भारत और चीन के बीच सोमवार को प्रतिनिधि स्तर की वार्ता हुई। बातचीत के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि “आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के खिलाफ लड़ाई एक और प्रमुख प्राथमिकता है। मैं हमारे विचारों के आदान-प्रदान की प्रतीक्षा कर रहा हूं। कुल मिलाकर, हमारी उम्मीद है कि हमारी चर्चा भारत और चीन के बीच एक स्थिर, सहयोगात्मक और दूरदर्शी संबंध बनाने में योगदान देगी, जो हमारे हितों की पूर्ति करेगा और हमारी चिंताओं का समाधान करेगा।”
चीन से दूरदर्शी संबंध बनाना हमारा लक्ष्य: एस जयशंकर
एस जयशंकर ने आगे कहा, “आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के खिलाफ लड़ाई एक और प्रमुख प्राथमिकता है। मैं हमारे विचारों के आदान-प्रदान की प्रतीक्षा कर रहा हूं। कुल मिलाकर, हमारी उम्मीद है कि हमारी चर्चा भारत और चीन के बीच एक स्थिर, सहयोगात्मक और दूरदर्शी संबंध बनाने में योगदान देगी, जो हमारे हितों की पूर्ति करेगा और हमारी चिंताओं का समाधान करेगा।”
चीन के विदेश मंत्री वांग यी सोमवार को भारत पहुंच गए और उन्होंने अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर के साथ मुलाकात भी की. यी, दो दिवसीय दौर के लिए भारत आए हैं. मंगलवार को वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे. इसके अलावा उनकी एक मीटिंग राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल से भी होनी है.
‘मतभेद विवाद नहीं बनने चाहिए’
यी का भारत दौरा साल 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़पों के बाद गंभीर तनाव में आए दोनों देशों के संबंधों को फिर से सामान्य बनाने की दिशा में बड़ा कदम है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को नई दिल्ली में अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ खास मुलाकात की. उन्होंने कहा कि साल 2024 में दोनों देशों के नेताओं की कजान में मुलाकात के बाद किसी चीन के अधिकारी की यह पहली मुलाकात है. वांग के साथ अपनी मीटिंग में, जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच मतभेद विवाद नहीं बनने चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने चीनी समकक्ष का ध्यान इस तरफ भी दिलाया कि सीमा पर तनाव कम करना जारी रहे.
संबंधों ने एक कठिन दौर देखा
एस जयशंकर ने आगे कहा कि हमारे संबंधों ने एक कठिन दौर देखा है. अब दोनों देश आगे बढ़ना चाहते हैं. इसके लिए हम दोनों को स्पष्ट और रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाना होगा. इस प्रयास में हमें तीन बातों का ध्यान रखना चाहिए – आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हित. मतभेद विवाद न बनें और प्रतिस्पर्धा टकराव में न बदले. आज हमारी बातचीत में आर्थिक और व्यापार से जुड़े मुद्दे, धार्मिक यात्राएं, लोगों का आपस में संपर्क, नदी का आंकड़ा साझा करना, सीमा व्यापार, कनेक्टिविटी और द्विपक्षीय आदान-प्रदान जैसे विषय शामिल रहेंगे. जुलाई में चीन यात्रा के दौरान मैंने आपसे जो कुछ विशेष चिंताएं साझा की थीं, उन पर भी मैं आगे बात करना चाहूंगा.
हम मल्टीपोलर विश्व व्यवस्था चाहते हैं
एस जयशंकर ने साफ कहा कि जब दुनिया के दो सबसे बड़े देश मिलते हैं तो वैश्विक हालात पर चर्चा होना स्वाभाविक है. हम एक न्यायपूर्ण, संतुलित और मल्टीपोलर विश्व व्यवस्था चाहते हैं, जिसमें एशिया भी मल्टीपोलर हो. आज की स्थिति में बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार की आवश्यकता है. साथ ही, वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनाए रखना भी जरूरी है. आतंकवाद के खिलाफ सभी रूपों में लड़ाई भी हमारी बड़ी प्राथमिकता है. मैं इस विषय पर भी आपके विचार सुनने को उत्सुक हूं.
बातचीत से होगा समाधान
उन्होंने कहा, ‘आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के खिलाफ लड़ाई एक और प्रमुख प्राथमिकता है. मैं हमारे विचारों के आदान-प्रदान की प्रतीक्षा कर रहा हूं. कुल मिलाकर, हमारी उम्मीद है कि हमारी चर्चाएं भारत और चीन के बीच एक स्थिर, सहयोगात्मक और दूरदर्शी संबंध बनाने में योगदान देंगी, जो हमारे हितों की पूर्ति करेगा और हमारी चिंताओं का समाधान करेगा.’ वांग ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों (एसआर) की 24वें दौर की वार्ता में भाग लेने के लिए सोमवार को भारत की दो दिवसीय यात्रा शुरू की.
जयशंकर ने इस दौरान कहा, ‘यह मीटिंग हमें एक ऐसा मौका देती है कि हम अपने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा कर सकें. साथ ही यह सही समय है जब हम ग्लोबल स्थिति पर चर्चा करने के साथ ही आपसी हितों से जुड़े कुछ मसलों पर भी बातचीत कर सकते हैं. ‘
Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक