एक स्थानीय निवासी ने बताया- 14 अगस्त की दोपहर करीब दोपहर 1 बजे तेज धमाके जैसी आवाज हुई और लोग चीखने लगे। मैंने देखा कि लोग घबराहट में भाग रहे थे।
मौसम निगरानी की चुनौती
हिमालयी क्षेत्रों में मौसम निगरानी की कमी बड़ी समस्या है. चशोती से 4 किलोमीटर दूर पहलगाम में भी ज्यादा बारिश नहीं हुई, जो इस संशय को बढ़ाता है. सैटेलाइट और डॉप्लर रडार भारी बारिश का पता लगा सकते हैं, लेकिन सटीक स्थान और समय बताना मुश्किल है.
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