रायपुर. बस्तर ओलंपिक के आयोजन के बाद अब घोटाले की परतें खुलने लगी है. खिलाड़ियों के लिए खरीदी गई ट्रैक सूट की सप्लाई में नियमों को ताक पर रखकर एक खास कंपनी को अनुचित लाभ पहुंचाने का मामला सामने आया है. दस्तावेज बताते हैं कि इस पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई. लल्लूराम डॉट कॉम के पास खरीदी से जुड़े दस्तावेज मौजूद हैं. इन दस्तावेजों की पड़ताल में कई गंभीर खामियां उजागर हुई हैं.
राज्य सरकार द्वारा आयोजित बस्तर ओलंपिक के लिए खेल विभाग ने 4,900 ट्रैक सूट की खरीदी के लिए टेंडर जारी किया था. कुल 10 कंपनियों ने टेंडर में हिस्सा लिया. इसमें ए आर नीच फैब, एडिडास, हिंद स्पोर्ट्स, नरेन संस ट्रॉफी वाले, रिद्धि-सिद्धि सॉल्यूशन, शैम स्पोर्ट्स, शिव नरेश स्पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, स्पोर्टटेक्स, वरना डिसप्ले और विनायक वेंचर्स शामिल थे. टेक्निकल बिड में केवल 5 कंपनियां शिव नरेश स्पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, वरना डिसप्ले सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड, नरेन संस, विनायक वेंचर्स और रिद्धि-सिद्धि सॉल्यूशन ने क्वालीफाई किया. बाकी कंपनियां टेक्निकल बिड में ही डिसक्वालीफाई कर दी गई. एडिडास जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनी को भी टेक्निकल बिड में बाहर कर दिया गया.
चौंकाने वाली बात यह रही कि टेक्निकल बिड में क्वालीफाई करने वाली कंपनियां एक ही ब्रांड शिव नरेश स्पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के उत्पाद से जुड़ी थीं. क्वालिफाई करने वाली सभी पांच कंपनियों ने एक ही ट्रैक सूट मॉडल (आर्टिकल कोड 459A) को अपनी बोली में दर्शाया. पांच कंपनियों में से शिव नरेश स्पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड को एल-1 घोषित किया गया. कंपनी ने बस्तर ओलंपिक में खिलाड़ियों के लिए 4 हजार 900 ट्रैक सूट की सप्लाई प्रति यूनिट 2499 रुपए की दर पर कर दी.



कंपनी की वेबसाइट पर कीमत कम
खेल विभाग ने शिव नरेश ब्रांड के जिस ट्रैक सूट को 2499 रुपए प्रति यूनिट की दर से खरीदा, वही ट्रैक सूट कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट पर 1539 रुपए में उपलब्ध है. यानि प्रति यूनिट ट्रैक सूट पर 960 रुपए का अंतर पाया गया. खेल विभाग ने 4 हजार 900 ट्रैक सूट की खरीदी के लिए 2499 रुपए प्रति यूनिट की दर से कंपनी को 1 करोड़ 22 लाख 45 हजार रुपए का भुगतान किया है. कंपनी की वेबसाइट में दिए गए 1539 रुपए प्रति यूनिट की दर पर अगर ट्रैक सूट की खरीदी की जाती तो खेल विभाग को महज 75 लाख 41 हजार 100 रुपए का भुगतान करना होता. इससे करीब 47 लाख रुपए की बचत हो सकती थी.


नियमों की अनदेखी
जानकारों के मुताबिक भंडार क्रय नियम के मुताबिक 20 लाख रुपए से अधिक की खरीदी के लिए कम से कम 30 दिनों का टेंडर निकालना जरूरी है, लेकिन खेल विभाग की हड़बड़ी देखिए कि महज 11 दिनों में ही टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर ली गई. 29 अक्टूबर 2024 को टेंडर ओपन किया गया और 11 नवंबर 2024 को टेंडर क्लोज कर दिया गया. खेल विभाग ने 14 नवंबर 2024 को ट्रैक सूट सप्लाई करने वाली कंपनी नरेश स्पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ अनुबंध कर लिया. वित्त के जानकार बताते हैं कि वित्तीय नियमों में संचालक को 20 लाख रुपए तक ही खरीदी का अधिकार है, लेकिन ट्रैक सूट की खरीदी के लिए किसी तरह की स्वीकृति शासन स्तर पर नहीं ली गई.


गलत खरीदी नहीं : खेल संचालक
इस मामले में खेल संचालक तनुजा सलाम का कहना है कि कोई भी गलत खरीदी नहीं हुई है. ना ही इसे लेकर कोई शिकायत मिली है. अभी तक ऐसी कोई जानकारी भी हमें किसी के द्वारा नहीं मिली है. ट्रैक सूट के रेट को लेकर यह गलत जानकारी है.

क्लीन चिट या जांच?
बस्तर ओलंपिक राज्य सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना थी, जिसका उद्देश्य आदिवासी अंचल के युवाओं को नक्सलवाद के साए से मुक्त करते हुए खेलों से जोड़ना और बस्तर की छवि को निखारना था, लेकिन जिस तरह से इस आयोजन के पीछे घोटाले की परतें सामने आ रही हैं, वह खेल विभाग की भूमिका को संदिग्ध बनाती है. सवाल यह है कि बस्तर के आदिवासी युवाओं को खेल के जरिए मुख्य धारा में लाने की सरकारी कवायद पर क्या खेल विभाग पलीता लगा रहा है? सवाल यह भी है कि खेल विभाग में ट्रैक सूट खरीदी में कथित गड़बड़ी उजागर होने के बाद क्या सरकार निष्पक्ष जांच बिठाएगी या फिर यह मामला दबकर रह जाएगा?
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