राजधानी दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. हालात बाढ़ जैसे बनते दिख रहे हैं. सोमवार को यमुना का जलस्तर खतरे के निशान 205.33 मीटर को पार कर 205.36 मीटर तक पहुंच गया. 206 मीटर पर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है. यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ने से प्रशासन अलर्ट मोड पर है. प्रशासन ने निचले इलाकों को खाली कराने का आदेश जारी कर दिया है
पुराने रेलवे ब्रिज पर निगरानी
दिल्ली में यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और बाढ़ का खतरा गहराता जा रहा है. सोमवार सुबह 7 बजे पुराने रेलवे ब्रिज पर यमुना का जलस्तर 204.80 मीटर दर्ज किया गया, जबकि रविवार शाम यह स्तर 204.60 मीटर के करीब था. पुराना रेलवे ब्रिज यमुना नदी के प्रवाह और संभावित बाढ़ के खतरों की निगरानी के लिए एक मुख्य अवलोकन स्थल माना जाता है. अधिकारियों ने बताया कि हथनीकुंड बैराज और वजीराबाद बैराज से लगातार बड़ी मात्रा में पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे नदी का जलस्तर और तेजी से बढ़ सकता है.
बाढ़ की दृष्टि से ख़तरे के क्षेत्र
यमुना के किनारे बसे इलाके, जैसे कि मॉडल टाउन, यमुना बाज़ार, मयूर विहार, कश्मीरी गेट, मोनेस्ट्री, गीता कॉलोनी और वजीराबाद – ये क्षेत्र काफी कम ऊँचे हैं और बाढ़ से प्रभावित हो सकते हैं नदी के पूर्वी किनारे (ट्रांस यमुना एरिया) में स्थित इलाकों को भी बाढ़ का जोखिम अधिक है
ओल्ड दिल्ली के आसपास का क्षेत्र, विशेषतः कश्मीरी गेट, मॉनस्ट्र्री क्षेत्र, पुराने निचले इलाके – ये पहले भी बाढ़ का सामना कर चुके हैं रिंग रोड, आउटर रिंग रोड, मथुरा रोड, और रोहतक रोड जैसे मार्गों के आसपास भी जलभराव की घटनाएँ सामने आती रही हैं भल्सवा झील के आसपास – यह इलाका मूलतः नदी का मूल मार्ग था और अब भी बाढ़ के समय खतरनाक ज़ोन माना जाता है जगतपुर गाँव (बुराड़ी के पास) – यह यमुना नदी से घिरी है और बरसात के समय पुनरावृत्ति वाली बाढ़ के लिए जाना जाता है.
क्यों बढ़ रहा है जलस्तर?
केंद्रीय बाढ़ कक्ष के अधिकारियों के मुताबिक, यमुना के जलस्तर में वृद्धि का सबसे बड़ा कारण हथिनीकुंड और वजीराबाद बैराज से लगातार छोड़ा जा रहा पानी है. हथिनीकुंड बैराज से इस समय लगभग 58,282 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, जो इस मौसम में अब तक का सबसे अधिक है. वजीराबाद बैराज से हर घंटे करीब 36,170 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है.
बाढ़ नियंत्रण विभाग ने बताया कि बैराजों से छोड़ा गया पानी दिल्ली पहुंचने में सामान्यतः 48 से 50 घंटे का समय लेता है. यही वजह है कि ऊपरी इलाकों से छोड़ी गई कम मात्रा भी यहां जलस्तर को बढ़ाने का कारण बन रही है.
प्रशासन अलर्ट पर
अधिकारियों ने कहा है कि हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है और सभी एजेंसियों को एहतियाती कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं. निचले इलाकों में रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने का काम शुरू कर दिया गया है.
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