भारत के प्रधान न्यायाधीश (चीफ जस्टिस) बीआर गवई ने रविवार को कहा कि महाराष्ट्र सरकार राज्य में न्यायपालिका के लिए बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने में हमेशा अग्रणी रही है. वह कोल्हापुर जिले में बम्बई हाईकोर्ट की नयी सर्किट पीठ का उद्घाटन करने के बाद संबोधन दे रहे थे. इस पल को मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपनी नियुक्ति जितना ही आनंददायक बताते हुए, गवई ने कोल्हापुर पीठ के संघर्ष से अपने 25 साल लंबे जुड़ाव को याद किया. इस अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी उपस्थित थे.
उन्होंने कहा, मैं जिस पद पर हूं, वह सत्ता का प्रदर्शन करने के लिए नहीं, बल्कि समाज के वंचित वर्गों के कल्याण के लिए काम करने के लिए है, जैसा कि मेरे पिता ने मुझे सिखाया था. उन्होंने महाराष्ट्र के लिए डॉ. बीआर अंबेडकर का लंदन वाला घर सुरक्षित करने के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का भी धन्यवाद किया और अंबेडकर की शिक्षा में शाहू महाराज के सहयोग को याद किया. उन्होंने कहा कि शाहू महाराज के नजरिए के अनुरूप न्याय प्रदान करें.
सरकार हमेशा न्यायपालिका के साथ खड़ी
सीजेआई गवई ने कहा कि कुछ लोगों ने, मैं उनका नाम नहीं लेना चाहता, यह टिप्पणी की थी कि न्यायपालिका के लिए बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने के मामले में महाराष्ट्र सरकार पीछे है. उन्होंने कहा कि यह गलत है. मेरा मानना है कि जब न्यायपालिका के बुनियादी ढांचे का सवाल आता है, तो इस मामले में महाराष्ट्र पीछे नहीं है. बुनियादी ढांचे के मामले में सरकार हमेशा न्यायपालिका के साथ खड़ी है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित करके असंभव को संभव बना दिया है कि कोल्हापुर पीठ के लिए भवन कम समय में ही बन जाए.
चीफ जस्टिस गवई ने कहा कि जो लोग यह टिप्पणी करते हैं कि न्यायिक बुनियादी ढांचे के मामले में राज्य सरकार पिछड़ रही है, वे देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे के बारे में नहीं जानते. सीजेआई गवई ने कहा कि मुझे विश्वास था कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि पीठ स्थापित की जाए और सभी बुनियादी ढांचे उपलब्ध कराए जाएं.
कोल्हापुर में एक पीठ का समर्थन
सीजेआई ने कहा कि उन्होंने हमेशा कोल्हापुर में एक पीठ का समर्थन किया है, क्योंकि किसी भी आम व्यक्ति को अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए मुंबई (बम्बई हाईकोर्ट की मुख्य पीठ) तक आने के लिए मजबूर नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि अब वकीलों की ओर से पुणे में भी एक पीठ की मांग की जा रही है, लेकिन उन्होंने कहा कि यह संभव नहीं होगा, क्योंकि केवल मुट्ठी भर वकीलों ने ही यह मांग की है, आम लोगों ने नहीं.
कोल्हापुर में चौथी पीठ की स्थापना विभिन्न क्षेत्रों से वर्षों से उठ रही मांगों के बीच की गई है, ताकि वादियों और वकीलों पर बोझ कम किया जा सके, जिन्हें अपनी याचिकाओं की सुनवाई के लिए 380 किलोमीटर दूर मुंबई जाना पड़ता है. वर्तमान में, मुंबई में मुख्य पीठ के अलावा, हाईकोर्ट की दो और पीठ हैं – विदर्भ क्षेत्र के नागपुर में और राज्य के मराठवाड़ा क्षेत्र के औरंगाबाद (छत्रपति संभाजीनगर) में.
कोल्हापुर में एक सर्किट पीठ बनाया
बता दें कि, हाईकोर्ट की तीसरी पीठ निकटवर्ती गोवा में स्थित है. बम्बई हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे ने एक अगस्त को एक अधिसूचना जारी करके कोल्हापुर में एक सर्किट पीठ बनाया था. कोल्हापुर पीठ आज से एक खंडपीठ और दो एकल पीठों के साथ कार्य करेगी.
नयी पीठ का अधिकार क्षेत्र छह जिलों – सतारा, सांगली, सोलापुर, कोल्हापुर, रत्नागिरि और सिंधुदुर्ग (अंतिम दो तटीय कोंकण क्षेत्र में स्थित) पर होगा. कोल्हापुर खंडपीठ में न्यायमूर्ति एमएस कार्णिक और न्यायमूर्ति शर्मिला देशमुख शामिल होंगे, जबकि न्यायमूर्ति एसजी डिगे और न्यायमूर्ति एसजी चपलगांवकर एकल पीठ की अध्यक्षता करेंगे.
उम्मीद है कि खंडपीठ जनहित याचिकाओं, सिविल रिट याचिकाओं, प्रथम अपीलों, पारिवारिक अदालत अपीलों, अवमानना अपीलों के साथ-साथ कोल्हापुर, सतारा, सांगली, सोलापुर, रत्नागिरि और सिंधुदुर्ग जिलों के सभी अन्य सिविल और आपराधिक मामलों की सुनवाई करेगी. न्यायमूर्ति डिगे की एकल पीठ आपराधिक अपीलों, आपराधिक पुनरीक्षण आवेदनों, जमानत आवेदनों और अन्य आपराधिक मामलों की सुनवाई करेगी. न्यायमूर्ति चपलगांवकर एकल पीठ की अध्यक्षता करेंगे और यह पीठ दीवानी रिट याचिकाओं, दीवानी आवेदनों और एकल न्यायाधीश को सौंपी गई अन्य दीवानी मामलों की सुनवाई करेगी.
Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक